कृपया मेरी कही जा रही बातों का गलत अर्थ ना निकालें क्योंकि मैं स्टीफन हॉकिंग का बहुत सम्मान करता हूं. उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया है.
लेकिन अन्य बहुत से श्रेष्ठ भौतिकशास्त्रियों ने भी उनके जितना ही योगदान दिया है.
जो बात हॉकिंग को अन्य वैज्ञानिकों से अलग और विशिष्ट दर्शाती है वह केवल उनकी बुद्धिमानी ही नहीं है बल्कि उनकी बीमारी भी है. स्पष्ट रूप से कहें तो बीमारी से जूझने की उनकी प्रवृत्ति, प्रयास और अपनी शारीरिक कठिनाइयों और अक्षमताओं से पार पाने कि उनकी जद्दोजहद ने उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों को भी अतिविशिष्ट बना दिया.
यदि हाकिंग को वह बीमारी नहीं होती तो भी वे भौतिक शास्त्रियों के समुदाय में अति विशिष्ट और महत्वपूर्ण खगोलविद और सिद्धांतिक भौतिकविद के रूप में जाने जाते. उन्हें बहुत अधिक मान-सम्मान मिलते और उनके गुजर जाने के बाद उन्हें बहुत भावभीनी श्रद्धांजलि दी जाती जैसे कि ‘फिजिक्स टुडे’ में दी जाती है.
लेकिन सामान्य व्यक्तियों को उनके बारे में कुछ भी पता नहीं होता. जिस प्रकार अन्य कई श्रेष्ठ खगोलशास्त्रियों और गुरुत्वाकर्षण सिद्धांतों पर काम करने वाले भौतिकशास्त्रियों के बारे में लोगों को कुछ नहीं पता. क्या आप क्लिफोर्ड विल के बारे में जानते हैं? या जयंत विष्णु नार्लीकर के बारे में? क्या आपने तनु पद्मनाभन का नाम सुना है? या फिर हैंस ओहेनियन का? ये नाम मेरे मस्तिष्क में एकाएक ही आ गए. ये सभी बहुत सम्मानित और उच्च श्रेणी के भौतिकशास्त्री हैं जिन्हें गुरुत्वाकर्षण सिद्धांतों या खगोलशास्त्रियों के समुदाय में अपने अभूतपूर्व योगदानों के लिए जाना जाता है, लेकिन जहां तक मैं जानता हूं इस समुदाय के बाहर के लोग इनके बारे में कुछ नहीं जानते. हॉकिंग के बारे में भी ऐसा ही हुआ होता. उनकी गिनती भी ऐसे ही अल्पज्ञात खगोलशास्त्रियों में होती.
दुर्भाग्यवश हॉकिंग को 5 दशकों तक ASL नामक गंभीर रोग का सामना करना पड़ा. उन्हें किशोरावस्था में ही कह दिया गया था कि वे दो-तीन वर्षों से अधिक नहीं जिएंगे, लेकिन उन्होंने सारे अनुमानों को धता बता दी. उन्होंने अपने चयनित विषय में अभूतपूर्व काम किया जबकि वे उस बीमारी द्वारा पूरी तरह से डिसेबल्ड कर दिए गए थे. इस बात ने उन्हें एक उच्च श्रेणी के भौतिकविद से भी कहीं अधिक विशिष्ट बना दिया. वे लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गए और मानव की सहनशीलता, अक्षमताओं से लड़ने की शक्ति और दृढ़संकल्प के जीते-जागते उदाहरण बन गए.
तो यह सच है कि आज ऐसे अनेक भौतिकशास्त्री जीवित हैं जो हॉकिंग जितने ही बुद्धिमान हैं या शायद उनसे भी अधिक बुद्धिमान हैं, लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि उनमें से कितने अपनी अक्षमताओं और कठिनाइयों से उस तरह जूझ सकते जिस प्रकार हॉकिंग लड़े थे, क्योंकि हॉकिंग के ऊपर अपनी असाध्य बीमारी के कारण हमेशा ही किसी भी समय चल बसने का खतरा मंडराता रहता था.
क्वोरा पर Viktor T. Toth द्वारा दिए गए उत्तर पर आधारित. (हॉकिंग का फोटो News.sky से)