पुरुष (अपने स्तन से) बच्चों को दूध नहीं पिला सकते. फिर उनकी छाती पर निपल (nipples) क्यों होते हैं?
केवल पुरुष ही नहीं बल्कि अन्य बहुत से स्तनधारी नर प्राणियों के शरीर में भी निपल पाए जाते हैं. पुरुषों के शरीर में निपल की मौजूदगी ने प्राचीन काल से ही अरस्तू जैसे दार्शनिकों से लेकर डार्विन जैसे प्रकृति विज्ञानियों को सोचने पर मजबूर किया है.
पुरुषों के निपल किसी आनुवांशिक गड़बड़ी का परिणाम नहीं हैं. वे हमारे इवोल्यूशन के इतिहास के किसी खास बिंदु की ओर इशारा करते हैं. स्त्री के गर्भधारण करते ही उसकी होनेवाली संतान का लिंग निर्धारित हो जाता है. शुक्राणु और अंडाणु के मिलन के बाद 14 सप्ताह तक मनुष्य के सारे भ्रूण एक जैसे ही दिखते हैं भले ही उनका लिंग नर या मादा हो. निषेचन के 6 से सात सप्ताह के बाद Y क्रोमोसोम पर एक जीन सक्रिय होने लगता है आगे जाकर जो वृषण (testicles) का निर्माण करता है. जब वृषण पर्याप्त रूप से बन जाते हैं तब नवें सप्ताह पर नर भ्रूण में नर हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (testosterone) का निर्माण होने लगता है. यह हार्मोन नर भ्रूण में पुरुष शरीर के लक्षण उत्पन्न करने लगता है और जननांगों व मस्तिषक की कोशिकाओं में आनुवांशिक गतिविधियां करने लगता है. लेकिन नर भ्रूण में पुरुष के शरीर के लक्षण प्रकट होने तक 14 सप्ताह की अवधि में भ्रूण की छाती पर निपल पहले ही बन चुके होते हैं. इसलिए हमारा नर भ्रूण हालांकि बालक शिशु के रूप में विकसित हो रहा होता है लेकिन उसकी छाती पर नन्हे निपल इस बात का प्रमाण बनकर रह जाते हैं कि हर भ्रूण की जीवनयात्रा एक ही प्रकार से शुरु होती है.
अधिकांश पुरुषों में निपल जीवन भर अपरिवर्तित रहते हैं लेकिन कुछ पुरुषों में गाइनेकोमेस्टिया (gynecomastia) नामक स्थिति पैदा हो जाती है. गाइनेकोमेस्टिया होने पर निपल के आसपास का वसीय ऊतक (fatty tissue) बढ़ते-बढ़ते स्त्री के स्तन जैसा दिखने लगता है. ऐसा तब हो सकता है जब किन्हीं दवाओं (जैसे प्रोस्टेट कैंसर की दवाएं) के कारण टेस्टोस्टेरोन के लेवल में कमी आ जाती है. मोटापे या किशोरावस्शा या बुढ़ापे के कारण शरीर के प्राकृतिक हार्मोन संतुलन के बिगड़ने पर भी ऐसा हो सकता है.
कुछ लोगों को यह भ्रांति होती है कि मनुष्य का हर भ्रूण प्रारंभ में स्त्री होता है. यह सच है कि भ्रूण द्वारा बनाए जाने वाले एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन (oestrogen and testosterone) हार्मोनों यह तय नहीं करते कि भ्रूण स्त्री बनेगा या पुरुष लेकिन ऐसा भ्रूण के मूल रूप से स्त्री होने के कारण नहीं होता. यौवनारंभ (puberty) होने तक स्त्री हार्मोन किसी भी बालिका के शरीर में कोई विशेष बदलाव नहीं लाते.
विकासवादी दृष्टिकोण से पुरुषों की छाती में अपरिपक्व स्तनों के होने का कोई कारण नहीं है. वे अवशेषी रूप में इसलिए मौजूद हैं क्योंकि हमारी जेनेटिक प्रोग्रामिंग में उनका कोड अभी भी विद्यमान है. किसी भी भ्रूण के स्त्री या पुरुष शरीर में पूरी तरह से विकसित होने के पहले ही उनका निर्माण हो चुका होता है. एक निषेचित कोशिका के रूप में हमारे जीवन की शुरुआत से लेकर 14 सप्ताह तक स्त्री और पुरुष के शरीर का ब्लूप्रिंट एक ही होता है. इस ब्लूप्रिंट के अनुसार भ्रूण की छाती में स्तन व निपल उत्पन्न हो जाते हैं. स्त्रियों के शरीर में ये उस समय बढ़ना शुरु हो जाते हैं जब वे बालिका से किशोरी बनने लगती हैं.
पुरुषों के शरीर में अवशेषी निपलों के होने से उन्हें किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता. पुरुषों को निपल की ज़रूरत नहीं है, इस तथ्य के होने भर से ही विकासवाद उन्हें हमेशा के लिए लुप्त नहीं करेगा. हमारा शरीर ऐसे बहुत से विकासवादी बोझे को ढोता है जिसकी हमें कोई ज़रूरत नहीं होती लेकिन उनसे हमेशा के लिए मुक्ति पा लेना प्राकृतिक चयन की प्राथमिकताओं में नहीं होता. विकासवाद के आगे बढ़ने का कोई मास्टर-प्लान नहीं होता. यह परिस्तिथियों के अनुरूप प्रगति करता है.
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