आकाश में उड़ती चिड़ियां रोमन लिपि के V आकार में क्यों उड़ती हैं? अधिकांश लोग यह कहेंगे कि ऐसा करने से उन्हें उड़ने में आसानी होती होगी या कम ताकत लगती होगी या ऊर्जा की बचत होती होगी. ये सारे ही कारण सही हैं लेकिन पक्षियों का इस आकार में उड़ने के पीछे का विज्ञान इतना सरल नहीं है और वैज्ञानिकों के लिए इसे मॉडलों का प्रयोग करके सिद्ध करना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है.
जब कोई चिड़िया अपने पंख फड़फड़ाती है तो उसके पंखों के सिरे से भंवर या बवंडर जैसी लहरें उठती हैं. इन लहरों के ठीक पीछे की हवा नीचे की ओर जाती है और इनके किनारों की हवा हमेशा ऊपर उठती रहती है. जब कोई दूसरी चिड़िया ऊपर उठती हुई हवा के क्षेत्र में उड़ती है तो उसे उड़ने के लिए कम ताकत लगानी पड़ती है. इस प्रकार झुंड में उड़ती सारी चिड़ियां एक-दूसरे से ताममेल बिठाकर इस आकार में उड़ती हैं और अपनी ऊर्जा का संरक्षण करती हैं.
इस प्रकार पीछे उड़नेवाली चिड़ियों के लिए उड़ना आसान हो जाता है. पक्षियों पर किए गए अध्ययनों से पता चला है कि इस आकार में पीछे उड़नेवाली चिड़ियों की हृदयगति सामने उड़नेवाली चिड़ियों की अपेक्षा कम होती है.इससे यह भी ज़ाहिर होता है कि चिड़ियां अपने झुंड के कमज़ोर सदस्य को पीछे कर देती हैं ताकि कमज़ोर चिड़ियों को उड़ने में आसानी हो. इस प्रकार उड़नेवाले प्रवासी पक्षियों को हजारों किलोमीटर उड़ने में आसानी होती है. आगेवाले पक्षी थक जाने पर पीछे चले जाते हैं और पीछेवाले पक्षी उनका स्थान ले लेते हैं.
लेकिन पक्षी यह सब कैसे समझ लेते हैं? इसे कोई भी बहुत अच्छे से नहीं समझा सकता. सबसे सरल उत्तर यह है कि पक्षी अपने आगे उड़नेवाले पक्षी को उड़ता देखते हैं और उसके पंखों की फड़फड़ाने की आवृत्ति के अनुसार अपने पंख फड़फड़ाते हैं. हो सकता है कि वे अपने पंखों में होनेवाले किसी प्रकार के संवेदन से हवा के प्रवाह में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों को भी भांप लेते हों. यह भी हो सकता है कि पक्षियों के पास इसे व्यक्त करने का कोई और तरीका भी हो जिससे हम अभी भी अनजान हैं. (featured image)