यदि आप ऊपर फोटो में दिख रही बहुत चौड़े मुंहवाली ऊंची ‘चिमनियों’ की बात कर रहे हैं तो… ये चिमनियां नहीं हैं. न्यूक्लियर पॉवर प्लांट बहुत बड़ी मात्रा में गर्मी उत्पन्न करते हैं लेकिन सारी गर्मी का उपयोग नहीं कर पाते. न्यूक्लियर पॉवर प्लांट में उत्पन्न ऊष्मा का लगभग आधा भाग अप्रयुक्त रह जाता है. लेकिन प्लांट को पिघलाने से बचाने के लिए अतिरिक्त ऊष्मा को रिलीज़ करना ज़रूरी हो जाता है. वे इस अतिरिक्त ऊष्मा का प्रयोग पानी को उबालकर करते हैं. इससे निकलने वाले धुंए जैसी घनी भाप धुंए जितनी खतरनाक नहीं होती.
हर न्यूक्लियर पॉवर प्लांट के आसपास पानी का कोई बड़ा स्रोत होता है. यदि ऐसा कोई स्रोत न हो तो ऐसी विशाल चिमनियां बनाई जाती हैं. बहुत सारे पानी को इनमें भरकर प्लांट में उत्पन्न ऊष्मा से खौलाया जाता है. ये चिमनियां धुंआ या रेडिएशन नहीं निकालतीं.
इन्हें इतना विशाल इसलिए बनाया जाता है कि ऊपर उठती भाप ठंडी होते-होते वापस चिमनियों में ही गिर जाए. इससे पानी की बचत होती है. यह पानी का मशीनों और टरबाइनों में फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है. इन प्लांट में इतने अधिक पानी का उपयोग होता है कि इसे फिर से प्रोसेस करके दोबारा उपयोग में लेना सस्ता पड़ता है.
पॉवर प्लांट के आसपास को वातावरण और मशीनरी को भी इस भाप की गर्मी से बचाने के लिए चिमनियों को बहुत ऊंचा बनाना ज़रूरी होता है. जिन प्लांट में कोयले का प्रयोग किया जाता है वहां धुंएं को रिलीज़ करने के लिए एक लंबी पतली चिमनी अलग दिखाई देती है. (image credit)