महान भौतिकशास्त्री ‘मैक्स प्लांक’

max planck


मैक्स प्लांक (23 अप्रैल, 1858 – 4 अक्तूबर, 1947) महान भौतिकशास्त्री थे जिन्होंने क्वांटम फिजिक्स की नींव रखी. वे बीसवीं शताब्दी के महानतम वैज्ञानिक थे और उन्हें 1918 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्होंने अपने जीवन के पश्च भाग में बहुत से कष्ट झेले और जर्मनी में नाजी हुकूमत के दौरान उनका पूरा परिवार तबाह हो गया. आइंस्टाइन की भांति बड़े वैज्ञानिक उनके लिए भी यह कहते हैं कि आज भी उनके सिद्धांतों को पूरी तरह से समझनेवाले लोग बहुत कम हैं.

पंद्रह वर्ष की उम्र में मैक्स प्लांक ने अपने विद्यालय के भौतिकी के विभागाध्यक्ष से कहा कि वे भौतिकशास्त्री बनना चाहते हैं. विभागाध्यक्ष ने प्लांक से कहा – “भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें अब नया करने को कुछ नहीं रह गया है. जितनी चीज़ें खोजी जा सकती थीं उन्हें ढूँढ लिया गया है और भौतिकी का भविष्य धूमिल है. ऐसे में तुम्हें भौतिकी को छोड़कर कोई दूसरा विषय पढ़ना चाहिए.” – वास्तव में यह मत केवल प्लांक के विभागाध्यक्ष का ही नहीं थे. उस काल के कुछ बड़े वैज्ञानिक भी ऐसा ही सोचते थे.

लेकिन प्लांक ने किसी की न सुनी. लगभग 25 साल बाद क्वांटम फिजिक्स का आविर्भाव हुआ और प्लांक ने इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभाई. क्वांटम फिजिक्स के आते ही क्लासिकल फिजिक्स औंधे मुंह गिर गई.

* * * * *

1879 में प्लांक ने इक्कीस वर्ष की उम्र में भौतिकी में पीएचडी कर ली और बहुत कम उम्र में ही वे बर्लिन विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर बन गए. एक दिन वे यह भूल गए कि उन्हें किस कमरे में लेक्चर देना था. वे बिल्डिंग में यहाँ-वहां घूमते रहे और उन्होंने एक बुजुर्ग कर्मचारी से पूछा – “क्या आप मुझे बता सकते हैं कि प्रोफेसर प्लांक का लेक्चर आज किस कमरे में है?”

बुजुर्ग कर्मचारी ने प्लांक का कन्धा थपथपाते हुए कहा – “वहां मत जाओ, बच्चे. अभी तुम हमारे बुद्धिमान प्रोफेसर प्लांक का लेक्चर समझने के लिए बहुत छोटे हो.”

* * * * *

कहते हैं कि प्लांक के आने-जाने से लोग घड़ियाँ मिलाते थे. एक युवा भौतिकविद को इसपर विश्वास नहीं था इसलिए एक दिन वह उनके कमरे के बाहर खड़े होकर घड़ी के घंटे बजने की प्रतीक्षा करने लगा. जैसे ही घड़ी का घंटा बजा, प्लांक कमरे से बाहर निकले और गलियारे में से होते हुए चले गए. वह युवक उस कमरे तक गया जहाँ वे पढाने के लिए गए थे. जैसे ही प्लांक पढाकर चलने लगे, घड़ी ने अपने घंटे बजाए. गौरतलब है कि प्लांक अपने पास कोई भी घड़ी नहीं रखते थे.

* * * * *

जिस कार्य की नींव प्लांक ने रखी, उसे अलबर्ट आइंस्टाइन ने आगे बढाया. आइंस्टाइन ने एक बार प्लांक के बारे में कहा – “मैं जितने भी भौतिकशास्त्रियों से मिला हूँ उनमें वे सर्वाधिक बुद्धिमान थे… लेकिन भौतिकी की उनकी सोच मुझसे मेल नहीं खाती क्योंकि 1919 के ग्रहणों के दौरान वे रात-रात भर जाग कर यह देखने का प्रयास करते थे कि प्रकाश पर गुरुत्वाकर्षण बल का क्या प्रभाव पड़ता है. यदि उनमें सापेक्षता के सिद्धांत की समझ होती तो वे मेरी तरह आराम से सोया करते.”

(Anecdotes of Max Plank – Physicist – Hindi)

There are 4 comments

    1. Nishant

      🙂
      पहेली के आलोचक कम हैं और प्रशंसक ज्यादा.
      क्या करूँ….
      तय किया है कि कभी-कभार एकाध पहेली पूछ लिया करूँगा. रेगुलरली नहीं.
      आखिर ब्लौग ही ऐसी जगह है जहाँ लोग ट्रेफिक पसंद करते हैं.

      पसंद करें

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.