ईसप की छोटी-छोटी कहानियां महान सत्यों से हमारा परिचय करातीं हैं. हम सभी ने ईसप की वह कहानी पढ़ी है जिसमें एक शरारती लड़का “भेड़िया आया, भेड़िया आया” का शोर मचाकर हमेशा ही गांववालों को डरा देता है. गांव के बाहर जब भेड़ें चरती रहतीं हैं तब वह गांववालों को परेशान करने के लिए शोर मचाता है – “बचाओ, बचाओ! भेड़िया आया, भेड़िया आया”.
शोर सुनकर गांववाले दौड़े-दौड़े वहां पहुंचते हैं पर उन्हें कोई भेड़िया नहीं मिलता. शरारती लड़का उनको परेशान देखकर हंसता है. ऐसा कई बार होता है. बेचारे गांववाले अपनी भेड़ें बचाने के लिए भागते हैं लेकिन हरबार बेवकूफ बन जाते हैं.
एक दिन ऐसा होता है कि वाकई एक भेड़िया वहां आकर भेड़ों के झुंड पर हमला बोल देता है. लड़का अत्यंत भयभीत होकर गांववालों को मदद के लिए पुकारता है – “बचाओ, बचाओ भेड़िया आया, भेड़िया आया”. लेकिन गांववाले उसकी गुहार को शरारत मानकर अनसुना कर देते हैं. वे इसे हरबार की तरह उसकी शैतानी समझकर इसपर विश्वास नहीं करते. लड़के की भेड़ें भेड़िये का शिकार बन जाती हैं.
इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है : जब लोग झूठ बोलते हैं तब वे अपनी विश्वसनीयता खो देते हैं. अपनी विश्वसनीयता खो देने के बाद वे सच भी बोलें तो भी लोग उनका यकीन नहीं करते हैं.
“ईमानदार आदमी बनकर देखो और तुम पाओगे कि दुनिया से एक बेईमान कम हो गया है” – थॉमस कार्लाइल
(A motivational / inspiring fable of Aesop – a boy and his sheep – wolf – in Hindi)
यह कहानी हमारी गलती का एहसास कराती है
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