यदि वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाएगी तो क्या होगा?

कुछ समय पहले हिंदीज़ेन पर यदि ऑक्सीजन कुछ सेकंड के लिए गायब हो जाए तो क्या होगा? पोस्ट में ऑक्सीजन के पूरी तरह गायब हो जाने की परिकल्पना पर लिखा गया था. आपको पता होगा कि हमारे वातावरण में लगभग 21% ऑक्सीजन है. यदि वातावरण में इतनी ही ऑक्सीजन और आ जाए तो इसके अनेक रोचक परिणाम होंगेः

  • कागज़ के हवाई जहाज बहुत दूर तक उड़ सकेंगे. वातावरण में अतिरिक्त गैस होने से सतह के नज़दीक हवा का दबाव बढ़ जाएगा. सभी तरह के ग्लाइडर्स, पैराशूट, पतंग और कागज़ के हवाई जहाज उड़ानेवालों को अपने काम में बहुत मजा आएगा.
  • सबकी गाड़ियां कम पेट्रोल-डीज़ल में अधिक दूरी तक जाने लगेंगीं. वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाने के कारण इंजन की कुशलता बढ़ेगी और उसमें ईंधन के दहन की क्षमता बढ़ जाएगी. नाइट्रोजन के अनुपात में कमी आने से ऊष्मा का अंतरण कम हो जाएगा.
  • ऊंचे प्रदेशों पर जाना और वहां रहना सरल हो जाएगा. हिमालय और एंडीज़ पर्वतमालाओं में ऑक्सीजन की कमी के कारण सांस लेने में होनेवाली दिक्कत दूर हो जाएगी और वहां मनुष्यों और पशुओं की आबादी बढ़ने लगेगी.
  • ज्यादातर कीड़े-मकौड़े गैसीय प्रसार (gaseous diffusion) के द्वारा श्वसन करते हैं. इसीलिए अनके शरीर का अधिकतम आकार वातावरण में मौजूद ऑक्सीजन की मात्रा पर निर्भर करता है. अधिकांश कीड़े-मकौड़ों के आकार में अप्रत्याशित वृद्धि हो जाएगी.
  • हर व्यक्ति अधिक सजग, चुस्त-दुरुस्त होगा और अधिक सक्रियता और प्रसन्नता का अनुभव करेगा. अतिरिक्त ऑक्सीजन हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं में वृद्धि करेगी. हमारी परफॉर्मेंस में सुधार होगा. खेल-कूद की प्रतियोगिताओं में अब तक बने सारे रिकार्ड ध्वस्त हो जाएंगे.
  • हम कम बीमार होंगे. हमारे प्रतिरक्षा तंत्र (immune system) की सिपाही कोशिकाएं न्यूट्रोफिल्स (Neutrophils) हमारे शरीर के लिए हानिकारक बैक्टीरिया की झिल्ली को NADP ऑक्सीडेज़ की सहायता से आयन पंप करके तोड़ देती हैं, जिससे जीवाणु मर जाते हैं. ज्यादा ऑक्सीजन होगी तो ज्यादा ऑक्सीडेज़ बनेगा.
  • वातावरण में ऑक्सीजन अधिक होगा तो हमारी उम्र घट जाएगी. यह माना जाता है कि फ्री रेडिकल्स (Free radicals), अर्थात ऑक्सीजन के मुक्त आयन (O2-) ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस की प्रक्रिया द्वारा हमारे बूढ़े होने की गति को बढ़ा देते हैं. ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस हमारे शरीर की बहुत सी कोशिकीय गतिविधियों को बुरी तरह से प्रभावित करती है. यह प्रोटीन के निर्माण, DNA के दोहरीकरण, और कोशिकीय संचार पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है. यह माना जाता है कि मल्टीपल स्क्लेरोसिस, अलज़ीमर्स, पार्किंसंस और कई तरह के रोग ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कारण हो सकते हैं.

संक्षेप में कहें तो पर्यावरण में ऑक्सीजन की बढ़त हमें कई तरह से लाभ पहुंचाएगी लेकिन हम उस मोमबत्ती की तरह होंगे जो ज्यादा तेजी से जलने के कारण जल्दी खत्म हो जाती है.

आप भी अपनी भौतिकी, रसायन, जीवन विज्ञान और दूसरे क्षेत्रों की जानकारियों के आधार पर इस पोस्ट में और भी कई बिंदु जोड़ सकते हैं. (image credit)

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.