जीवन के जोखिम

हंसने में मूर्ख समझ लिए जाने का खतरा है.

रोयें तो भावुक मान लिए जाने का खतरा है.

उंगली थमा दें तो हाथ जकड़े जाने का खतरा है.

अपनी बात रखें तो चुप कराये जाने का खतरा है.

किसी का कुछ ज़ाहिर कर दें तो अपने राज़ उभर आने का खतरा है.

अपनी सोच दुनिया तो बताएं तो सपनों के चोरी हो जाने का खतरा है.

प्यार तह-ए-दिल से करें तो बेवफाई का खतरा है.

जीने में मरने का खतरा है.

उम्मीदें पालें तो मायूसी का खतरा है.

कोशिश करें तो नाकामयाबी का खतरा है.

लेकिन जीवन में खतरे तो उठाने ही पड़ते हैं. बिना खतरों के जीवन भी कैसा जीवन! जीवन में खतरे नहीं उठाने पर दुःख-दर्द को कुछ दूर रखा जा सकता है लेकिन कुछ भी नया सीखने, महसूस करने, बदलने, बढ़ने, प्यार पाने, और जीने के लिए खतरे उठाने पड़ते हैं.

  • “जो दूर जाने का खतरा उठाते हैं वही जान पाते हैं कि कोई कितनी दूर तक जा सकता है” – टी एस एलियट
  • “यदि तुम सागरतट के ओझिल होने का खतरा नहीं उठा सकते तो नई जमीन की खोज करने के बारे में मत सोचो” – आंद्रे गीद
  • “अपना जीवन अपने हांथों में ले लो और देखो क्या होता है… तुम कभी किसी और को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकोगे” – एरीका लैंग
  • ”जो निशाने तुम नहीं लगाते हो वे 100 प्रतिशत चूक जाते हैं” – वेन ग्रेत्स्की

Photo by Jakob Owens on Unsplash

There are 11 comments

  1. Kavita Rawat

    हंसने में मूर्ख समझ लिए जाने का खतरा है.
    रोयें तो भावुक मान लिए जाने का खतरा है.
    उंगली थमा दें तो हाथ जकड़े जाने का खतरा है.
    अपनी बात रखें तो चुप कराये जाने का खतरा है.
    …sach mein bahut khatre hai jewan mein…. lekin khatron datkar mukabala karne wala hi udaharan pesh par paata hai…
    Prerak lekh aur uktiyon ke liye bahat dhanyavaad….

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  2. चिन्तन

    पार करना चाहते हो इस गरजते सिंधु को यदि,
    प्राण लेकर आज लहरों मे उतरना ही पडॆगा ॥
    ये तरगें दूर से चलकर तुम्हारे पास आतीं।
    उस नये जग के नये संदेश अपने साथ लाती ।
    कूल पर बैठे मनन करते रहोगे और कब तक ?
    हो मुखर उस पार वीणायें मधुर तुमको बुलाती ।
    चाहते यदि तुम नया जीवन , नया यौवन , नया मन ।
    आज बाहों मे उमडता सिधुं भरना ही पडेगा ॥

    तुम नया विशवास लेकर पग बढाओ आज अपना ।
    तुम नया इतिहास लेकर दृग उठाओ आज अपना ।
    छूट जाने दो बहुत पीछे पुराने इस गगन को ।
    तुम नया आकाश लेकर जग सजाओ आज अपना ।
    प्राण मे यदि हो रहे मुखरित नये निर्माण के स्वर
    आज कण-२ का नया श्रंगार करना ही पडेगा ॥

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