आस्था

समुद्री यात्रा के दौरान एक बड़ी नाव दुर्घटनाग्रस्त हो गयी और केवल एकमात्र जीवित व्यक्ति एक निर्जन टापू के किनारे लग पाया। वह अपने जीवन की रक्षा के लिए ईश्वर की प्रार्थना करने लगा। कुछ समय बाद कुछ लोग एक नाव में आए और उन्होंने उस आदमी से चलने को कहा।

“नहीं, धन्यवाद” – आदमी ने कहा – “मेरी रक्षा ईश्वर करेगा”।

नाव में बैठे लोग उसको समझा नहीं पाए और वापस चले गए। टापू पर मौजूद आदमी और अधिक गहराई से ईश्वर से प्रार्थना करने लगा। कुछ समय बाद एक और नाव आई। नाव में आए लोगों ने फ़िर से उस आदमी को साथ चलने के लिए कहा। आदमी ने फ़िर से विनम्रतापूर्वक मना कर दिया – “मैं ईश्वर की प्रतीक्षा कर रहा हूँ कि वे आयें और मुझे बचाएं।”

समय बीतता गया। धीरे-धीरे उस आदमी की श्रद्धा डगमगाने लगी। एक दिन वह मर गया। ऊपर पहुँचने पर उसे ईश्वर से बात करने का एक मौका मिला। उसने ईश्वर से पूछा:

“आपने मुझे मरने क्यों दिया? आपने मेरी प्रार्थनाएं क्यों नहीं सुनीं?”

ईश्वर ने कहा – “अरे मूर्ख! मैंने तुम्हें बचाने के लिए दो बार नावें भेजीं थीं!”

Photo by Joshua Earle on Unsplash

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