लक्ष्य पर दृष्टि और मन में आत्मविश्वास

florence chadwick


चार जुलाई, 1952 को फ्लोरेंस चैडविक कैटेलिना चैनल को तैर कर पार करनेवाली पहली महिला बनने जा रही थी. इंग्लिश चैनल पर वह पहले ही विजय प्राप्त कर चुकी थी. पूरी दुनिया इस करिश्मे को देख रही थी.

हड्डियाँ जमा देने वाले ठंडे पानी में कोहरे को चीरती हुई फ्लोरेंस आगे बढ़ रही थी. वहां शार्कों का खतरा भी था. फ्लोरेंस ने कई बार दूर तट देखने के लिए कोशिश की लेकिन घने कोहरे के कारण उसे कुछ दिखाई न दिया.

फ्लोरेंस ने हार मान ली. बाद में उसे यह जानकार बड़ा दुःख हुआ कि वह सागरतट से सिर्फ आधा मील दूर थी.

फ्लोरेंस ने हार इसलिए नहीं मानी कि वह वाकई तैरते-तैरते थक गई थी, बल्कि इसलिए कि उसे अपना लक्ष्य नहीं दिख रहा था.

इस बात को लेकर फ्लोरेंस ने कोई बहाना नहीं बनाया. उसने कहा – “मैं झूठ नहीं बोलूंगी… यदि मुझे जमीन धुंधली सी भी दिख जाती तो मैं तैर गई होती”.

दो महीने बाद वह वापस कैटेलिना चैनल की ओर आई. इस बार पहले से भी बुरे मौसम के बावजूद उसने न केवल चैनल को पार करनेवाली पहली महिला बनने का खिताब पाया बल्कि पुरुषों के रिकॉर्ड को भी दो घंटे के बड़े अंतर से पीछे कर दिया.

(A motivational / inspiring anecdote of Florence May Chadwick – in Hindi)

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