अफ्रीका में किसी जगह एक बहुत गरीब आदमी रहता था जिसका नाम अनानसी था. उसके घर के पास एक बहुत अमीर आदमी रहता था जिसका नाम कुछ-नहीं था. एक दिन अनानसी और कुछ-नहीं ने यह तय किया कि वे पास के शहर में जाकर अपने लिए पत्नियाँ लेकर आयेंगे.
कुछ-नहीं तो बहुत पैसेवाला था इसलिए उसने यात्रा पर जाने से पहले मलमल का शानदार कुरता पहना. बेचारे गरीब अनानसी के पास पहनने के लिए सिर्फ एक फटी हुई सूती शर्ट ही थी. बीच रस्ते में अनानसी ने कुछ-नहीं से उसका कुरता माँगा और कहा कि वह शहर पहुँचने से पहले उसे वापस कर देगा. लेकिन शहर पहुँचने के बाद भी उसने किसी-न-किसी बहाने से कुछ-नहीं को उसका कुरता वापस नहीं किया. अनानसी से दोस्ती के नाते कुछ-नहीं ने अपना कुरता माँगना बंद कर दिया और वह अनानसी की फटी शर्ट पहने रहा.
अनानसी ने तो मलमल का शानदार कुरता पहना हुआ था इसलिए उसे अपने लिए पत्नियाँ ढूँढने में कोई दिक्कत नहीं हुई. उसने बहुत सारी पत्नियाँ प्राप्त कर लीं. दूसरी ओर, कुछ-नहीं की ओर किसी ने देखा भी नहीं और उसकी बहुत बेईज्ज़ती की. एक बूढ़ी गरीब औरत को कुछ-नहीं पर दया आ गई और उसने उसे अपनी बेटी दे दी. अनानसी की पत्नियों ने कुछ-नहीं की पत्नी का बहुत मजाक उड़ाया क्योंकि उन्हें कुछ-नहीं बहुत गरीब जान पड़ रहा था. कुछ-नहीं की बुद्धिमान पत्नी ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया.
सभी लोग अपने-अपने घर को चल दिए. जब वे अपने शहर पहुंचे तो दोनों की पत्नियों को बहुत आश्चर्य हुआ. अनानसी के घर को जानेवाला रास्ता तो ऊबड़खाबड़ था और कुछ-नहीं के महल जैसे घर का रास्ता पक्का था. कुछ-नहीं के नौकरों ने उसपर जानवरों की खालें और कालीन बिछाए हुए थे. नौकर स्वयं अपनी पत्नियों के साथ अच्छे कपड़े पहनकर स्वागत के लिए खड़े थे. अनानसी के लिए कोई इंतजार नहीं कर रहा था.
कुछ-नहीं की पत्नी पूरे शहर की रानी की तरह रहती थी और जो चाहे खरीद सकती थी. अनानसी की पत्नियों को तो खाने के लाले पड़े हुए थे और वे नमक लगाकर कच्चे केले खातीं थीं. कुछ-नहीं की पत्नी को जब अनानसी की पत्नियों की दुर्दशा के बारे में पता चला तो उसने उन्हें अपने महल में बुला लिया. अनानसी की पत्नियाँ कुछ-नहीं के महल में पहुंचकर इतनी खुश हुईं कि उन्होंने अनानसी की झोपडी में वापस जाने को मना कर दिया.
अनानसी को बहुत गुस्सा आया. उसने कुछ-नहीं को जान से मारने का फैसला कर लिया. उसने अपने कुछ चूहे दोस्तों को पटाकर उन्हें कुछ-नहीं के महल के दरवाजे तक सुरंग खोदने पर राजी कर लिया. जब सुरंग पूरी बन गई तब उसने सुरंग के भीतर चाकू और कांच की बोतलों के टुकड़े बिछा दिए. फिर उसने कुछ-नहीं के महल के दरवाजे के सामने बहुत सारा साबुन मल दिया जिससे रास्ता फिसलन भरा हो गया.
रात को जब उसे लगा कि कुछ-नहीं आराम से सो गया है तब उसने कुछ-नहीं को बाहर आकर कुछ बात करने एक लिए आवाज़ लगाई. कुछ-नहीं की पत्नी ने उसे इतनी रात को बाहर जाने के लिए मना कर दिया. अनानसी ने बार-बार कुछ-नहीं को पुकारा लेकिन उसकी पत्नी उसे बाहर जाने से रोकती रही. लेकिन कुछ-नहीं ने अंततः उसकी बात को अनसुना कर दिया और अनानसी से बात करने के लिए बाहर आ गया. देहलीज पर पैर रखते ही वह फिसल गया और सीधे सुरंग में जा गिरा और घायल होकर मर गया.
कुछ-नहीं की पत्नी को अपने पति के मरने का बड़ा शोक हुआ. उसने बहुत सारे साबूदाने की लपसी बनाई और शहरभर में बच्चों को बांटी ताकि वे उसके पति के लिए रोएँ.
इसीलिए आज भी हम जब कभी बच्चों को रोते देखते हैं तो रोने का कारण पूछने पर यह जवाब मिलता है कि वे “कुछ-नहीं के लिए रो रहे हैं”.
(चित्र यहाँ से लिया गया है)
(An African folktale about the wives of a rich and a poor man – in Hindi)
Bahut sundar..
Pahali baar suni aisii kathaa.
Aap kamaal kaa kaam karate ho!!
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बहुत बढिया लिखा है।
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maza nai aya……………..bakwaaaaaasssssss
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