किसी भी शिक्षित व्यक्ति से पूछिए कि आयाम (dimensions) कितने होते हैं और वह बताएगा कि स्पेस में तीन आयाम होते हैं: लंबाई (length), चौड़ाई (width), और गहराई (depth). यदि उसने भौतिकी का अच्छा अध्ययन किया है तो वह इसमें समय (time) को भी शामिल कर लेगा. लेकिन आप स्ट्रिंग थ्योरी (string theory) की संकल्पना को मानने वाले किसी वैज्ञानिक से यही प्रश्न पूछेंगे तो आपको तरह-तरह के उत्तर मिल सकते हैं. सैद्धांतिक भौतिकी की इस शाखा के अनुसार स्पेस में कम-से-कम 11 आयाम होते हैं जिनमें से बहुत से हमारी समझ-बूझ की शक्ति के परे हैं. हम उन आयामों की संरचना का अनुमान भी नहीं लगा सकते. यह बिल्कुल ऐसा ही कहना होगा कि जिस कमरे में आप बैठे हैं उसमें वैसा ही एक कमरा मौजूद है लेकिन हम उसे न तो देख सकते हैं और न ही उसमें प्रवेश कर सकते हैं. सोचकर कैसा लगा?
आयाम वे मीट्रिक हैं जिनका उपयोग भौतिकशास्त्री वास्तविकता या यथार्थ को बताने के लिए करते हैं. यहां तक तो समझना सरल है. अब हम उन तीन आयामों की बात करेंगे जिनके बारे में स्कूल में पढ़ाया जाता है. ये तीन स्थान-संबंधी आयाम हैं लंबाई, चौड़ाई, और गहराई. हम अपने दिमाग में इनका चित्रण बहुत आसानी से कर सकते हैं. कोई क्षैतिज रेखा (horizontal line) एक आयाम को प्रदर्शित करती है क्योंकि इसमें केवल लंबाई है; किसी वर्ग (square) को हम द्विआयामी कहते हैं क्योंकि इसमें लंबाई-चौड़ाई होती है. इस वर्ग में गहराई डाल देने पर हमें घन (cube) मिलता है जो एक त्रिआयामी आकार है.
इन तीन निर्देशांकों (coordinates) का उपयोग करके हम किसी भी वस्तु की अंतरिक्ष में स्थिति की गणना कर सकते हैं. लकिन केवल अंतरिक्ष या स्पेस ही वह तल नहीं है जिसपर हम रहते हैं. हम समय में भी रहते हैं. समय को भौतिकी में चौथा आयाम माना गया है. जब हम किसी बिंदु की ऊंचाई, देशांतर, अक्षांश व समय में स्थिति के बारे में जान जाते हैं तो हम ब्रह्मांड में उसके अस्तित्व के बारे में जानने के लिए सारे उपयोगी साधन जुटा लेते हैं.
लेकिन स्ट्रिंग थ्योरी से सहमत होने वाले भौतिकशास्त्रियों का यह कहना है कि दृश्य ब्रह्मांड में वास्तविकता के भी परे बहुत कुछ है. स्ट्रिंग थ्योरी को सुपरस्ट्रिंग थ्योरी (superstring theory) भी कहा जाता है. यह थ्योरी ब्रह्मांड की कार्यप्रणाली को बतानेवाले दो अन्य प्रमुख सिद्धांतों के एकीकरण का प्रयास करती है. वे दो सिद्धांत हैंः 1. सामान्य सापेक्षता (general relativity), जो ब्रह्मांड के विशाल स्तर पर लागू होती है और 2. क्वांटम मैकेनिक्स, जो अतिसूक्ष्म परमाण्विक स्तर पर लागू होती है. चार आयामों वाले विश्व में स्ट्रिंग थ्योरी को लागू कर पाना संभव नहीं है, इसलिए भौतिकशास्त्री अपने गणितीय सूत्रों व समीकरणों में नए-नए आयामों का समावेश करने लगते हैं. 10 आयामों और समय को मिलाकर 11 आयामों के स्तर पर उनके समीकरण सिद्ध होने लगते हैं.
जब स्ट्रिंग थ्योरी को सही ठहराने वाले वैज्ञानिकों ने इसमें एक-के-बाद-एक नए-नए आयामों का समावेश कर दिया तो यह सवाल उठने लगे कि ये नए आयाम कहां से आ गए? इस प्रश्न के उत्तर में स्ट्रिंग थ्योरी वैज्ञानिकों का यह कहना है कि ये आयाम कहीं छुपे हुए नहीं हैं बल्कि उतने ही वास्तविक हैं जितने हमारे तीन सरल आयाम, लेकिन बाकी के सात आयाम स्पेस में इतनी सूक्ष्मता और दृढ़ता से गुंथे हुए हैं कि हम उन्हें प्रत्यक्ष रूप से नहीं देख सकते.
सामान्य भौतिकी के ज्ञान के दायरे में इन बातों को समझ पाना बहुत कठिन है. लेकिन स्ट्रिंग थ्योरिस्ट वैज्ञानिक ब्रायन ग्रीन ने इस संकल्पना को आम आदमी की भाषा में समझाने का प्रयास किया है. उनकी 2005 की TED Talk में ग्रीन ने इन अदृश्य आयामों को टेलीफोन के खंभे से जुड़े तारों की संज्ञा दी है. खिड़की से हमें टेलीफोन का तार एक-आयामी रेखा जैसा दिखता है. लेकिन इस तार को हम बहुत पास से देखेंगे तो पाएंगे कि यह गोल है और यह हमें त्रि-आयामी दिखेगा. हम दृश्य जगत में अदृश्य आयामों को समझा सकनेवाले उदाहरण उपयोग में नहीं ला सकते. लेकिन यह आश्चर्यजनक ही है कि वास्तविकता के बहुत निकट कुछ है जो इतना मूलभूत होते हुए भी हमारी दृष्टि के परे है.
स्ट्रिंग थ्योरी के अनुसार समय के अतिरिक्त कम-से-कम 10 आयामों का अस्तित्व है लेकिन कुछ वैज्ञानिक और भी अधिक आयामों के होने का दावा करते हैं. मिशियो काकू जैसे सैद्धांतिक भौतिकशास्त्री 26 आयामों के होने की बात कह चुके हैं. बोसोनिक स्ट्रिंग थ्योरी (Bosonic string theory) में 26 आयामों तक का समावेश किया जा चुका है और मुख्यधारा के भौतिकशास्त्री फिलहाल इस संख्या पर सहमत दिख रहे हैं.
ऊपर ब्रायन ग्रीन के जिस TED Talk का उल्लेख किया गया है उसे आप नीचे देख सकते हैं. इसका हिंदी अनुवाद उपलब्ध नहीं हैः (featured image)