इन दिनों तरबूज-खरबूज की बहार है. खरबूज खाते समय तो कोई खास नहीं लेकिन तरबूज खाते समय उसमें हर जगह फंसे बीज मजा किरकिरा कर देते हैं. तरबूज में इतने सारे बीज क्यों होते हैं?
कुछ फलों में बेशुमार बीज होने का परपज़ यह था कि उन्हें खाने के बाद पशु-पक्षी इधर-उधर घूमेंगे और विष्ठा करेंगे, जिससे अनपचे बीच भूमि से अंकुरित हो जाएंगे और उन पौधों या पेड़ो की अगली पीढ़ियां तैयार होती रहेंगी.
लेकिन यह काम जोखिम भरा भी है. यदि पशु-पक्षी बीजों को चबाकर या पचाकर नष्ट कर देंगे तो क्या होगा? और यदि वे बीज उपयुक्त भूमि पर न गिरकर चट्टानों पर या कहीं और गिरेंगे तो क्या होगा? यदि पशु-पक्षी नदी में गिरकर बहते हुए समुद्र में पहुंच गए तो क्या होगा? इन सभी परिस्तिथियों में बीज व्यर्थ हो जाएंगे.
इन सारी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए पौधौं ने यह तय किया कि अधिक बीज तैयार करेंगे, और वे उत्तरोत्तर अधिक बीज तैयार करते हुए विकसित होते रहे. इसका यह लाभ हुआ कि अधिक बीज उत्पन्न करने पर अधिकांश बीजों के नष्ट हो जाने पर भी इक्का-दुक्का बीजों से नए पौधे तैयार होने की संभावना बढ़ जाती थी.
तो बहुत सारे बीज होने का संबंध पौधों की नई पीढ़ियां तैयार होने से है. लेकिन… लेकिन बीज तैयार करने के लिए पौधों को अधिक ऊर्जा की आवश्कता होती है. और इस काम में खर्च की जानेवाली ऊर्जा और इससे होनेवाला लाभ में तालमेल होना चाहिए. यदि तरबूज दो सौ से भी अधिक बीज उत्पन्न करने के लिए विकसित हुए हैं तो इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि दो सौ से भी अधिक बीज उत्पन्न करने में निश्चित ही कुछ लाभ होता है जो इस काम में खर्च होनेवाली ऊर्जा के खर्च को सही ठहराता है.
वह सब तो ठीक है लेकिन कुछ फलों में तो इतने बीज नहीं होते, फिर खरबूजे में ऐसा क्या खास है जो इसमें इतने अधिक बीज होते हैं. सेब या संतरे में बहुत कम बीज होते हैं. आम में तो एक ही बीज या गुठली होती है. यह बात कुछ हजम नहीं हुई.
इस बात पर इस तरह से विचार कीजिए. किसी आम के पेड़ पर सैंकड़ों आम लगते हैं. सेब या संतरे के पेड़ पर भी बहुत अधिक फल लगते हैं. एक सेब में यदि दस बीज होते हैं तो सेब के पूरे पेड़ पर लगभग 60 फल लगते हैं. इनका गुणन करने पर हम जान जाते हैं कि एक सेब का पेड़ लगभग 600 बीज उत्पन्न करता है. इसके विपरीत तरबूज की एक बेल पर औसतन तीन तरबूज लगते हैं. एक तरबूज में लगभग 200 बीज अर्थात एक बेल से मिलनेवाले बीज भी लगभग 600 बीज. इस तरह दोनों ही मामलों में उत्पन्न होनेवाले बीजों की संख्या लगभग समान है.
लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं है कि तरबूज खाते समय बीजों का मुंह में आना बहुत अखरता है.
Photo by Sandro Strenta on Unsplash