रिसर्च

बहुत साल पहले विश्वप्रसिद्ध जॉन्स होपकिंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों ने वरिष्ठ विद्यार्थियों को यह प्रोजेक्ट वर्क दिया : झुग्गी बस्तियों में जाओ। 12 से 16 साल की उम्र के 200 लड़कों को चुनो, उनके परिवेश और पारिवारिक पृष्ठभूमि का अध्ययन करो। इस बात का अनुमान लगाओ कि उन लड़कों का भविष्य कैसा होगा।

सभी विद्यार्थी अच्छी तैयारी से असाइंमेंट करने के लिए गए। उन्होंने लड़कों से मिलकर उनके बारे में जानकारियां जुटाईं। सारे आंकडों का विश्लेषण करने के बाद विद्यार्थी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि लगभग ९०% लड़के भविष्य में कभी-न-कभी जेल ज़रूर जायेंगे।

इस प्रोजेक्ट के 25 साल बाद वैसे ही स्नातक विद्यार्थियों को उसी बस्ती में भेजा गया ताकि बरसों पहले की गयी भविष्यवाणी की जांच की जा सके। कुछेक को छोड़कर सारे लड़के उन्हें उसी बस्ती में मिल गए। वे सभी अब प्रौढ़ युवक बन गए थे। 200 लड़कों में से 180 लड़के यहाँ-वहां मिल गए। विद्यार्थियों को यह जानकर आश्चर्य हुआ कि 180 में से केवल 4 लड़के ही किसी-न-किसी मामले में कभी जेल गए।

रिसर्च करने वाले भी यह जानकर सोच में पड़ गए। अपराध की पाठशालाओं के रूप में कुख्यात ऐसी गन्दी बस्तियों में से एक में उन्हें ऐसे नतीजे मिलने की उम्मीद नहीं थी। ऐसा कैसे हुआ?

सभी को एक ही जवाब मिलता था – “एक बहुत भली शिक्षिका थी जो हमें पढ़ाया करती थी…”

और जानकारी जुटाने पर यह पता चला कि 80% मामलों में एक ही महिला का जिक्र होता था। किसी को भी अब यह पता नहीं था कि वो कौन थी, कहाँ रहती थी। बड़ी मशक्कत के बाद आख़िर उसका पता चल ही गया।

वह बहुत बूढ़ी हो चुकी थी और एक वृद्धाश्रम में रह रही थी। उससे पूछा गया कि उसने इतने सारे लड़कों पर इतना व्यापक प्रभाव कैसे डाला। क्या कारण था कि वे लड़के 25 साल बीत जाने पर भी उसे याद रख सके।

“नहीं… मैं भला कैसे किसी को इतना प्रभावित कर सकती थी…” – फ़िर कुछ देर अतीत के गलियारों से अपनी स्मृतियों को टटोलने के बाद उसने कहा – “मैं उन लड़कों से बहुत प्रेम करती थी…”

Photo by Anders Nord on Unsplash

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