नये साल की शुभकामनाएँ!
खेतों की मेड़ों पर धूल-भरे पाँव को,
कुहरे में लिपटे उस छोटे-से गाँव को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
जाते के गीतों को, बैलों की चाल को,
करघे को, कोल्हू को, मछुओं के जाल को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
इस पकती रोटी को, बच्चों के शोर को,
चौंके की गुनगुन को, चूल्हे की भोर को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
वीराने जंगल को, तारों को, रात को,
ठण्डी दो बन्दूकों में घर की बात को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
इस चलती आँधी में हर बिखरे बाल को,
सिगरेट की लाशों पर फूलों-से ख्याल को,
नए साल की शुभकामनाएँ!
कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को,
हर नन्ही याद को, हर छोटी भूल को,
नये साल की शुभकामनाएँ!
उनको जिनने चुन-चुनकर ग्रीटिंग कार्ड लिखे,
उनको जो अपने गमले में चुपचाप दिखे,
नये साल की शुभकामनाएँ!
सर्वेश्वर जी का अंदाज ही नया होता था. नया साल मुबारक.
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सुदूर खूबसूरत लालिमा ने आकाशगंगा को ढक लिया है,
यह हमारी आकाशगंगा है,
सारे सितारे हैरत से पूछ रहे हैं,
कहां से आ रही है आखिर यह खूबसूरत रोशनी,
आकाशगंगा में हर कोई पूछ रहा है,
किसने बिखरी ये रोशनी, कौन है वह,
मेरे मित्रो, मैं जानता हूं उसे,
आकाशगंगा के मेरे मित्रो, मैं सूर्य हूं,
मेरी परिधि में आठ ग्रह लगा रहे हैं चक्कर,
उनमें से एक है पृथ्वी,
जिसमें रहते हैं छह अरब मनुष्य सैकड़ों देशों में,
इन्हीं में एक है महान सभ्यता,
भारत 2020 की ओर बढ़ते हुए,
मना रहा है एक महान राष्ट्र के उदय का उत्सव,
भारत से आकाशगंगा तक पहुंच रहा है रोशनी का उत्सव,
एक ऐसा राष्ट्र, जिसमें नहीं होगा प्रदूषण,
नहीं होगी गरीबी, होगा समृद्धि का विस्तार,
शांति होगी, नहीं होगा युद्ध का कोई भय,
यही वह जगह है, जहां बरसेंगी खुशियां…
-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
नववर्ष आपको बहुत बहुत शुभ हो…
जय हिंद…
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it is very nice well,it may help in my work heads of you who have written
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सबको, सबका सुख भाव प्रेषित हो।
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नव वर्ष सबके लिए अपार खुशियाँ लाये …बहुत शुभकामनायें !
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आपको भी मेरी शुभकामनाएँ!
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आपकी यह पोस्ट मन के बहुत से तारों को झंकृत कर गयी. धन्यवाद .
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नए साल की शुभकामनाये
Madhav’s Magic Blog
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एक नये अन्दाज में पढ़ कर अच्छा लगा नये साल का स्मरण। शुभकामनायें।
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सही समय पर सही कविता!
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सुंदर कविता है जी.
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बहुत अच्छी कविता है।नये साल 2012 की हार्दिक शुभकामनायेँ
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दिल को छू लिया
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सर्वेश्वर दयाल जी आपकी धूप ही ओढ़िये बिछाइये वाली कविता पढ़ी ..बहुत अच्छी लगी …टिप्प्णी का ऑप्शन वहाँ नहीं मिला तो यहाँ तक पहुंचे …ये कविता भी मुस्कराहट दे गई…
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