एक दाढ़ीवाले आदमी ने नाई की दुकान में जाकर उस्ताद नाई से कहा – “मैं एक और निकाह करने जा रहा हूँ. तुम मेरी दाढ़ी में से सारे सफ़ेद बाल अलग कर दो.”
उस्ताद नाई ने कैंची उठाकर पलक झपकते ही कच्च-कच्च करके पूरी दाढ़ी काट दी और उसे आदमी के हाथ में थमाकर कहा – “मेरे पास वक़्त नहीं है. तुम खुद ही सफ़ेद बाल छांट लो.”
(मसूद फरज़ान की कहानी – A Sufi story by Massud Farzan – in Hindi)
वाह बहुत ज्ञानवर्धक गहरी सोच
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very nice
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मजेदार.
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एक को छिपाने के लिये सबको रंगना भी पड़ता है ।
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वाह मजेदार कहानी।
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गागर में सागर!
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Wah Kya baat hai.
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बहुत बढिया।
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किसने कहा पढ़े-लिखे ज़्यादा समझदार होते हैं?
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हा..हा..हा…हा…
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ha ha ha ha ha meze k kuwa tha
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