एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन और उसका एक दोस्त साथ में टहलते हुए अपनी-अपनी बीवी के बारे में बातचीत कर रहे थे. मुल्ला के दोस्त का ध्यान इस बात की और गया कि मुल्ला ने कभी भी अपनी बीवी का नाम नहीं लिया.
“तुम्हारी बीवी का नाम क्या है, मुल्ला?” – दोस्त ने पूछा.
“मुझे उसका नाम नहीं मालूम” – मुल्ला ने कहा.
“क्या!?” – दोस्त अचम्भे से बोला – “तुम्हारी शादी को कितने साल हो गए?”
“अट्ठाईस साल” – मुल्ला ने जवाब दिया, फिर कहा – “मुझे शुरुआत से ही ये लगता रहा कि हमारी शादी ज्यादा नहीं टिकेगी इसलिए मैंने उसका नाम जानने की कभी ज़हमत नहीं उठाई”.
(A story/anecdote of Mulla Nasruddin – in Hindi)
ये लो भरोसे रह गये मुल्ला जी.. अब तो पता कर लो:)
पसंद करेंपसंद करें
सुन्दर!
पसंद करेंपसंद करें
कारण तो जायज़ है …….
बहुत से रिश्ते पूरी जिंदगी साथ चलते हैं लेकिन एक दूसरे को समझ नहीं पाते … और रिश्ते को खींचते चले जाते हैं ….
पसंद करेंपसंद करें