उनके जीवनकाल में प्रतिष्ठित संस्थाओं ने जर्मन गणितज्ञ और वैज्ञानिक एमी नोथर (Emmy Noether, 1882-1935) के अमूर्त एल्जेब्रा और सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्रों में किए मौलिक कार्यों को नजरअंदाज़ किया और उन्हें गुमनामी में धकेल दिया.
मेरी क्यूरी के बाद एमी नोथर संभवतः विज्ञान के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण महिला हैं, और गणित के क्षेत्र में तो वे सबसे महत्वपूर्ण महिला हैं. वे अभूतपूर्व प्रतिभावान थीं और गणित विषय का उनका ज्ञान विलक्षण था. महान वैज्ञानिक पावेल अलेक्सांद्रोव, अल्बर्ट आइंस्टीन, ज्यां दियूदोने, पर्न वेइल, और नोर्बर्ट वीनर ने उन्हें गणित के इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण महिला कहा था. वे अपने समय की अग्रणी गणितज्ञ थीं. उन्होंने रिंग्स, फ़ील्ट्स, और एल्जेब्रा की कई थ्योरीज़ विकसित कीं.
उस काल में अकादमिक जगत में महिलाओं की स्थिति बहुत खराब थी. उन्होंने आवश्यक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अंग्रेजी और फ्रेंच पढ़ाने का निश्चय किया था लेकिन बाद में उसी यूनिवर्सिटी में गणित पढ़ने लगीं जहां उनके गणितज्ञ पिता अध्यापक थे. 1907 में लघु-शोधप्रबंध करने के बाद वे गणित की एक बड़ी संस्था में सात वर्ष तक बिना किसी वेतन के कार्य करती रहीं.
महान गणितज्ञ डेविड हिल्बर्ट ने एमी को गॉटिंगेन यूनिवर्सिटी बुला लिया जहां के पूरा स्टाफ़ ने एक महिला अध्यापक को अपने साथ बैठाने के विचार पर बगावत कर दी. यहां भी अध्यापन के कुछ शुरुआती वर्षों तक उन्हें वेतन नहीं मिला. हालांकि वह बहुत शानदार पढ़ाती थीं लेकिन उनके महिला होने के कारण कोई भी उनकी कक्षा में आना पसंद नहीं करता था. उन्हें अपने समकक्ष अध्यापकों की अकादमिक साजिशों और रंजिशों का कई बार खामियाज़ा उठाना पड़ा.
यूनिवर्सिटी में इस तरह से अलग-थलग कर दिए जाने के बाद भी उन्होंने उस काल में गणित और भौतिकी के क्षेत्र में बहुत आधारभूत खोजें कीं. आइंस्टीन को उनकी खोजों के लिए जैसी प्रसिद्धि मिली उसकी वे भी हकदार थीं.
विकीपीडिया में विज्ञान और गणित के क्षेत्रों में उनके योगदान की सूची आइंस्टीन और दिराक की उपलब्धियों से भी बड़ी है. उनकी सबसे प्रसिद्ध थ्योरी को नोथर प्रमेय के नाम से जाना जाता है और यह दिक् और काल में संरक्षण नियमों व सममितियों के बीच संबंध स्थापित करती है. यह आइंस्टीन के सिद्धांतों जैसी गहन लेकिन सरल और सुंदर है.
नोथर की ख्याति अपने छात्रों की सहायता करने और उनका ध्यान रखने वाली शिक्षिका के रूप में भी है. कभी-कभी वे उनसे सहमत नहीं होनेवालों के प्रति रूखा व्यवहार कर बैठती थीं लेकिन अपने छात्रों के बीच उनकी छवि मदद के लिए सदैव तत्पर धैर्यवान शिक्षिका की थी. उनके बारे में एक सहकर्मी ने लिखा था, “उनमें लेशमात्र भी घमंड नहीं है, बनावटीपन से वे कोसों दूर हैं, और अपने छात्रों के काम को आगे बढ़ाने के लिए वे खुद को पीछे रख देती हैं.”
20वीं शताब्दी के सबसे महत्वपूर्ण चरित्रों में से एक होने के बाद भी वैज्ञानिक समुदाय को छोड़कर उनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, हालांकि अब इस स्थिति में परिवर्तन आ रहा है. उन्हें वह प्रसिद्धि तो मिल रही है जिसकी वे हकदार हैं लेकिन मुझे यह लगता है कि वे तब तक कम आंकी जाती रहेंगी जब तक उन्हें 20वीं शताब्दी में गणित और भौतिकी के प्रतिमान स्थापित करनेवाली विभूतियों जैसे क्यूरी, आइंस्टीन, और फेइनमेन के समकक्ष नहीं स्वीकार कर लिया जाता. (featured image)