विद्युत के जनक महान वैज्ञानिक माइकल फ़ैराडे

विज्ञान के इतिहास में ऐसे अनूठे वैज्ञानिक के रूप में जिन्होंने किसी स्कूल-कॉलेज में कभी विज्ञान का अध्ययन नहीं किया, माइकल फ़ैराडे (Michael Faraday (1791-1867) ने 19वीं शताब्दी में भौतिकी और रसायनशास्त्र के क्षेत्र में अद्वितीय उपलब्धियां अर्जित कीं. उन्हें “विद्युत का जनक” कहा जाता है, हालांकि टेसला और एडीसन को भी इस उपाधि से सम्मानित किया जाता है. फ़ैराडे ने विद्युत-चुंबकत्व के नियम खोजे, पहली इलेक्ट्रिक मोटर बनाई, और पहला इलेक्ट्रिक जेनरेटर बनाकर मशीनी युग की नींव रखी. फ़ैराडे के बारे में कुछ प्रसिद्ध और अल्पज्ञात तथ्य आपके समक्ष प्रस्तुत हैंः

1. फ़ैराडे ने औपचारिक रूप से विज्ञान का अध्ययन नहीं किया – फ़ैराडे का जन्म दक्षिणी लंदन में कामगारों के परिवार में हुआ था. उन्हें मामूली स्कूल में पढ़ने-लिखने और गणित की शिक्षा मिली. 14 वर्ष की उम्र में वे लंदन के एक बुकबाइंडर के पास काम करने लगे. वहां उन्होंने अगले 7 वर्षों तक काम किया. अपने खाली समय में वे जेन मार्सेट (Jane Marcet) की लिखी रसायनशास्त्र की प्रसिद्ध पुस्तक पढ़ते थे. 1806 में छपी इस बेस्टसेलर पुस्तक में विज्ञान के टॉपिक्स को सामान्य भाषा में समझाया गया था.

2. फ़ैराडे ने उस समय का सारा विज्ञान अपने-आप सीखा – मार्सेट की भांति फ़ैराडे महान वैज्ञानिक सर हंफ़्री डेवी (Sir Humphry Davy) के कार्यों से बहुत प्रभावित थे. जनसामान्य में डेवी की ख्याति नाइट्रस ऑक्साइड गैस के प्रभावों को स्वयं पर जांचने के कारण हो चली थी (डेवी ने ही महान अंग्रेज कवि सेमुअल टेलर कॉलरिज (Samuel Taylor Coleridge) को इस शर्त पर वह गैस सूंघने के लिए दी थी कि कॉलरिज उसके प्रभाव में उत्पन्न होनेवाले विचारों को डायरी में लिखेंगे, और कहा जाता है कि कॉलरिज ने अपनी कई प्रसिद्ध रचनाएं उसकी तरंग में लिखीं). 1812 में फ़ैराडे के एक कस्टमर ने उन्हें डेवी के आगामी लैक्चर का टिकट दिया. फ़ैराडे ने डेवी के लैक्टर को सुनकर नोट्स बनाए और उन्हें बाइंड करके डेवी के पास भेजा और उनसे अनुरोध किया कि वे फ़ैराडे को अपना असिस्टेंट बना लें. डेवी को यह अनुरोध अजीब लगा क्योंकि फ़ैराडे मामूली कारीगर थे और उनके पास यूनीवर्सिटी की कोई डिग्री नहीं थी, लेकिन उनकी बुद्धिमता और लगन देखकर डेवी ने उनके लिए रॉयल सोसायटी में एक काम खोज लिया. वहां डेवी अपनी कैमेस्ट्री की लैब चलाते थे.

3. फ़ैराडे ने चुंबक और पारे से चलनेवाली मोटर बनाई – 1820 तक कई वैज्ञानिकों ने यह प्रदर्शित किया था कि इलेक्ट्रिक करेंट से चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है और दो विद्युत प्रवाहित तार एक-दूसरे पर बल डालते हैं. फ़ैराडे को यह विचार आया कि इन बलों के द्वारा किसी मैकेनिकल वस्तु को चलाया जा सकता है. उन्होंने 1822 में चुंबक और पारे का उपयोग करके एक यंत्र बनाया. इस यंत्र को उन्होंने तांबे को तारों से जोड़कर इससे बनने वाली विद्युत को यांत्रिक ऊर्जा में रूपांतरित करके दिखाया. यह किसी भी प्रकार की विद्युत मोटर का पहला प्रारूप था.

4. फ़ैराडे ने पहला विद्युत जेनरेटर बनाया – उपरोक्त प्रयोग के एक दशक के बाद फ़ैराडे ने यह खोज की कि स्थैतिक चुंबकीय क्षेत्र में तार को घुमाने पर तार में विद्युत करेंट उत्पन्न होता है – यह विद्युत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत का आधार है. इस प्रयोग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने घोड़े की नाल जैसे चुंबक के दो ध्रुवों के बीच तांबे के तारों की कुंडली घुमाई और विद्युत उत्पन्न की. इस मशीन को बाद में फ़ैराडे डिस्क (Faraday disc) कहा गया और इसी के डिजाइन पर पहला विद्युत जेनरेटर बनाया गया.

5. फ़ैराडे ने चुंबकीय बल की शक्ति का प्रदर्शन किया – इसके लिए फ़ैराडे ने बहुत ही साधारण प्रयोग करके दिखाया (यह प्रयोग आजकल बच्चे स्कूल में करके देखते हैं). फ़ैराडे ने एक छड़ चुंबक को टेबल पर रखकर उसपर मोटा कागज रख दिया. फिर उन्होंने कागज पर लोहे का पाउडर गिराया. पाउडर के कण अपने आप चुंबक के दोनों ध्रुवों के आसपास गोल धाराओं में व्यवस्थित हो गए. इस प्रयोग के द्वारा उन्होंने यह दिखाया कि चुंबकीय बल की तरंगें किस प्रकार फैलती हैं और यह बल पदार्थों के पार जा सकता है.

6. आप लंदन में फ़ैराडे की प्रयोगशाला देख सकते हैं –  फ़ैराडे ने रॉयल सोसायटी में अनेक पदों पर कार्य किया. उन्हें अंततः रसायनशास्त्र के स्थाई प्रोफेसर (Fullerian Professor of Chemistry) का पद दिया गया. इस पद पर रहकर उन्हें पूरी स्वतंत्रता से रिसर्च और प्रयोग करने का अवसर मिला. जिस मैग्नेटिक लेबोरेटरी में वे 1850 के दशक में काम करते थे उसे Royal Institution’s Faraday Museum में परिवर्तित कर दिया गया है. इसमें उनके द्वारा उपयोग में लाए गए वे उपकरण प्रदर्शित किए गए हैं जिन्होंने व्यावहारिक व औद्योगिक विज्ञान की दिशा निर्धारित की. आप इसमें ओरिजिनल फ़ैराडे डिस्क, उनका पहला विद्युत जेनरेटर, उनके रसायनों के सैंपल और एक विशाल चुंबक देख सकते हैं.

7. फ़ैराडे ने विज्ञान की नई शब्दावली को प्रचलित किया – फ़ैराडे का कार्य इतना नया था कि कि उसका वर्णन करने के लिए उस समय वैज्ञानिक शब्दावली उपलब्ध नहीं थी. उन्होंने अपने मित्र वैज्ञानिक विलियम व्हेवेल (William Whewell) के साथ मिलकर कई नए शब्द बनाए जो शास्त्र-सम्मत भी थे और सरल भी. उन्होंने बलों और उपकरणों को नए शब्द दिए जैसे इलेक्ट्रोड, एनोड, कैथोड, आयन, आदि. (व्हेवेल ने स्वयं 1834 में “scientist” शब्द की रचना की क्योंकि वैज्ञानिकों के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला शब्द “natural philosopher” बहुत अस्पष्ट हो गया था और विशेषज्ञता वाले नए क्षेत्रों में कार्य करनेवालों को इससे व्यक्त करना उपयुक्त नहीं लग रहा था).

8. प्रिंस अल्बर्ट ने फ़ैराडे को बहुत सुंदर निवास उपहार में दिया था – 1848 में महारानी विक्टोरिया के पति प्रिंस अलबर्ट ने फ़ैराडे की उपलब्धियों और विज्ञान के प्रति योगदान का संज्ञान लेते हुए उन्हें लंदन के सबसे प्रतिष्ठित क्षेत्र हैंपटन कोर्ट में बहुत सुंदर घर भेंट किया. यह घर महारानी के महल के बहुत निकट था. इस घर में फ़ैराडे  25-अगस्त-1867 में उनकी मृत्यु होने तक रहते रहे. इसे लोग आज भी फ़ैराडे हाउस के नाम से जानते हैं.

9. फ़ैराडे का चित्र 20 पौंड के नाट पर छापा गया – विज्ञान के क्षेत्र में ब्रिटेन की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए बैंक ऑफ़ इंग्लैंड ने 05-जून-1991 को 20 पौंड के नोट पर फ़ैराडे का चित्र छापा. इस प्रकार फ़ैराडे विलियम शेक्सपियर, फ़्लोरेंस नाइटिंगेल और आइज़ैक न्यूटन जैसी विभूतियों में शामिल हो गए जिन्हें यह सम्मान दिया गया. इस नोट के फ़रवरी-2001 में बंद किए जाने तक करोड़ों नोटों पर फ़ैराडे का चित्र छापा जा चुका था. (featured image)

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