एकाग्रता की शक्ति

बहुत तीखी धूप में भी शक्तिशाली आतिशी शीशा कागज़ नहीं जला पाता यदि उसे हिलाते रहा जाये. यदि उसे एक ही बिंदु पर स्थित कर दिया जाए तो कागज़ आग पकड़ लेता है. एकाग्रता में यही शक्ति होती है.


roads


सड़क पर चलता हुआ एक आदमी दोराहे पर आ खड़ा हुआ. उसने वहां एक बुजुर्ग से पूछा – “ये रास्ता कहाँ को जाता है?”

बुजुर्ग ने प्रतिप्रश्न किया – “तुम्हें कहाँ जाना है?”

राहगीर ने कहा – “मुझे नहीं मालूम”.

बुजुर्ग ने कहा – “ऐसा है तो तुम कोई भी रास्ता पकड़ लो, उससे क्या फर्क पड़ेगा.”

कितनी सच्ची बात है! जब हमें यह नहीं मालूम कि हम कहाँ जा रहे हैं तो कोई भी रास्ता हमें कहीं भी ले जायेगा.


फुटबाल के ग्यारह खिलाड़ी बड़े उत्साह में मैदान में खेलने आये और किसी ने गोल पोस्ट ही हटा दिया. अब वह क्या खेल खेलेंगे? वहां कुछ भी नहीं है. स्कोर कैसे रखा जायेगा? यह कैसे पता चलेगा की गोल नज़दीक आ गया है.

दिशाहीन उत्साह उस आग की तरह है जो हताशा की ओर ले जाती है. गोल या लक्ष्य जीवन की दिशा निर्धारित करते हैं. क्या आप ऐसी रेलगाड़ी या बस में बैठेंगे जिसके गंतव्य का कुछ पता न हो? नहीं न? तो फिर क्यों हममें से बहुत से लोग बिना कोई लक्ष्य निर्धारित किये अपना पूरा जीवन व्यतीत कर देते हैं!

(Some short motivational / inspiring stories about the importance of goals, aim, focusing, concentration, determination – in Hindi)

There are 3 comments

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.