सबसे पहले तो आप ऊपर चित्र में दिख रही चीज को पहचान लीजिए. इसका संबंध इस प्रश्न के उत्तर से है और आपने इसे नदी-नालों और तालाबों में देखा होगा. यह काई है. इसे नीली-हरी शैवाल (blue-green algae) भी कहते हैं.
ऑक्सीजन के अणु को वातावरण में मुक्त रखना बहुत कठिन है क्योंकि ऑक्सीजन बहुत तेजी से प्रतिक्रिया करनेवाली गैस है. यह ब्रह्मांड में तीसरा सबसे अधिक पाया जानेवाला तत्व है. ऑक्सीजन की उत्पत्ति बहुत अधिक सघन और गर्म तारों की कोर में हुई थी. ऑक्सीजन आवर्ती सारणी के लगभग हर तत्व से प्रतिक्रिया करके यौगिक बनना चाहती है. तो फिर पृथ्वी के वातावरण में लगभग 21 प्रतिशत ऑक्सीजन कहां से आई?
इस प्रश्न का उत्तर साइनोबैक्टीरिया (cyanobacteria) नामक सूक्ष्मजीवों में है जिन्हें हम काई या नीली-हरी शैवाल भी कहते हैं.ये सूक्ष्मजीव सूर्य के प्रकाश में प्रकाश-संश्लेषण (photosynthesis) करते हैं. इस गतिविधि में ये जल और कार्बन डाइ-ऑक्साइड का उपयोग करके कार्बोहाइड्रेट और ऑक्सीजन बनाते हैं. असल में पृथ्वी पर मौजूद सारी वनस्पतियां सहजीवी साइनोबैक्टीरिया (क्लोरोफिल/क्लोरोप्लास्ट, chloroplasts) का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण करती हैं और युगों-युगों से अपना भोजन और ऑक्सीजन बना रही हैं.
पृथ्वी पर साइनोबैक्टीरिया की उत्पत्ति से बहुत-बहुत पहले आर्कियन कालखंड (Archean eon) में, प्राचीन सूक्ष्मजीवी रहते थे जो पुरानी तकनीक (अवायवीय पद्धति, anaerobically) से अपना भोजन बनाते थे. ये प्राचीन जीव और उनसे उत्पन्न अन्य जीव आज भी ऑक्सीजन की अनुपस्तिथि में महासागरों की तलहटियों में सल्फेट्स की सहायता से अपने लिए ऊर्जा उत्पन्न करते हैं.
लेकिन लगभग 2.5 अरब वर्ष पूर्व पृथ्वी की सतह पर मौजूद सल्फेट्स का अनुपात गड़बड़ाने लगा. अब ऑक्सीजन पृथ्वी के इतिहास में पहली बार वायुमंडल का एक प्रमुख घटक बनने जा रही थी. लगभग इसी कालखंड में और उसके बाद पृथ्वी के भीतर लोहा ऑक्सीकृत होने लगा और इसकी बड़ी मात्रा नदियों से होती हुई समुद्र की तलहटी में बैठने लगी. ऑक्सीकृत लोहे की प्रतिक्रिया समुद्र के जल से होने लगी.
पृथ्वी के वायुमंडल में आक्सीजन सबसे पहले 2.7 से लेकर 2.8 अरब वर्ष पहले आनी शुरु हुई थी. 2.45 अरब वर्ष पहले इसकी मात्रा में तेजी से वृद्धि होने लगी. ऐसा प्रतीत होता है कि ऑक्सीजन बनाने वाले सूक्ष्मजीवियों और वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ने के बीच अच्छा-खासा अंतराल था. इस कालखंड को भूवैज्ञानिक ग्रेट ऑक्सीडेशन इवेंट (Great Oxidation Event) कहते हैं. लेकिन यह रहस्य अभी भी बना हुआ था कि 2.45 अरब वर्ष पहले ऐसा क्या हुआ कि साइनोबैक्टीरिया ऑक्सीजन उत्पन्न करने वाले प्रमुख जीव बन गए? उस कालखंड में वायुमंडल में ऑक्सीजन का प्रतिशत क्या था? अन्य जीवों की उत्पत्ति होने में लगभग 1 अरब वर्ष और क्यों लग गए? यह जानना रोचक होगा कि 1 अरब वर्ष की उस अवधि को वैज्ञानिक बोरिंग बिलियन (boring billion) कहते हैं.
यह प्रश्न भी बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे वायुमंडल में ऑक्सीजन इसके वर्तमान प्रतिशत तक कैसे पहुंची? यह 10 प्रतिशत या 40 प्रतिशत क्यों नहीं हुई? सच यह है कि इन प्रश्नो का उत्तर आज भी नहीं मिल सका है. जलवायु, ज्वालामुखी गतिविधियां, और प्लेट विवर्तनिकी (plate tectonics) ने ऑक्सीजन को इसके वर्तमान स्तर तक पहुंचने में अपनी भूमिका निभाई. लेकिन अभी तक कोई भी वैज्ञानिक वातावरण में ऑक्सीजन की मौजूदगी के संबंध में किसी सॉलिड थ्योरी तक नहीं पहुंच पाया है. केवल एक बात है जिसपर हम दावे से यकीन कर सकते हैं, और वह यह है कि पृथ्वी पर सूक्ष्मजीवन की उत्पत्ति ने ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाया और स्थिर रखा है. (featured image)