सौरमंडल के सारे ग्रह लगभग वृत्ताकार परिक्रमा पथों पर सूर्य की परिक्रमा करते हैं इसलिए अपने परिक्रमा पथों पर उनकी स्थिति के अनुसार पृथ्वी से उनकी दूरी बदलती रहती है. कभी कोई ग्रह अपने पथ पर पृथ्वी के निकट आ जाता है और कभी वह सूर्य के दूसरी और चला जाता है जिससे उसकी दूरी में कई गुना की वृद्धि हो जाती है. सूर्य से ग्रहों की दूरी अलग-अलग होने के कारण वे अलग-अलग कोणीय गतियों पर परिक्रमा करते हैं और एक-दूसरे को आवरटेक करते रहते हैं. इस तरह वे कभी एक-दूसरे के समीप आ जाते हैं तो कभी दूर चले जाते हैं.
यही कारण है कि कभी मंगल पृथ्वी के सबसे निकट हो जाता है तो कभी शुक्र ग्रह पृथ्वी के निकटतम हो जाता है. लेकिन वर्ष में अनेक बार ऐसी स्थिति बनती है जब मंगल और शुक्र के सूर्य के पीछे चले जाने पर बुध ग्रह पृथ्वी का निकटतम ग्रह बन जाता है.
बुध (Mercury) निकटतम ग्रह के रूप में
शुक्र (Venus) निकटतम ग्रह के रूप में

मंगल (Mars) निकटतम ग्रह के रूप में
बाहरी ग्रह जैसे ब्रहस्पति और शनि पृथ्वी के निकटतम ग्रह कभी भी नहीं हो सकते क्योंकि उनके परिक्रमा पथों की त्रिज्या बहुत विशाल हैं.
यदि आप निकटतम ग्रह की बजाए यह पूछें कि किस ग्रह का परिक्रमा पथ पृथ्वी के निकटतम है तो उसका उत्तर होगा शुक्र का परिक्रमापथ.