कन्फ्यूशियस और उनके शिष्यों का जीवन सुरक्षित नहीं था. उनके ज्ञान और सत्यप्रियता के कारण राजनैतिक और धार्मिक हल्कों में बहुत से लोग उनसे डरते थे और उन्हें हानि पहुँचाना चाहते थे.
कन्फ्यूशियस और उनके शिष्य एक प्रान्त से दूसरे प्रांत, बीहड़, जंगल आदि में भटकते रहते थे. वे ऐसा इसलिए नहीं करते थे कि उन्हें अपना जीवन प्रिय था; वे सर्वजनहित की खातिर अपने जीवन की रक्षा करते थे. वे जानते थे कि उनका जीवन अनमोल था.
एक बार वे एक घने जंगल में विचरण कर रहे थे. वहां उन्होंने एक स्त्री को विलाप करते हुए सुना. वे उसके पास गए और उन्होंने देखा कि वह किसी व्यक्ति के क्षत-विक्षत शव के समीप बैठी रो रही थी.
कन्फ्यूशियस ने उससे पूछा कि वह व्यक्ति कौन था और उसकी ऐसी दशा कैसे हुई. स्त्री ने उसे बताया कि मृतक उसका पति था जिसे शेर ने अपना शिकार बना लिया था. इससे पहले शेर उसके पिता को भी अपना शिकार बना चुका था.
कन्फ्यूशियस ने उससे पूछा – “यदि तुम्हारे प्राणों को यहाँ इतना संकट है तो तुम लोग किसी सुरक्षित स्थान पर जाकर क्यों नहीं रहते हो?”
स्त्री ने उत्तर दिया – “क्योंकि यह जंगल सभ्य समाज से बेहतर है. यहाँ कोई क्रूर और भ्रष्टाचारी शासक नहीं है.”
कन्फ्यूशियस ने अपने शिष्यों से कहा – “बच्चों, यह स्त्री सत्य कहती है. अपनी प्रजा से अन्याय और उसपर अत्याचार करनेवाले शासकों के राज्य में रहने से अच्छा है कि जंगल में हिंसक जानवरों के बीच रहा जाए.”
अद्भुत. यह उपदेश तो आज की भारतीय जनता के लिए है. पर अब तो जंगलों पर भी सरकार के वन विभाग का पहरा है और वहां वे सारे भ्रष्टाचार किए जा रहे हैं जो सभ्य समाज में नहीं किए जा सकते. फिर कहां जाया जाए?
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Nishant Jee, Bhrashtachar men aakanth doobe tathakathit shoshak bharateeya jan-pratinidhiyon ke sandarbh men “shasak aur Sher” ka uparokt prakaran parde ke peechhe ka sach hai. Yah vaakaee samayik aur prasangik prateet hota hai.
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NISHANTJI , MUJE LAGTA HAI HAI BHARTYA RAJNETAO EVM SHASKO KE LIYE ES WEBSITE SARE BLOGS EVM PRASAN PATHNA ANIVARYA KER DENA CHAHIYE KUCH TO SABAK LENGE
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