“मुझे कोई मार्ग नहीं सूझ रहा है. मैं हर समय उन चीज़ों के बारे में सोचता रहता हूँ जिनका निषेध किया गया है. मेरे मन में उन वस्तुओं को प्राप्त करने की इच्छा होती रहती है जो वर्जित हैं. मैं उन कार्यों को करने की योजनायें बनाते रहता हूँ जिन्हें करना मेरे हित में नहीं होगा. मैं क्या करूं?” – शिष्य ने गुरु से उद्विग्नतापूर्वक पूछा.
गुरु ने शिष्य को पास ही गमले में लगे एक पौधे को देखने के लिए कहा और पूछा कि वह क्या है. शिष्य के पास उत्तर नहीं था.
“यह बैलाडोना का विषैला पौधा है. यदि तुम इसकी पत्तियों को खा लो तो तुम्हारी मृत्यु हो जाएगी. लेकिन इसे देखने मात्र से यह तुम्हारा कुछ अहित नहीं कर सकता. उसी प्रकार, अधोगति को ले जाने वाले विचार तुम्हें तब तक हानि नहीं पहुंचा सकते जब तक तुम उनमें वास्तविक रूप से प्रवृत्त न हो जाओ”.
प्रेरणादायक ।
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INSPIRABLE……………………….
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बहुत ही शिक्षाप्रद और प्रेरक निशांत जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
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विचार बहुत सुंदर है….लिप्त नही होना चाहिए..सोच लेने मात्र से कुछ नही होता..सुंदर उपदेशक बातों के लिए बधाई..निशांत जी
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बहुतों के संकट हल कर दिए, इस कथा ने।
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सुन्दर प्रेरक पोस्ट आभार
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आभार इस पोस्ट के लिए/
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अधोगति को ले जाने वाले विचार तुम्हें तब तक हानि नहीं पहुंचा सकते जब तक तुम उनमें वास्तविक रूप से प्रवृत्त न हो जाओ”.
regards
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you r right
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aapko bahut – bahut dhanyavad. aaj mere bete ko iss vichar ko batakar mai khushi mahshush karungi . man ko shanti dene wala vichar hai . aage bhi aap aeise vichar se hame khusi denge.
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But, Watch your thoughts, they become words.
Watch your words, they become actions….
yeh bhi to kaha jata hai.
Phir?
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धन्यवाद. इसके लिए दूसरी कथा तक का इंतज़ार ठीक रहेगा:)
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पर विचार धीरे धीरे दृढ़ रूप ले क्रिया में प्रवत्त होते हैं ।
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Quite inspirational as always. Keep sharing !
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शानदार विचार।
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Nice thoughts…. makes me think that in life the semantics are more inportant but all we get stuck in usually are syntax…
Thanks for sharing a thought proviking post
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“अधोगति को ले जाने वाले विचार तुम्हें तब तक हानि नहीं पहुंचा सकते जब तक तुम उनमें वास्तविक रूप से प्रवृत्त न हो जाओ”
बिलकुल सही है … आपकी हर पोस्ट का अपना अलग ही महत्त्व होता है
मुझसे रहा नहीं गया इसलिए अपनी तरफ से कुछ लिख रहा हूँ…..
मेरे मन में भी ये ही तर्क उठा था की विचार से ही तो कर्म बनते हैं पर तब मैंने इसी पोस्ट को दोबारा तिबारा पढ़ा और निष्कर्ष निकाला की अगर उस वर्ग विशेष के मानवों की बात की जाए जो इस अपराध बोध में रहते हों की सिर्फ बुरे विचार आने भर को पाप मान लिया जाता है तो उनके मन में आये अपराध बोध को मिटाने के लिए ये शिक्षाप्रद प्रसंग है . एक प्रसंग से मिली शिक्षा सभी स्थानों पर फिट नहीं आ सकती … जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये प्रसंग है उस उद्देश्य की पूर्ति ये सहजता से कर रहा है .
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कुछ सार तर्क पेश कर रहा हूँ इस प्रसंग के पक्ष में
१. एक छोटी सी स्वतंत्रता किसी सुहृदय प्रतिभावान के हाथ में हो तो एक सकारात्मक क्रांति में सहयोगी बन सकती है और वही स्वतंत्रता किसी दुष्ट व्यक्ति के हाथ में विनाश भी ला सकती है . हथियारों पर ये बात बिलकुल फिट होती है.
२. कुछ मानसिक परेशानियों में ऐसा होता है की मानव किसी तरह के नकारात्मक विचार आने मात्र से अपने आप को अपराधी महसूस करने लगता है
३. अगर किसी शिक्षा प्रद कहानी को पढने के बाद भी को विरोधी तर्क मन में उठता है तो सिर्फ दो ही बातें हो सकती हैं या तो हम अर्जुन की तरह प्रश्न पूछ रहें हैं ……तब तो ठीक है पर अगर ऐसा नहीं है तो हमारे मन की स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह उठाना चाहिए
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निशांत जी , मैं इतने बड़े कमेंट्स के लिए क्षमा चाहता हूँ …अगर आप इन्हें गैर जरूरी समझे तो डिलीट कर दें , या मेरी बात से सहमत न भी हो अवश्य बता दें
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प्रिय गौरव, पोस्ट को विस्तार देने के लिए धन्यवाद.
कुछ भी एब्सोल्यूट नहीं है.
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eye opening story
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चलिए कई प्रश्नों के हल मिल गए इस प्रेरक-प्रसंग में … आभार !
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THANKS
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achchhe vichar hai tatha ise patha kar karya kshamata me vridhdhi hoti hai man me shanti aur ek samanit jiwan jine ka rah ki aur insan ke kadam badhate hai. pani ko niche ki taraf bahana aasan hai parantu uper ki or le jana bahut mehanat v sayam ki jarurat hoti hai so ham sab ko es taraf prayas karane chahiye. yadhyapi jhyan dena aasan hai par usako nibhane ke bahut prayas karane parate hai. ishwar ham ko shakti deve esi vichar ke sath
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सोच जीवन का हिस्सा है .श्वास सामान विचार भी लगातार चलते हैं .सोच वर्जित कभी नहीं होती. सामाजिक परिस्थितयां तै करती है क्या अच्छा है और क्या बुरा .यहाँ तक की एक के लिए जो वस्तु आनंद का साधन है दूसरे के लिए निषेध है .किसी विचार से तो कभी हानि नहीं होती, हाँ अपराधबोध ज़रूर जानलेवा होसकता है
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bahut khub
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बहुत बढ़िया!! प्रेरक विचार।
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Achchi soch se man ki chanchalta dur hoti hai……….
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gubbara apne colour k vajah se nahi udhta balki usme bhri hawa k vajh se udhta hai.
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प्रेरक विचार अच्छा है।
बधाई..निशांत
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बहुत सुन्दर प्रेरक विचार । ऐसे प्रेरणाप्रदायक लेख के लिये निशांत जी आपकोँ हार्दिक धन्यवाद ।
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inshan ke under do baty hoti hai. who hai man or atama. Man bahut hi chanchal hota hai. Her chij pany ki khanny ki or karny ki lalsa/chahat ki
yojana man hi man main banata hai. Dusari taraf atama hai jo achhe bury ki
jankari (karo or matkaro) aapke chanchal Man ko samay rahtay hi batata hai.
Aab yeh dono chij aap ke sharir main hai. Jo ke aapke control main hai.Aab
ushmay vash pana ya napana woh aap ke upper nerbhar karta hai.
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ya baat tho sach ki jab tak hum bura vichar par ammal nahi kartai tho vai huma kuch hani nahi paucha saktaa lakin jab bhe huma ya ashaas ho ki ya vichar bura tho uspar vichar karna zaruree tho nahi kuch accha vichar karna ke kosis kraa
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SIR: SAHI SIKSHA VA SAHI DISHA SUNDER SANSKARO KO JANAM DAYTEY HA. AUR SUNDE-SANSKARO KE DAWARA HI VYAKTI KE SUNDER KARMO KO JANA JHATA HA.
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khub sundar vichar hai nishant g aapke. Kitne sare bate kahati hai aapke is quite ne. thanks for sharing.
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यह सच में अच्छा पद और अद्भुत विचार है. धन्यवाद
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Agar aise vichar aayenge to kabi n kabi to us ke chakar me pad hi jayega .
to acha hoga ki aise vicharo ko aane hi nahi diya jaye matlab rok diya jaaye….
To aap bahut jyada bure vichar man me Iaate rhena ..fir dekhna aap kab tak bach kar rhete hai…
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bahoot achhe vichar
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कई प्रश्नों के हल मिल गए इस में
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AB MUJHE ISE PADNE KE BAD EK HI BAT LAG RAHI HAI………..RASTA SAF HAI….JIT KI OR AB ME BADUNGA HI………….THANKS 4 THAT
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bahut sundar vichaar
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thoughts is for remember
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Only a selfless person can realize God
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बहुत बढ़िया सीख …
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ma itna preshan tha in bure vicharo se ye pad kar 20 percent shanti mili hai yadi kisi ke pas is bare me ache vishar ho to please call me 09992222127 thankyou
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बात कुछ समझ नहीं आई, सब तो कहते हैं विचार अच्छे होने चाहिए, बाकी सबकुछ अच्छा अपने हो जाएगा, ये वृतांत कुछ और ही कह रहा है। कृपया स्पष्ट करें
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really guideful.
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gud story
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Dear sonali
जानना हि है तो उस खुदा को जानो,
मेरी क्या हस्ती है..
इन अनजान अजनबीयो के बीच,
अनजान मेरी मिट्टी है…!!
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guru NE sh hi k aha
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vah,aapne to kaiyon ko dozakh se bacha liya…kaiyon ko zannat bakhsh dee.
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but prabhu unchahe vicharo ko kaise dur karen
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bhut acha laga yar
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Hamare Nirnay hi hamara jivan ko disha pradaan karte hai
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your vichar n your story of pagalpan is realy heart touch thanks nishant g
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Atyant Uttam.
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bahut sahi yadi parinam jankar koi bura kaam chod diya jaiy to isse accha kya ho sakta hai.
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जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए ये प्रसंग है उस उद्देश्य की पूर्ति ये सहजता से कर रहा है .
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is duniya me jo bhi hain wo sab sankalp matra se hai. is liye hamare sankalp jitne drad honge utni hi unke pure hone ki sambhavna hoti hai. is liye apne sankalp se hone vale durvicharo ko bhi nakara nahi ja sakta kyo ki wo hamare antah karan ko dusit karte hain jiski vajah se suvichar ke aane ki sambhavna kam ho jati hai. ……………”jai sachchidanand” From Braham swarup
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AAP KE VICHAR BAHUAT ACHHE HAI .
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