एक बार पिकासो की बातचीत एक अमेरिकन सेनाधिकारी से हो रही थी. बातों-बातों में अधिकारी ने पिकासो से कहा कि उसे अमूर्त चित्रकला पसंद नहीं है क्योंकि वह अयथार्थवादी होती है.
पिकासो ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. बातों का दौर अधिकारी की प्रेमिका की ओर मुड़ गया. अधिकारी ने अपनी प्रेमिका का फोटोग्राफ अपनी जेब से निकलकर पिकासो को उत्साहपूर्वक दिखाया.
पिकासो वह फोटोग्राफ देखकर जोरों से बोल उठे – “हे भगवान! क्या वह वाकई इतनी छोटी है!?”
चित्रकार की ख्याति जब चरम पर पहुंच जाती है तो उसकी कला के जाली प्रतिरूप भी बाज़ार में मिलने लगते हैं जिन्हें वास्तविक चित्रकार द्वारा बनाया गया कहकर ऊंचे दामों पर बेचा जाता है.
एक ज़रूरतमंद चित्रकार ने पिकासो द्वारा तथाकथित बनाया गया चित्र कहीं से जुटा लिया और उसे सत्यापन के लिए पिकासो को दिखाया ताकि वह उसे बाज़ार में बेचकर पैसे बना सके.
पिकासो ने उस चित्र को देखकर कहा – “फर्जी है.”
बेचारे चित्रकार ने कुछ समय बाद पिकासो द्वारा तथाकथित बनाये गए दो और चित्र कहीं से प्राप्त कर लिए. उन चित्रों को देखकर भी पिकासो ने उनके फर्जी होने की बात कही.
वह चित्रकार अब आशंकित हो उठा और बोला – “ऐसा कैसे हो सकता है? मैंने अपनी आँखों से आपको इस दूसरे चित्र को बनाते हुए देखा है!”
पिकासो ने कहा – “तो क्या! मैं भी दूसरों की ही तरह फर्जी पिकासो बना सकता हूँ.”
पिकासो ने एक बार अपने फ्रांस वाले भवन में महोगनी की एक आलमारी बनवाने के लिए एक कारपेंटर को बुलाया.
कारपेंटर को आलमारी का वांछित डिजाईन समझाने के लिए पिकासो ने कागज़ पर आलमारी के आकार और रूप का एक स्केच बनाकर कारपेंटर को दिया.
पिकासो ने कारपेंटर से पूछा – “इसपर कितना खर्च आएगा?”
कारपेंटर ने कहा – “कुछ नहीं. आप बस स्केच पर अपने सिग्नेचर कर दीजिये.”
पिकासो के दक्षिणी फ्रांस वाले भवन में आनेवाले मेहमान यह देखकर अचंभित हो जाते थे कि भवन में कहीं भी किसी भी दीवार पर पिकासो के चित्र नहीं लगे थे. किसी ने एक बार इस बारे में पिकासो से पूछा – “कमाल है! आपके घर में आपके ही बनाये चित्र नहीं है! क्या आपको अपने बनाये चित्र अच्छे नहीं लगते?”
पिकासो ने कहा – “ऐसी बात नहीं है. मुझे मेरे चित्र बहुत प्रिय हैं लेकिन मैं उन्हें खरीदने की हैसियत नहीं रखता.”
एक बार एक प्रदर्शनी में पिकासो से एक महिला ने कहा – “मेरी बेटी भी आपके जैसे चित्र बना सकती है.”
“बधाई हो!” – पिकासो ने कहा – “आपकी बेटी तो जीनियस है!”
पाब्लो पिकासो (1881-1973) महान स्पेनिश चित्रकार और शिल्पकार थे. उन्होंने जॉर्ज ब्राक के साथ मिलकर आधुनिक चित्रकला में घनवाद (cubism) का प्रारंभ किया. उन्हें निर्विवाद रूप से बीसवीं शताब्दी का महानतम चित्रकार माना जाता है. गेर्निका (1937) उनकी सर्वाधिक प्रसिद्द पेंटिंग है जिसमें स्पेनिश गृहयुद्ध के दौरान जर्मन लड़ाकू विमानों द्वारा बास्क राजधानी पर बमबारी का चित्रण किया गया है.
पिकासो का चित्र ‘गेर्निका’
Photo by Henrik Dønnestad on Unsplash
Nice memories. I liked it. Beautiful design….
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iska hindi sahi uchharan hoga,
गेर्निका
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धन्यवाद. स्पेनी और फ्रांसीसी मूल के शब्दों के उच्चारण में बहुधा गलतियाँ हो जाती हैं. अपेक्षित सुधार कर दिया गया है.
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पिकासो के बारे में सुना बहुत है लेकिन पढ़ा पहली बार है। अर्थाथवादी चित्र और घनवाद दोनों बातें समझ से बाहर रही। 🙂
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बेहतरीन। कभी मौका मिले तो बरनार्ड शा के बारें में किस्से लिखे।
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धन्यवाद सुशील जी. जॉर्ज बर्नार्ड शा के बारे में एक किस्सा यहाँ लिखा है.
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Sabyasachi Mishra ji ye design nahi paintings he
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