नहीं. हम Trappist-1 तारे तक नहीं जा सकते. हमारे सबसे तेज स्पेसक्राफ्ट न्यू होराइजन्स (New Horizons) को (जिसे हमने प्लूटो पर भेजा और जो अभी आगे की यात्रा कर रहा है) Trappist-1 तक पहुंचने में लगभग 7,20,000 वर्ष लग जाएंगे. यह समय होमो सेपियंस के उद्भव में लगनेवाले समय का भी साढ़े तीन गुना है.
परग्रहियों की खोज को समर्पित प्रोग्राम Breakthrough Initiative में स्टीफन हॉकिंग ने प्रकाश की सहायता से चलनेवाले अलट्रा-फास्ट सैद्धांतिक नैनो-स्पेसक्राफ्ट की परिकल्पना की है (जिसका मार्क ज़ुकरबर्ग ने समर्थन किया है). उसे भी Trappist-1 तक पहुंचने में 200 वर्ष से अधिक लगेंगे.
Trappist-1 हमसे 39 प्रकाश वर्ष दूर है. यह दूरी 229 ट्रिलियन मील (एक ट्रिलियन 1000 बिलियन या 1000 अरब या 10 खरब के बराबर होता है). किलोमीटर में यह दूरी 369 ट्रिलियन किलोमीटर है.
फिलहाल हम Trappist-1 तक एक ही चीज भेज सकते हैं – इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें. औक उन्हें भी Trappist-1 तक पहुंचने में 39 वर्ष लग जाएंगे. असल में हम ये तरंगें पिछले कई दशक से हर दिशा में भेज रहे हैं. किसी दूसरे तारामंडल में स्थित किन्हीं बुद्धिमान प्राणियों ने यदि हमारी रेडियो और टीवी प्रसारण की बहुत ही कमज़ोर हो चुकी तरंगों को यदि डिकोड कर लिया हो तो वे इस समय वे हमारे रंगारंग कार्यक्रमों को देख कर पता नहीं क्या सोच रहे हों… खैर.
तो सीधी बात यह है कि हम Trappist-1 तक नहीं जा सकते. फिलहाल तो नहीं जा सकते और निकट भविष्य में भी नहीं जा सकते. हम इससे आनेवाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें (अर्थात प्रकाश) का अध्ययन करके यह जानने का प्रयास कर सकते हैं कि वहां जो कुछ भी है वह क्या है, कैसा है. (image credit)