खून. इस एक शब्द को सुनकर ही कुछ लोगों के शरीर में झुरझुरी दौड़ जाती है. कुछ लोग खून देखकर बेहोश भी हो जाते हैं. ऐसे व्यक्तियों को एक खास तरह का फ़ोबिया होता है जिसे हीमोफ़ोबिया (hemophobia) कहते हैं. आप खून देखकर डरते हों या सामान्य रहते हों, खून हमारे शरीर के लिए बहुत अनिवार्य तत्व है. यह हवा की तरह है जिसके बिना जीवन संभव नहीं होता. खून हमारे शरीर में पोषक तत्वों और ऑक्सीजन को कोने-कोने तक पहुंचाता है और हमें संक्रमण (infection) से भी बचाता है. यह बहुत ज़रूरी है कि खून हमारे शरीर में सुरक्षित बना रहे और इसकी हानि नहीं होने पाए. शरीर में खून की मात्रा में अचानक होनेवाली कमी के अनेक भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं.
तो प्रश्न यह उठता है कि हमारे शरीर में कितना खून होता है और शरीर कितने खून का बहना सह सकता है?
आपने शॉपिंग माल्स में मिलने वाले 5 लीटर के तेल का पॉलीजार देखा होगा. हमारे शरीर में भी लगभग उतना ही खून होता है. इसकी मात्रा औसतन 1.2 गैलन से 1.5 गैलन (4.5 लीटर से 5.6 लीटर) तक होती है. 6 वर्ष से बड़े व्यक्तियों में उनके शरीर के भार का लगभग 8 से 10 प्रतिशत खून होता है. 6 वर्ष से छोटे बच्चों के शरीर में खून इससे कम मात्रा में होता है.
बहुत कम मात्रा में खून बहने का शरीर को पता नहीं चलता लेकिन यह मात्रा थोड़ी सी बढ़ते ही शरीर कुछ संकेत देने लगता है. रक्तदान करनेवाले व्यक्ति एक बार में अधिकतम 1 पिंट (आधा लीटर) खून तक दे सकते हैं और उनपर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ता. लेकिन किसी बड़ी चोट या दुर्घटना के कारण 1 से 2 लीटर खून बह जाए तो उस स्थिति को क्लास-3 हैमरेज (Class 3 hemorrhage) कहते हैं. इस स्थिति में तत्काल खून चढ़ाना ज़रूरी हो जाता है. इससे भी अधिक खून के बह जाने पर हृदय ब्लड-प्रेशर को कायम नहीं रख पाता. बहुत अधिक खून के बहने पर शरीर पीला इसलिए पड़ जाता है क्योंकि अत्यंत महत्वपूर्ण अंगों को खून की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए रक्त वाहिनियां हर जगह से खून को खींचकर वहां तक पहुंचाने लगती हैं.
100 किलो के व्यक्ति में 50 किलो के व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक मात्रा में खून होता है और वे अपेक्षाकृत अधिक मात्रा में खून की हानि को झेल सकते हैं, लेकिन अनेक अध्ययनों से यह पता चला है कि शरीर में खून की मात्रा का संबंध व्यक्ति के भार से पूरी तरह से नहीं होता इसलिए इसे नियम जानकर कोई खतरा नहीं मोल लेना चाहिए. शरीर में खून की मात्रा शारीरिक गठन से भी संबंधित होती है. किसी व्यक्ति के शरीर में चर्बी की मात्रा अधिक होने का भी रक्त-संचरण तंत्र पर प्रभाव पड़ता है.
हमारे शरीर की हर कोशिका को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन और पोषक तत्व चाहिए. इसे यह सब खून से मिलता है. शरीर की वसा या चर्बी को बहुत अधिक ऊर्जा नहीं चाहिए लेकिन इसे खून की सप्लाई की ज़रूरत होती है. इस प्रकार यदि शरीर में चर्बी की मात्रा बढ़ती है तो इन अतिरिक्त ऊतकों (extra tissue) को खून की सप्लाई करने के लिए अतिरिक्त रक्त-वाहिनियां (धमनियां और शिराएं, small arteries and veins) बनती हैं.
इसके परिणामस्वरूप मोटे व्यक्तियों के हृदय को शरीर के सारी वाहिनियों में खून पहुंचाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है. मोटापे से दूर रहने का एक कारण यह भी है. शरीर में औसत से अधिक भार के प्रति 1 किलोग्राम के लिए शरीर में खून की मात्रा लगभग 1% (60 ml) से अधिक बढ़ जाती है, अर्थात मोटे व्यक्तियों में खून की मात्रा अधिक होती है. (featured image, Human blood with red blood cells, T cells (orange) and platelets (green)).