नेटफ्लिक्स पर बिल गेट्स के जीवन पर तीन भाग में एक डॉक्यूमेंट्री Inside Bill’s Brain: Decoding Bill Gates है।
गेट्स का जीवन कई मामलों में बेमिसाल है।
गेट्स की आदतें…
उनके सोचने-समझने का तरीका…
ऑफिस में प्रयोग किए जाने वाले सॉफ्टवेयर तैयार करने से शरु होने वाली उनकी यात्रा से लेकर दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट की स्थापना और दुनिया के सबसे संपन्न व्यक्ति की उपलब्धि को अर्जित करने के बाद उनका सबसे बड़े परोपकारी फाउंडेशन की अगुवाई करना जैसी बातें उनके जीवन को बेजोड़ बनाती हैं।
लेकिन मुझे लगता है कि बिल गेट्स को सबसे अनूठा बनाने वाली बात यह हैः
इस डॉक्यूमेंट्री के दौरान इंटरव्यूअर ने बिल गेट्स से बहुत सामान्य से प्रश्न पूछे…
“आपका पसंदीदा भोजन क्या है?”
“कौन सा एनिमल आपको सबसे अच्छा लगता है?”
इस जैसे ही कुछ बहुत साधारण प्रश्न गेट्स से पूछे गए।
लेकिन अचानक ही इंटरव्यूअर ने गेट्स से एक असाधारण प्रश्न पूछ लिया.
शायद उस असाधारण प्रश्न को पूछने के पीछे इंटरव्यूअर की मंशा गेट्स को प्रश्नजाल से मुक्त कर एक ईमानदार उत्तर पाने की थी। या शायद उसने ऐसा जताया।
चाहे जो हो, इंटरव्यूअर ने गेट्स से पूछाः
“आपके जीवन का सबसे बुरा दिन कौन सा था?”
गेट्स ने कुछ पल के लिए अपनी आंखें मूंद लीं। फिर नीचे देखा। वे शायद कुछ सोच रहे थे। वे जानते थे कि वे क्या कहना चाहते थे लेकिन शायद वह कहना नहीं चाहते थे। उनकी जगह कोई और होता तो उसे भी यही असमंजस होता।
गेट्स ने उत्तर दियाः “जिस दिन मेरी मां का निधन हो गया।”
बस इतना ही। ये उस व्यक्ति के शब्द थे जिसके सामने दुनिया की सारी उपलब्धियां छोटी पड़ गई थीं… जिसने दुनिया से हर वह चीज प्राप्त कर ली थी जो वह पा सकता था।
और उन्होंने क्या कहा? जिस दिन उनकी मां गुज़र गईं।
उन्होंने यह नहीं कहा कि उनके जीवन का सबसे बुरा दिन वह था जब स्टीव जॉब्स ने उनपर चोरी का आरोप लगाया।
उन्होंने यह नहीं कहा कि उनके जीवन का सबसे बुरा दिन वह था जब किसी ने पूरी दुनिया के सामने उनके ऊपर केक फेंक दिया था।
उन्होंने यह नहीं कहा कि उनके जीवन का सबसे बुरा दिन वह था जब उन्हें बिजनेस के नियमों का उल्लंघन करने के लिए 1.3 बिलियन डॉलर का हर्जाना देना पड़ा।
उन्होंने कहा, “जब मेरी मां गुज़र गईं.”
इस दुनिया में आप कितने ही बड़े व्यक्ति क्यों न बन जाओ, कितनी ही बड़ी ख्वाहिशें और सपने आप क्यों न देख लो… जीवन का मोल अंततः रूपए-पैसे, हैसियत और ताकत से नही आंका जाता।
जीवन उन लोगों से मिलकर बनता है जो हमारा हिस्सा होते हैं, जिनकी कमी को हम महसूस करते हैं। इनमें वे लोग भी शामिल होते हैं जिन्हें हम नापसंद करते हैं, लेकिन जीवन का असल सार लोगों से प्रेम करने में है, उनका प्रेम पाने में है।
उनमें से कुछ लोग हमसे पहले चल बसेंगे। वे फिर लौटकर नहीं आएंगे। कभी नहीं।
हमारे पास इफरात समय नहीं है। जिन्हें हम सबसे अधिक चाहते हैं उनके साथ बिताने के लिए तो यह निहायत ही कम है।
(Quora पर Niklas Goeke के एक उत्तर का अनुवाद)