यूरोपियन स्पेस एजेंसी के अनुसार चीन का पहला प्रोटोटाइप स्पेस स्टेशन तियानगोंग-1 (Tiangong-1) 30 मार्च से 2 अप्रेल के बीच पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने पर जलकर गिर जाएगा.
तियानगोंग-1 स्पेस स्टेशन के नाम का चीनी भाषा में अर्थ है “दिव्य महल (Heavenly Palace)”. इसे 29 सितंबर, 2011 को पृथ्वी से 217 मील (350 किलोमीटर) ऊपरी कक्षा में लांच किया गया था. अंतरर्राष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) इससे थोड़ी ऊपरी कक्षा में स्थापित है और उसकी औसत ऊंचाई 250 मील (400 किलोमीटर) है.
तियानगोंग-1 आकार में 34 फीट लंबा तथा 11 फीट चौड़ा है और इसका भार 8.5 टन है. इसके दो मुख्य भाग हैंः 1. रिसोर्स मॉड्यूल जिसमें स्पेस लैब के सोलर पॉवर और प्रणोदन सिस्टम्स हैं, और, 2. एक्सपेरीमेंटल मॉड्यूल जिसमें अंतरिक्षयात्री और उनके उपकरण होते हैं. एक्सपेरीमेंटल मॉड्यूल में दो पलंग और एक्सरसाइज़ मशीनें भी होती हैं लेकिन इसमें कोई बाथरूम या किचन नहीं है. तियानगोंग-1 में ये सुविधाएं बाद में भेजे गए अंतरिक्ष यान ने उलपब्ध कराई थीं.
ये अंतरिक्ष यान तियानगोंग-1 तक कई बार आते-जाते रहे और इससे जुड़ते रहे. तियानगोंग-1 का मिशन सफल रहा क्योंकि इससे चीनी वैज्ञानिकों को अपना स्पेस स्टेशन और डॉकिंग सिस्टम बनाकर देखने में बहुत मदद मिली. इससे मिलने वाले परिणामों का अध्ययन करके चीन 2020 तक पृथ्वी की कक्षा में बेहतर स्पेस स्टेशन स्थापित करेगा.
तियानगोंग-1 अंतरिक्ष से पृथ्वी पर क्यों गिरेगा?
तियानगोंग-1 मिशन की आयु केवल 2 वर्ष निर्रधारित की गई थी. शेंझू 10 (Shenzhou-10) अंतरिक्ष यान के इस तक पहुंचने पर इसके कार्यकाल की समाप्ति की घोषणा कर दी गई और वैज्ञानिकों ने इसे “स्लीप मोड” में डाल दिया. वे इसे पृथ्वी के वातावरण में नियंत्रित रूप से धकेलकर नष्ट करना चाहते थे. लेकिन मार्च, 2016 में चीन ने बताया कि तियानगोंग-1 से डेटा मिलना होना बंद हो गया था और इसकी कार्यप्रणालियां अक्षम हो गई थीं.
इस प्रकार इसे नियंत्रित रूप से नष्ट करने की संभावनाएं समाप्त हो गईं. तियानगोंग-1 अब पृथ्वी पर अपने आप ही गिरेगा और पृथ्वी का वातावरण इसे नष्ट कर देगा.
तियानगोंग-1 अनियंत्रित होकर पृथ्वी पर गिरने वाला पहला अंतरिक्ष यान नहीं है. जुलाई, 1979 में नासा का 85 टन भारी स्काइलैब (Skylab) स्पेस स्टेशन भी हिंद महासागर और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के बीच जलकर गिर गया था. इसके कुछ बड़े टुकड़े धरती पर गिरे थे. फरवरी, 1991 में सोवियत संघ का 22 टन वजनी साल्यूत-7 (Salyut 7) भी दूसरे 22 टन वजनी अंतरिक्ष यान कॉस्मॉस 1686 (Cosmos 1686) से जोड़े जाते वक्त गिर गया. इन सभी अंतरिक्ष यानों में उस समय कोई भी अंतरिक्ष यात्री मौजूद नहीं था. सोवियत-रूसी स्पेस स्टेशन मीर (Mir) इनसे भी बहुत बड़ा और 140 टन वजनी था लेकिन मार्च, 2001 में इसे वातावरण में नियंत्रित रूप से नष्ट किया गया था.
तियानगोंग-1 पृथ्वी पर किस जगह गिरेगा?
तियानगोंग-1 के कक्षीय विवरणों के अनुसार यह 43 डिग्री उत्तरी अक्षांश से 43 डिग्री दक्षिणी अक्षांश के बीच किसी भी जगह गिर सकता है. यह पृथ्वी पर बहुत विशाल क्षेत्र है जो उत्तरी अमेरिका से तस्मानिया तक फैला हुआ है.
क्या तियानगोंग-1 के टुकड़े पृथ्वी पर गिरेंगे?
तियानगोंग-1 का अधिकांश भाग वायुमंडल में प्रवेश करने पर तीव्र घर्षण से जलकर नष्ट हो जाएगा. लेकिन इसके कुछ बहुत मजबूत हिस्से नष्ट होने से बचे रह सकते हैं. इनके समुद्र में गिरने की सबसे अधिक संभावनाएं हैं. हमें इन बातों से घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि तियानगोंग-1 के टुकड़े के किसी मनुष्य के टकराने की संभाव्यता 10 खरब (1 ट्रिलियन) में से एक से भी कम है. लेकिन यदि आपको अंतरिक्ष से गिरा कोई टुकड़ा कहीं दिखे तो उससे दूरी बनाए रखें क्योंकि यह बहुत गर्म और विषैले पदार्थों से युक्त हो सकता है.
क्या हमें तियानगोंग-1 आकाश से गिरता दिखाई देगा?
इस बात की संभावना बहुत कम है कि तियानगोंग-1 को किसी आबादी वाले स्थान से गिरता देखा जा सके. इसके टुकड़े केवल से 1 या 2 मिनट तक ही जलते देखेंगे और इसे देख पाना इस बात पर निर्भर करेगा कि आप कहां रहते हैं, वहां दिन है या रात, और वातावरण कितना साफ़ है.
चीन ने यह नहीं बताया है कि तियानगोंग-1 के नष्ट होने से उसे कितना आर्थिक नुकसान होगा. जून, 2012 की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने इस मिशन पर लगभग 6.1 अरब डॉलर खर्च किए थे. साभार