इसके जवाब में आपको एक छोटी सी कहानी… या चुटकुला कह लें, सुनना होगा।
(~_~)
पति की आंखों में नींद नहीं है और वह बेचैनी से करवटें बदल रहा है. इस कारण से पत्नी को भी सोते नहीं बन रहा.
वह पति से पूछती है कि क्या प्रॉब्लम है.
पति कहता है, “मैंने पड़ोसी से पैसे उधार लिए थे. यह उधार कल सुबह चुकाना है लेकिन मेरे पास पैसे नहीं हैं”.
पत्नी पास ही रखा फोन उठाकर पड़ोसी को कॉल करती है और कहती है, “इतनी देर रात आपको फोन करने के लिए माफी चाहती हूं लेकिन मेरे पति कल आपका उधार नहीं चुका पाएंगे.” फिर वह रिसीवर नीचे रख देती है.
पति की ओर मुड़कर वह कहती है, “फिलहाल तो मैंने इस समस्या का समाधान कर दिया है. अब आप चैन से सोइए ओर पड़ोसी को रात भर परेशानी में करवटें बदलने दीजिए”.
इस कहानी का मॉरल यह है कि आपको आग का सामना करने के लिए आग चाहिए: अपनी फीलिंग्स को दबाकर मत रखिए.
ऐसा करने पर या तो आपको पॉज़िटिव जवाब मिलेगा और आपका जीना आसान हो जाएगा; या फिर आपको साफ-साफ “नहीं” सुनने को मिलेगा और आप खुद को उबार कर नए सिरे से कुछ शुरु कर पाओगे.
याद रखिएः पीड़ा अवश्यंभावी है, यातना वैकल्पिक है.
(सरल भाषा मेंः दर्द तो होगा ही होगा, लेकिन उसे यातना नहीं समझना आप पर निर्भर करता है).