विश्व के सबसे सम्मानित सैद्धांतिक भौतिकशास्त्री प्रोफ़ेसर मिशियो काकू (Michio Kaku) का यह मानना है कि मनुष्यों और एलियंस के बीच संपर्क इस शताब्दी में होने की संभावना है. काकू का मानना है कि हम वर्ष 2100 तक एलियंस के रेडियो कम्युनिकेशंस को पकड़ लेंगे, लेकिन वह यह नहीं जानते कि हम उनसे किस प्रकार से बातें कर पाएंगे.
कुछ दिनों पहले काकू से रेडिट वेबसाइट के प्रश्नोत्तर सेशन में मॉडरेटर ने पूछा, “डॉ. काकू, यदि हमें एलियंस के रेडियो सिग्नल मिलते हैं तो क्या होगा? हम उनसे किस प्रकार बातें कर पाएंगे?”
काकू ने उत्तर दिया, “मुझे लगता है कि हम इस शताब्दी के खत्म होने से पहले परग्रही सभ्यता के रेडियो कम्युनिकेशन को सुनकर उनके अस्तित्व का प्रमाण खोज लेंगे. लेकिन उनसे बातें करना कठिन होगा क्योंकि वे हमसे सैंकड़ों-हजारों प्रकाश वर्ष दूर हो सकते हैं. इसलिए जब तक वे हमारे रेडियो सिग्नल्स को पकड़ें तब तक हमें उनकी भाषा को समझकर इस बात का पता लगाना होगा कि उनकी प्रोद्योगिकी का स्तर क्या है. क्या वे टाइप-I, II, या III की सभ्यता हैं? हमें इस बात का भी पता लगाना होगा कि उनकी मंशा क्या है. क्या वे अपना प्रजाति का विस्तार करना चाहते हैं, या वे आक्रामक हैं या शांतिप्रिय हैं.”
काकू यहां सभ्यताओं के जिन टाइप्स की बात कर रहे हैं वे कार्दाशेव स्केल की तीन श्रेणियां हैं. कार्दाशेव स्केल के बारे में आप विज्ञान-विश्व ब्लॉग की पोस्ट कार्दाशेव स्केल : सभ्यता के विकास का पैमाना में विस्तार से पढ़ सकते हैं. यह स्केल ब्रह्मांड में सभ्यताओं को उनकी तकनीकी उत्कृष्टता और ऊर्जा का सृजन/खपत के आधार पर अनेक श्रेणियों में बांटती है.
प्रसंगवश, मनुष्य अभी टाइप-I सभ्यता के स्तर तक पहुंचने से बहुत दूर है. कार्दाशेव के अनुसार टाइप-I सभ्यता अपने ग्रह की सौर, थर्मल, महासागरीय आदि ऊर्जा का संपूर्ण दोहन करने में सक्षम होगी. ऐसी सभ्यता अपने ग्रह के पदार्थ के कण-कण को ऊर्जा में पूरी तरह से बदलने में सक्षम होगी.
काकू ने फिर कहा, “यह भी संभव है कि एलियंस किसी दिन व्हाइट हाउस के लॉन पर लैंड करके अपने अस्तित्व का ऐलान करें. लेकिन ऐसा होने की उम्मीद कम ही है क्योंकि हम लोग उनके लिए जंगल में रहनेवाले जीव-जंतुओं की तरह होंगे जिनसे कम्युनिकेशन करने में उन्हें कोई रूचि नहीं होगी.”
काकू ऐसे पहले वैज्ञानिक नहीं हैं जिन्होंने परग्रही जीवन से संपर्क हो सकने की प्रबल संभावना व्यक्त की है. सेटी के सीनियर एस्ट्रोनॉमर सेथ शोस्ताक (Seth Shostak), ने अपने सहकर्मियों से कॉफ़ी पिलाने की शर्त लगाई है कि मनुष्य अगले दो दशकों (20 वर्ष) में परग्रहियों को खोज लेंगे. स्टीफ़न हॉकिंग (Stephen Hawking) ने भी हाल में यह कहा था कि उन्हें पहले से भी अधिक विश्वास होने लगा है कि हम ब्रह्मांड में अकेले नहीं हैं. हॉकिंग ब्रेकथ्रू लिसन प्रोजेक्ट (Breakthrough Listen project) से जुड़े हैं जो रेडियो सिग्नल्स की रेंज के भीतर लाखों तारों के आसपास पृथ्वी जैसे जीवनोपयोगी ग्रहों की संभावनाएं तलाश रहा है.
“हो सकता है किसी दिन हमें ग्लीस 832c (Gliese 832c) जैसे किसी ग्रह से रेडियो सिग्नल मिल जाए, लेकिन हमें उसका उत्तर देने के बारे में बहुत सावधान रहना होगा,” हॉकिंग ने कहा.
शोस्ताक, हॉकिंग, और काकू- सभी यह मानते हैं कि एलियंस से हमारा संपर्क रेडियो तरंगों के माध्यम से होगा. रेडियो तरंगें विद्युतचुंबकीय तरंगों (electromagnetic waves ) की संकीर्ण आवृत्ति (narrow frequency) का बैंड होता है जिसे लंबी दूरी के संचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वैज्ञानिक विद्युतचुंबकीय तरंगों के इस छोटे से स्पेक्ट्रम पर अपना ध्यान इसलिए केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि यह अंतरिक्ष में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली चौड़ी आवृत्ति के बैकग्राउंड सिग्नल्स से अलग होता है.
विश्व में अनेक स्थानों पर स्थापित भीमकाय रेडियो टेलीस्कोप अंतरिक्ष के हर भाग को जीवन के लक्षणों की खोज करने के लिए स्कैन करते रहते हैं. हालांकि हमें Wow! signal जैसे कुछ रहस्यमय रेडियो सिग्नल मिले हैं लेकिन उनकी छानबीन करने पर ऐसा कुछ भी नहीं मिला है जो परग्रहियों के होने की ओर स्पष्ट संकेत करता हो.
लेकिन खगोलशास्त्री फ़्रैंक ड्रेक (Frank Drake) के प्रसिद्ध सूत्र के अनुसार ब्रह्मांड में तारों की संख्या इतनी अधिक है कि ब्रह्मांड में केवल हमारे ही बुद्धिमान जीव होने की संभावना बहुत क्षीण हो जाती है. ड्रेक के सूत्र के अनुसार हमारी आकाशगंगा में ऐसी कम-से-कम 10 एलियन सभ्यताएं होनी चाहिए जो रेडियो संकेत भेज सकती हों. लेकिन ड्रेक के सूत्र का समर्थन करने के लिए हमारे पास आंकड़े नहीं हैं. इस सूत्र से उत्पन्न होने वाली संभावनाएं इतनी अनियत हैं कि पूरे ब्रह्मांड में केवल 1 सभ्यता (मनुष्य) भी हो सकती है या हर गैलेक्सी में लाखों भी हो सकती हैं.
भविष्य में ऐसा भी हो सकता है कि कोई एलियन सभ्यता पिछले 150 वर्षों से अंतरिक्ष में छोड़े जा रहे हमारे रेडियो सिग्नलों को पकड़ ले और एलियंस हम तक पहुंचने के लिए निकल चले हों. यदि ऐसा हो तो उम्मीद करिए कि वे हमसे दोस्ती करेंगे. (featured image)