मुल्ला नसरुद्दीन के गुरु की मज़ार

Harar


मुल्ला नसरुद्दीन इबादत की नई विधियों की तलाश में निकला. अपने गधे पर जीन कसकर वह भारत, चीन, मंगोलिया गया और बहुत से ज्ञानियों और गुरुओं से मिला पर उसे कुछ भी नहीं जंचा.

उसे किसी ने नेपाल में रहनेवाले एक संत के बारे में बताया. वह नेपाल की ओर चल पड़ा. पहाड़ी रास्तों पर नसरुद्दीन का गधा थकान से मर गया. नसरुद्दीन ने उसे वहीं दफ़न कर दिया और उसके दुःख में रोने लगा. कोई व्यक्ति उसके पास आया और उससे बोला – “मुझे लगता है कि आप यहाँ किसी संत की खोज में आये थे. शायद यही उनकी कब्र है और आप उनकी मृत्यु का शोक मना रहे हैं.”

“नहीं, यहाँ तो मैंने अपने गधे को दफ़न किया है जो थकान के कारण मर गया” – मुल्ला ने कहा.

“मैं नहीं मानता. मरे हुए गधे के लिए कोई नहीं रोता. इस स्थान में ज़रूर कोई चमत्कार है जिसे तुम अपने तक ही रखना चाहते हो!”

नसरुद्दीन ने उसे बार-बार समझाने की कोशिश की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. वह आदमी पास ही गाँव तक गया और लोगों को दिवंगत संत की कब्र के बारे में बताया कि वहां लोगों के रोग ठीक हो जाते हैं. देखते-ही-देखते वहां मजमा लग गया.

संत की चमत्कारी कब्र की खबर पूरे नेपाल में फ़ैल गयी और दूर-दूर से लोग वहां आने लगे. एक धनिक को लगा कि वहां आकर उसकी मनोकामना पूर्ण हो गयी है इसलिए उसने वहां एक शानदार मज़ार बनवा दी जहाँ नसरुद्दीन ने अपने ‘गुरु’ को दफ़न किया था.

यह सब होता देखकर नसरुद्दीन ने वहां से चल देने में ही अपनी भलाई समझी. इस सबसे वह एक बात तो बखूबी समझ गया कि जब लोग किसी झूठ पर यकीन करना चाहते हैं तब दुनिया की कोई ताकत उनका भ्रम नहीं तोड़ सकती.

There are 5 comments

  1. rafatalam

    हिटलर का साथी गोब्बेल्स कहता था झूँठ को सो बार दोहराने से वोह सच हो जाती है .मुल्ला नसरुद्दीन का आपने सुंदर एवं प्ररेक प्रसंग लिखा है .यह और बात है भेड़ चाल वाली दुनिया में फर्जी चमत्कारों से रोज कोई देवता या सय्यद बाबा प्रकट हो रहे हैं और आस्था के नाम पर खुले ठगी हो रही है और सभी सर झुका कर ही चलते है. कभी रुडीवश ,कभी तथाकथिक बाबाओं के मुस्टंडों के डर से,तो कभी हमें क्या भाड़ में जायें वाले एटीचूड के कारण.
    बहारहाल आपकी अन्य प्रेरक कथाओं की तरह यह भी मनभावन है .

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  2. girlsguidetosurvival

    wah to मुल्ला नसरुद्दीन के गुरु की मज़ार hai,

    Hamare muhale mein beech chaurahe ke to ek nayi devi pragat ho gayi thi jo na jane kya kya mansayein poori karne ki shakti rakhti thi. Shakti ka to pata nahin, phool wale, mithai wale aur aur joote ke rakhwali karne wale ki dukan zaroor chal nikali 🙂 Muncipality ti zamin par kabje ka accha tareeka hai…

    Par kushi ki baat hai ki muhale ki aurton to ghar se nikal ne ka bahana sahaj hi mil gaya…

    Abhar,
    Peace,

    Desi Girl

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