स्कॉट्लैंड में रहने वाला एक छोटा बालक अपनी दादी की रसोई में बैठा हुआ था. चूल्हे पर बर्तन चढ़े हुए थे और वह उनमें खाना बनता देखते हुए बहुत सारी चीज़ों के होने का कारण तलाश रहा था. वह हमेशा ही यह जानना चाहता था कि हमारे आसपास जो कुछ भी होता है वह क्यों होता है.
“दादी” – उसने पूछा – “आग क्यों जलती है?”
यह पहला मौका नहीं था जब उसने अपनी दादी से वह सवाल पूछा था जिसका जवाब वह नहीं जानती थी. उसने बच्चे के प्रश्न पर कोई ध्यान नहीं दिया और खाना बनाने में जुटी रही.
चूल्हे में जल रही आग पर एक पुरानी केतली रखी हुई थी. केतली के भीतर पानी उबलना शुरू हो गया था और उसकी नाली से भाप निकलने लगी थी. थोडी देर में केतली हिलने लगी और उसकी नली से जोरों से भाप बाहर निकलने लगी. बच्चे ने जब केतली का ढक्कन उठाकर अन्दर झाँका तो उसे उबलते पानी के सिवा कुछ और दिखाई नहीं दिया.
“दादी, ये केतली क्यों हिल रही है?” – उसने पूछा.
“उसमें पानी उबल रहा है बेटा”.
“हाँ, लेकिन उसमें कुछ और भी है! तभी तो उसका ढक्कन हिल रहा है और आवाज़ कर रहा है”.
दादी हंसकर बोली – “अरे, वो तो भाप है. देखो भाप कितनी तेजी से उसकी नली से निकल रही है और ढक्कन को हिला रही है”.
“लेकिन आपने तो कहा था कि उसमें सिर्फ पानी है. तो फिर भाप ढक्कन को कैसे हिलाने लगी?”
“बेटा, भाप पानी के गरम होने से बनती है. पानी उबलने लगता है तो वो तेजी से बाहर निकलती है” – दादी इससे बेहतर नहीं समझा सकती थी.
बच्चे ने दोबारा ढक्कन उठाकर देखा तो उसे पानी ही उबलता हुआ दिखा. भाप केवल केतली की नली से बाहर आती ही दिख रही थी.
“अजीब बात है!” – बच्चा बोला – “भाप में तो ढक्कन को हिलाने की ताकत है. दादी, आपने केतली में कितना पानी डाला था?”
“बस आधा लीटर पानी डाला था, जेमी बेटा”
“अच्छा, यदि सिर्फ इतने से पानी से निकलनेवाली भाप में इतनी ताकत है तो बहुत सारा पानी उबलने पर तो बहुत सारी ताकत पैदा होगी! तो हम उससे भारी सामान क्यों नहीं उठाते? हम उससे पहिये क्यों नहीं घुमाते?”
दादी ने कोई जवाब नहीं दिया. उसने सोचा कि जेमी के ये सवाल किसी काम के नहीं हैं. जेमी बैठा-बैठा केतली से निकलती भाप को देखता रहा.
* * * * * *
भाप में कैसी ताकत होती है और उस ताकत को दूसरी चीज़ों को चलाने और घुमाने में कैसे लगाया जाए, जेम्स वाट नामक वह स्कॉटिश बालक कई दिनों तक सोचता रहा. केतली की नली के आगे तरह-तरह की चरखियां बनाकर उसने उन्हें घुमाया और थोड़ा बड़ा होने पर उनसे छोटे-छोटे यंत्र भी चलाना शुरू कर दिया. युवा होने पर तो वह अपना पूरा समय भाप की शक्ति के अध्ययन में लगाने लगा.
“भाप में तो कमाल की ताकत है!” – वह स्वयं से कहता था – “किसी दानव में भी इतनी शक्ति नहीं होती. अगर हम इस शक्ति को काबू में करके इससे अपने काम करना सीख लें तो हम इतना कुछ कर सकते हैं जो कोई सोच भी नहीं सकता. ये सिर्फ भारी वजन ही नहीं उठाएगी बल्कि बड़े-बड़े यंत्रों को भी गति प्रदान करेगी. ये विराट चक्कियों को घुमाएगी और नौकाओं को चलाएगी. ये चरखों को भी चलाएगी और खेतों में हलों को भी धक्का देगी. हजारों सालों से मनुष्य इसे प्रतिदिन खाना बनाते समय देखता आ रहा है लेकिन इसकी उपयोगिता पर किसी का भी ध्यान नहीं गया. लेकिन भाप की शक्ति को वश में कैसे करें, यही सबसे बड़ा प्रश्न है”.
एक के बाद दूसरा, वह सैकडों प्रयोग करके देखता गया. हर बार वह असफल रहता लेकिन अपनी हर असफलता से उसने कुछ-न-कुछ सीखा. लोगों ने उसका मजाक उड़ाया – “कैसा मूर्ख आदमी है जो यह सोचता है कि भाप से मशीनें चला सकता है!”
लेकिन जेम्स वाट ने हार नहीं मानी. कठोर परिश्रम और लगन के फलस्वरूप उन्होंने अपना पहला स्टीम इंजन बना लिया. उस इंजन के द्वारा उन्होंने भांति-भांति के कठिन कार्य आसानी से करके दिखाए. उनमें सुधार होते होते एक दिन भाप के इंजनों से रेलगाडियां चलने लगीं. लगभग 200 सालों तक भाप के इंजन सवारियों को ढोते रहे और अभी भी कई देशों में भाप के लोकोमोटिव चल रहे हैं.
(A motivational / inspiring anecdote of James Watt and the power of steam – in Hindi)
अरे, लोककथाओं के ब्लॉग पर विज्ञान की बातें।
बढिया है। अगर यह नई शुरूआत है, तो बधाई और अगर स्वाद बदलने के लिए, तो भी बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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आपका प्रयास बहुत सराहनीय है, आपके द्वारा दी जा रही जानकारियों के लिये धन्यवाद !
महोदय, मैं अपने ब्लाँग पर हिन्दी में नहीं लिख पा रहा हूँ, क्रपया मुझे हिन्दी फ़ाँट में लिखने का तरीका बताने का कष्ट करें ।
मुझे किस फ़ाँट का उपयोग करना होगा । और उसे मैं अपने ब्लाँग पर कैसे लिख सकता । हूँ धन्यवाद !
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श्रीमान आपका प्रयास बहुत सराहनीय हे
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i am happy
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बहुत शानदार एवं बहुत प्रेरणादायक है,
आजकल माहौल ऐसा हो गया है कि स्कूलों में ये चीजें नही मिल रही।
लेकिन आप सबका काम Fantastic है।
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