
Galileo Galilei
गैलीलियो ने सीधे तौर पर हेलियोसेंटरिज्म (heliocentrism) को नहीं दर्शाया. उन्होंने इससे भी अधिक महत्वपूर्ण कार्य किया. उन्होंने अपने अवलोकनों के संदर्भ में महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्र किए.
हेलियोसेंटरिज्म क्या है? यह वह खगोलीय मॉडल है जिसमें पृथ्वी और अन्य ग्रह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करते हैं. यह पुराने खगोलीय मॉडल जियोसेंटरिज्म (geocentrism) के विरुद्ध था जिसमें पृथ्वी को ब्रह्मांड के केंद्र में स्थित माना गया था.
गैलीलियो ने अपनी महत्वपूर्ण खोजें इटली के पीसा (Pisa) नगर में कीं. पीसा के कैथेड्रल (cathedral, बड़ा चर्च) में एक झाड़फ़ानूस (chandelier) बहुत लंबी रस्सी से लटक रहा है. यह रस्सी लगभग 10 मीटर लंबी है. यह झाड़फानूस आज भी पिछले लगभग 500 वर्षों से लटक रहा है.
एक दिन गैलीलियो चर्च में बैठे-बैठे बोर हो रहे थे. उन्होंने झाड़फ़ानूस को बहुत धीरे-धीरे हिलते देखा. उन्होंने अपनी नब्ज की गति से उसके दोलन में लगनेवाले समय का पता लगाया. उनका यह मानना था कि उनकी नब्ज स्थिर थी क्योंकि वे शांत बैठे थे.
गैलीलीयो ने यह प्रयोग पेंडुलम पर दोहराया. उन्होंने देखा कि पेंडुलम के दोलनकाल पर इसकी लंबाई के घटने-बढ़ने का कोई खास प्रभाव नहीं पड़ रहा था. सामान्य शब्दों में कहें तो पेंडुलम के एक दोलन में समान समय ही लग रहा था भले ही वह अधिक दोलन कर रहा हो या कम.
सामान्य व्यक्तियों के लिए इस घटना में कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन इसने पृथ्वी पर एक क्रांति का आरंभ कर दिया. वस्तुओं की नापतौल, आंकड़ों का एकत्रीकरण, आंकड़ों का वैज्ञानिक अध्ययन – आज इन विचारों को हम इन्हें गंभीरता से नहीं लेते लेकिन गैलीलियो वह पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने यह कार्य बहुत कड़ी मेहनत और कुशलता से किया.
इसके कुछ वर्ष बाद गैलीलियो को एक टेलीस्कोप मिला. उन्होंने इसकी बनावट में कई सुधार किए और सौरमंडल का अवलोकन करने लगे. यहां भी उन्होंने महत्वपूर्ण आंकड़े जुटाना शुरु कर दिया. उनके आंकड़ों से यह स्पष्ट हो रहा था कि पृथ्वी ब्रह्मांड का केंद्र नहीं थी. इसका पता उन्हें दो तरह से चलाः पहला – उन्होंने देखा कि शुक्र ग्रह (Venus) भी चंद्रमा की तरह कलाओं का प्रदर्शन कर रहा था. शुक्र की यह कलाएं उसकी सूर्य की स्थिति के सापेक्ष थीं न कि पृथ्वी की स्थिति के सापेक्ष. दूसरा – ब्रहस्पति (Jupiter) की सतह पर कुछ धब्बे थे जो ब्रहस्पति के चारों ओर घूम रहे थे. गैलीलियो ने इन धब्बों को कई सप्ताह तक लगातार देखा और उनकी स्थिति को रिकॉर्ड किया. उन्होंने यह देखा कि ये धब्बे ब्रहस्पति के सामने आते थे और पीछे छुप जाते थे. इसका अर्थ यह था कि ब्रहस्पति पर धब्बे थे जो घूम रहे थे अर्थात ब्रहस्पति स्वयं घूम रहा था.
इन आंकड़ों का उपयोग करके उन्होंने गणितीय पद्धति से यह सिद्ध किया कि पृथ्वी का ब्रह्मांड का केंद्र होना संभव नहीं था.
Based on a Quora answer by Dave Consiglio. (featured image)