यह अनुमान लगाया गया था कि बाह्य अंतरिक्षीय ग्रह (exoplanet) 55 कैंक्री ई (55 Cancri e) की ऊपरी परत ग्रेफाइट की है और उसके नीचे हीरे की मोटी पर्त है. यह अनुमान उस तारे के स्पेक्ट्रम के अध्ययन के आधार पर था जिसकी यह ग्रह परिक्रमा करता है. प्रारंभ में मिली जानकारियों ये यह प्रदर्शित हुआ कि इस ग्रह में कार्बन-ऑक्सीजन का जो अनुपात है उसके परिणामस्वरूप इसकी भीतरी तहों में हीरे की प्रधानता होनी चाहिए.
55 कैंक्री ई का दूसरा नाम जैनसन (Janssen) भी है. यह अपने तारे 55 Cancri A के बहुत निकट परिक्रमा करता है. इसका भार पृथ्वी से लगभग 8.63 गुना है और यह किसी मेन सीक्वेंस स्टार के पास खोजा गया पहला सुपर-अर्थ प्लैनेट है. इसे अपने सूर्य की परिक्रमा करने में 18 घंटे लगते हैं और यह अब तक ज्ञात सबसे भीतरी ग्रह है. इसकी खोज 30 अगस्त, 2004 को हुई थी. 2010 तक मिली जानकारियों के आधार पर हम यह मानते रहे कि इसे तारे की परिक्रमा करने में 2.8 दिन लगते होंगे. अक्टूबर, 2012 में यह पता चला कि यह मुख्यतः कार्बन से बना है. लेकिन हाल के अवलोकनों से यह स्पष्ट हुआ है कि इसमें हमारे अनुमान से कहीं कम कार्बन है.
यह ग्रह हमसे 40 प्रकाश वर्ष दूर है और इस तक पहुंचना फिलहाल संभव नहीं है. यदि हम हीरों की तलाश में इस तक जाने का सोचेंगे तो मिशन पर ही इतना खर्च आएगा कि हम घाटे में रहेंगे. (Artist impression picture from Wikipedia)