हरदीप असरानी कानपुर में रहते हैं और इनके दो प्रिंसिपल इंट्रेस्ट हैः वर्डप्रेस और प्रो-रेसलिंग. हरदीप वर्डप्रेस डेवलपर हैं और वर्डप्रेस थीम्स और प्लगिन बनाते हैं. ये Theme Isle के सपोर्ट निंजा / डेवलपर हैं.
मुझे हरदीप के बारे में क्वोरा पर पता चला जहां इन्होंने वर्डप्रेस और ब्लॉगिंग पर कई सवालों के जवाब दिए हैं. आठ साल पहले मैंने हिंदीज़ेन ब्लॉग वर्डप्रेस पर शिफ़्ट किया था और उन दिनों ब्लॉगिंग पर कुछ पोस्टें लिखी थीं. ब्लॉगिंग मेरे लिए नई चीज़ थी और लिखने का जोश पूरे उफान पर रहता था. मैं और दूसरे कई ब्लॉगर अपनी-अपनी कैपेसिटी में पोस्ट लिखकर दूसरों को जानकारी देते थे. तब से अब तक ब्लॉगिंग ने कई हमले झेले हैं. न जाने कितनी ही बार सोशल मीडिया के आगे इसके दम तोड़ने की बातें सुनने को मिलीं लेकिन अपनी बात को सबसे बेहतर तरीके से दुनिया के सामने रखने का यह मीडियम हमेशा बना और निखरता रहेगा.
बहरहाल, बात हरदीप की हो रही थी. हरदीप ने एक सवाल “What advice(s) would you give to someone who’s very new to blogging?” (नए ब्लॉगरों के लिए आप कैसी सलाह देंगे?) के जवाब में संक्षेप में जो कुछ भी कहा है उससे मैं सहमति रखता हूं और उसे हिंदी में प्रस्तुत कर रहा हूं, कुछ जगहों पर मैंने अपनी बात भी जोड़ी है लेकिन मूल बिंदु हरदीप के हैं –
1. किसी का कंटेंट कॉपी नहीं करें –
ज्यादार नए ब्लॉगर अपना ब्लॉग बनाने के बाद पोस्ट करने के लिए अच्छी सामग्री न होने के कारण दूसरों का कंटेंट कॉपी करने लगते हैं. आप इस बात को समझिए कि Ctrl + C – Ctrl + V करने का नाम ब्लॉगिंग नहीं है. किसी दूसरे ब्लॉग की सामग्री कॉपी करके या कई सोर्सेज़ से सामग्री जोड़कर आप बहुत सारा समय बचा सकते हैं और एक दिन में ही अपने ब्लॉग में कई आर्टिकल पोस्ट कर सकते हैं, लेकिन ये ट्रिक आपको ज्यादा दूर तक नहीं ले जा पाएगी. नए टॉपिक्स खोजिए, अपनी सोच को विस्तार दीजिए और फिर कुछ ऐसा लिखिए जो यूनीक हो. याद रखिए कि स्मार्ट रीडर्स को आपकी पोस्ट की क्वालिटी आंकने में दो मिनट भी नहीं लगेंगे. गलती से आपने किसी का कॉपीराइटेड कंटेंट पूरा-का-पूरा उड़ा लिया तो वह गूगल को रिपोर्ट करके आपका ब्लॉग बंद भी करवा सकता है.
किसी भी सोर्स से (किसी किताब से भी) सामग्री कॉपी करके इंटरनेट पर पोस्ट करना प्लेजिएरिज़्म (plagiarism) कहलाता है. विकीपीडिया से कोई जानकारी कॉपी करके अपना स्कूल या कॉलेज का एसाइनमेंट पूरा करने पर हो सकता है आपकी चोरी पकड़ी न जाए लेकिन ब्लॉगिंग के मामले में सर्चइंजन देरसबेर आपको पहचान लेंगे और आपके ब्लॉग पर हिट्स तेजी से कम होने लगेंगी. इसका सीधा असर आपकी इन्कम पर पड़ेगा.
यदि आप किसी उपयोगी विषय पर कुछ लिखना चाहते हैं (भले ही आपसे पहले सैंकड़ों लोग उसपर लिख चुके हों) तो सबसे पहले उस फ़ील्ड में अपना ज्ञान बढ़ाइए, कुछ रिसर्च कीजिए. एक ड्राफ्ट लिखने के बाद उसे बार-बार देखकर अच्छी तरह से एडिट कीजिए, फिर पोस्ट कीजिए. इस तरह लिखी गई पोस्ट की वैल्यू अधिक होगी और वह आपको बेहतर राइटर या ब्लॉगर बनने में सहायक होगी.
2. भारी-भरकम या जटिल ले-आउट का प्रयोग न करें –
नए ब्लॉगर बहुत तड़क-भड़क वाले ले-आउट्स या कॉम्प्लैक्स थीम्स का उपयोग करने लगते हैं. आपके नए-नवेले ब्लॉग को तरह-तरह के स्लाइडर, होमपेज स्टाइल्स और प्रीमीयम प्लगिन्स की ज़रूरत नहीं है. सबसे पहले आप यह जानने की कोशिश करें कि आपके नीश (niche) और वीज़न के लिए किस तरह का ले-आउट ज्यादा अनुकूल रहेगा. क्या आपको वाकई स्लाइडर की ज़रूरत है? मुझे स्लाइडर पसंद नहीं हैं. वे ब्लॉग की विज़ुअल अपील नहीं बढ़ाते. यदि आपको अपने ब्लॉग में स्लाइडर रखना ही तो यह बात ध्यान में रखनी होगी कि स्लाइडर के उपयोग से वेबसाइट स्लो हो जाती हैं. कोई भी स्लो वेबसाइट पसंद नहीं करता और अब तो गूगल भी साइट्स को रैंकिंग देने में उनकी स्पीड को ध्यान में रखता है.
यदि आपका ब्लॉग पर्सनल है या किसी कंपनी से संबंधित है तो उसमें कोई फंकी फ़ैशनेबल थीम लगा देने से साइट अटपटी लगने लगती है. आप अपने ब्लॉग के लिए ऐसी थीम चुनें जिसमें आपके रीडर्स को सामग्री देखने या खोजने में कोई असुविधा न हो. एक बढ़िया थीम आपके ब्लॉग पर यूज़र एंगेजमेंट बढ़ा सकती है. यह भी ज़रूरी है कि आपकी साइट तेजी से लोड हो और उसके होमपेज का साइज़ कम हो. आपको अपने ब्लॉग में हैडर, साइडबार, और फुटर में हर जगह सोशल मीडिया लिंक्स लगाने और फालतू के विजेट्स जैसे क्लॉक और विज़िटर काउंटर वगैरह लगाने से भी परहेज़ करना चाहिए.
3. आप गूगल को चकमा नहीं दे सकते –
आप कैसी भी SEO ट्रिक का उपयोग कर लें लेकिन गूगल जैसे सर्चइंजन को बेवकूफ़ नहीं बना सकते. यदि आपने किसी तरह गूगल पर बढ़त ले भी ली तो भी आपकी खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकेगी. गूगल को जल्द ही आपकी चालबाजियों का पता चल जाएगा और वह आपके ब्लॉग या एडसेंस अकाउंट पर कोई बड़ी पैनाल्टी लगा देगा जिससे छुटकारा पाना आसान नहीं होगा. यदि आप या आपके SEO गुरु या वेबमास्टर यह सोचते हैं कि आप गूगल की विशालकाय स्मार्ट टीम के बनाए पैरामीटर्स को धता बता सकते हैं तो आपकी गलतफ़हमी ज्यादा दिन तक नहीं टिकेगी. गूगल अपने सर्च एल्गोरिदम को हमेशा अपडेट करता रहता है और कई बार बड़े-से-बड़े SEO एक्सपर्ट की ट्रिक्स धरी-की-धरी रह जाती हैं. गूगल के बड़े अपडेट्स आने के बाद रोज़ाना लाखों हिट्स पानेवाली साइट्स का ट्रेफिक धड़ाम से गिर जाता है और उन्हें वापस खड़े होने में बहुत ज्यादा मेहनत और समय लग जाता है.
हम 2016 में हैं और इस युग में कोई ब्लैक-हैट SEO रणनीति काम नहीं करेगी. आपके कंटेंट की क्वालिटी ही इसका फैसला करेगी कि आप कितनी दूर तक जा पाएंगे.
4. क्वालिटी और क्वांटिटी का समीकरण –
जब मैंने ब्लॉगस्पॉट पर यह ब्लॉग 2007 में शुरु किया था तब मेरे सामने एक उद्देश्य था. मैं उन ज़ेन कहानियों का अनुवाद करता था जो कहीं उपलब्ध नहीं थीं. ज़ेन से शुरु होकर ब्लॉग की धारा ताओ, सूफ़ी और भारतीय परंपरा की कथाओं की ओर मुड़ी और फिर प्रेरक प्रसंगों और लेखों का इसमें समावेश होने लगा. मैंने क्वालिटी पर हमेशा ही बहुत ध्यान दिया. मैंने कभी भी रोमनागरी या अंग्रेजी शब्दों का अंधाधुंध प्रयोग नहीं किया. उन दिनों हिंदी ब्लॉगों से कोई कमाई होने की उम्मीद नहीं थी. मैंने इसमें वह सामग्री नहीं डाली तो कहीं और पहले से ही उपलब्ध थी. मेरा सारा फोकस कंटेंट की क्वीलिटी पर था. पाठकों को रिझाना मेरा मकसद नहीं था. मैं उपयोगी सामग्री वाला ऐसा ब्लॉग बनाना चाहता था जिसमें लोगों को कुछ नया पढ़ने को मिले. ब्लॉग खुलते ही तीन कोनों से उचकनेवाले पॉप-अप्स विज्ञापन और साइन-अप फ़ॉर्म लगाने की बजाए मैंने क्वालिटी पर फ़ोकस किया.
यदि मैं आपको 16GB सिंगल सिम नो मेमोरी कार्ड वाले आईफ़ोन और 64GB डुएल-सिम मल्टी-मेमोरी कार्ड वाले मेड-इन-चाइना मोबाइल में से एक चीज़ चुनने को कहूं तो आप क्या लोगे? ठीक इसी तरह आपको ऐसा ब्लॉग नहीं बनाना है जिसमें एक सप्ताह में 70 घटिया पोस्टें पब्लिश हों बल्कि ऐसा ब्लॉग बनाना है जिसमें सप्ताह में भले ही तीन-चार पोस्टें आएं पर जिन्हें बहुत ध्यान से लिखा गया हो. इसी के साथ ही जब कहने के लिए कुछ न हो तो ऐसी पोस्ट लिखने की भी कोई ज़रूरत नहीं जिसे पढ़ने में आधा घंटा लग जाए.
5. एलेक्सा और पेजरैंक के चक्कर में नहीं पड़ना –
नए ब्लॉगर कुछ पोस्ट लिखते ही इंटरनेट पर अपनी रैंकिंग चैक करने और उसे सुधारने की फिक्र में पड़ जाते हैं. मैं लोगों के लिए पांच साल से ब्लॉग बना रहा हूं और मेरे कुछ ब्लॉग एलेक्सा में टॉप 50,000 तक पहुंच चुके हैं. एलेक्सा रैंक सुधारने के उपाय सुझानेवाले ज्यादातर ब्लॉग्स एक ज़रूरी टिप पर फोकस नहीं करते जो सबसे महत्वपूर्ण है, और वह है ब्लॉग की क्वालिटी मैंटेन करना.
मैं अपनी एलेक्सा रैंक कभी चैक नहीं करता. मैं इसके बारे में कभी नहीं सोचता. मैं केवल अपने ब्लॉग और उसके कंटेंट पर ध्यान लगाता हूं. मेरा लक्ष्य केवल अच्छी और उपयोगी पोस्टें लिखना है न कि ट्रिक्स इस्तमाल करते रहना. बहुत तगड़ा कंपीटीशन होने के बाद भी क्वालिटी का कम करने पर पांच-छः महीने में अच्छे परिणाम मिलने लगते हैं.
इस युग में (और किसी भी युग में) लंबे समय तक सफलता का स्वाद लेने के लिए काम की गुणवत्ता बनाए रखने का कोई विकल्प नहीं है.
6. ब्लॉग के बाहर भी एक दुनिया है –
ब्लॉगिंग बहुत मजेदार एक्टीविटी है और लोग इसके लिए दीवाने हो सकते हैं. यदि आपमें कुशलता और पैशन है तो ब्लॉगिंग की लत आपको प्रोफेशनल ब्लॉगर बना सकती है जिससे आपकी ठीक-ठाक इन्कम भी हो सकती है. ब्लॉगिंग का शायद एक ही निगेटिव प्रभाव है… बहुत अधिक ब्लॉगिंग आपको आपके परिवार और दोस्तों से अलग कर देती है. वे आपके साथ समय गुज़ारना चाहते हैं लेकिन आपके कुछ टारगेट और कमिटमेंट होते हैं जिनकी आप उपेक्षा नहीं कर सकते. ऐसे में आपको दोनों चीजों के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश कीजिए. कभी-कभी ब्लॉगिंग की दुनिया से बाहर निकलकर असली दुनिया का अनुभव लेना बहुत ज़रूरी हो जाता है. यदि आप ब्लॉग में अपने और दुनिया के बारे में लिखते हैं तो आपको अपनी पोस्टें सड़क पर या किसी कॉफ़ी शॉप में भी मिल सकती हैं.
कुल मिलाकर ’कंटेंट, कंटेंट और कंटेंट’- इसके अलावा कुछ नहीं, और वह भी मौलिक। हिन्दीज़ेन का लक्ष्य भी यही है और हम-से ब्लॉगरों का अभीष्ट भी!
पसंद करेंपसंद करें
नमस्ते हिमांशु जी! बहुत दिनों बाद! 🙂
आपका पोडकास्ट बहुत सुनकर अच्छा लगा, थोड़ी तकनीकी दिक्कत थी मेरी तरफ़, फिर भी.
हिंदीज़ेन पर सक्रियता बढ़ाई है. कोशिश करूंगा बेहतर चीजें जल्दी-जल्दी सामने ला सकूं.
पसंद करेंपसंद करें
बहुत सी बातें तो हमें पता थीं, परंतु वापिस से पढ़कर अच्छा लगा, और वैसे भी आजकल ऑनलाईन इतनी सारी चीजें हैं कि पता ही नहीं चलता कि किस किस पर अमल करना चाहिये
पसंद करेंपसंद करें
So nicely written. Padhakar maza aa gya. Sir main bhi competition se bahar nikal chuka hu. Main bus khud or behtar banane ki koshish kar raha hu. Mera kisi se bhi competition nahi hai.
पसंद करेंपसंद करें
बढिया है! खूबसूरत !
पसंद करेंपसंद करें
naye bloggers ke liye kafi achhi or jaruri jankari
पसंद करेंपसंद करें
हैलो पुष्पेंद्र. मुझे उम्मीद है कि इस पोस्ट से आपकी जानकारी में कुछ बढ़त ज़रूर हुई होगी. धन्यवाद.
पसंद करेंपसंद करें
Very helpful post for newbie.I started my blog last week and I was checking mainly my alexa rank thanks a lot for suggestion for aexa ranking that it is not so much important in early phase.
पसंद करेंपसंद करें
Bahut hi acchi post….mere bahut kaam ki hai…..dhanyavad aapka……
पसंद करेंपसंद करें
मुझे blogging कुछ ही समय पहले शुरू की है और आपके इस article मुझे बहुत मदद मिली है.
पसंद करेंपसंद करें
आप कि ये बाते सच मे बहुत हि महत्वपूर्न है नये bloggers के लिये।
पसंद करेंपसंद करें
main blog ke bare mein kuchh nain janta hoon.kintu achanak hindizen blog khul jane se aaj dinank 14-10-2016 se main bhi apna blog banana chahta hoon.jismen yah margdashan mere kafi kaam aayega.iske liye apko bahut bahut dhanyabad.
पसंद करेंपसंद करें
bhot hi acha likha hai aapne thank you for this post 🙂
पसंद करेंपसंद करें
Hello sir, मैंने अपने ब्लॉग को एडसेंस को सेंड किया तो उसने मेरी request ठुकरा दी है…
अमान्य क्लिक की warning देकर मेरे अकाउंट को अस्वीकृत कर दिया गया है।
कृपया मेरी वेबसाइट का विश्लेषण कर आप बताइए कि ऐसा क्यों हुआ???
पसंद करेंपसंद करें
एड सेंस का अकाउंट अस्वीकृत होना और बंद कर दिया जाना दोनों अलग-अलग बातें हैं. आपकी बात पढ़कर समझ में नहीं आ रहा है कि “ब्लॉग को एडसेंस को सेंड किया” का क्या अर्थ है. यदि आपका एडसेंस अकाउंट एक्टिव था तो अमान्य क्लिकिंग, कॉपीराइट इशूज़, आदि एकाउंट कैंसिल होने के कारण हो सकते हैं.
पसंद करेंपसंद करें