हाइड्रोजन के परमाणु केवल प्रोटॉन हैं. क्वार्क्स (Quarks) जितने भी प्रकार के कणों का निर्माण करते हैं उनमे से केवल प्रोटॉन ही स्थाई होते हैं. प्रारंभिक ब्रह्मांड जब पर्याप्त ठंडा हो गया तब क्वार्क्स एक दूसरे से जुड़ने लगे और इस प्रक्रिया में बहुत सारे प्रोटॉन बने. प्रोटॉन अर्थात हाइड्रोजन, बहुत अधिक हाइड्रोजन.
लेकिन केवल प्रोटॉन ही उत्पन्न नहीं हुए. बिग-बैंग से उत्पन्न हुई अपार ऊर्जा में से बहुत सी अतिरिक्त ऊर्जा अभी भी उपलब्ध थी. इससे न्यूट्रॉन्स का निर्माण हुआ क्योंकि इनके निर्माण में प्रोटॉन की तुलना में कुछ अधिक ऊर्जा लगती है. मुक्त या फ्री न्यूट्रॉन्स स्थाई नहीं होते. उनकी हाफ़-लाइफ़ 10 मिनट होती है. लेकिन अभी तो ब्रह्मांड को अस्तित्व में आए कुछ सेकंड ही हुए हैं.
ये नए-नवेले प्रोटॉन और न्यूट्रॉन एक दूसरे से भिड़ने-टकराने लगे और इस दौरान ये कभी-कभी एक-दूसरे से चिपकने भी लगे. किसी बक्से में यदि हम चिपचिपी रबर की गेंदें रखकर बक्से को जोर-जोर से हिलाएं तो गेंदें जोरों से उछलेंगी और हिलेंगी. लेकिन धीरे-धीरे हिलाने पर ये एक-दूसरे से चिपकने लगेंगी. हमें कभी दो गेंदें एक-दूसरे से चिपकी मिलेंगी तो कभी तीन-चार गेंदें चिपकी मिलेंगी. ऐसा ही कुछ उन प्रोटॉन और न्यूट्रॉन के साथ हुआ.
एक प्रोटॉन और एक न्यूट्रॉन ने मिलकर ड्यूटीरियम (deuterium) का परमाणु बनाया. ड्यूटीरियम के दो परमाणुओं ने मिलकर हीलियम का एक परमाणु बनाया. इन दोनों प्रक्रियाओं में ऊर्जा निकलने से नए बने परमाणु अधिक स्थाई हो गए. इन नए बने परमाणुओं को तोड़ने में बहुत अधिक ऊर्जा लगती और इतनी अधिक ऊर्जा उपलब्ध नहीं थी क्योंकि ब्रह्मांड तेजी से ठंडा होता जा रहा था और कण एक-दूसरे से तीव्रता से नहीं टकरा रहे थे.
लेकिन यहां एक नई समस्या का जन्म हुआ. नए बने ड्यूटीरियम और हीलियम के परमाणुओं का संलयन (fusion) संभव नहीं था क्योंकि इनसे बनने वाले नए कण बहुत अधिक अस्थाई थे. इनकी संलयन की प्रक्रिया में ऊर्जा लगती और वह ऊर्जा संलयन में इन कणों के फिर से टूटने पर तत्काल रिलीज़ हो जाती. तारों ने प्रसिद्ध ट्रिपल-अल्फ़ा प्रक्रिया (triple-alpha process) का इस्तेमाल करके इस समस्या का हल निकाल लिया जिसमें हीलियम के तीन परमाणुओं ने संलयित होकर कार्बन का स्थाई परमाणु बनाया और ऊर्जा का उत्सर्जन किया, लेकिन यह प्रक्रिया धीमी थी और प्रारंभिक ब्रह्मांड में इसके घटित होने के लिए पर्याप्त समय नहीं था.
इस प्रकार प्रारंभिक ब्रह्मांड में हाइड्रोजन, ड्यूटीरियम, हीलियम की अत्यधिक और कुछ अन्य हल्के तत्वों की सूक्ष्म मात्रा का भंडार एकत्र हो गया. हमारी आवर्ती सारणी के बाकी तत्वों को उत्पन्न होने में अभी बहुत समय बाकी था. भारी परमाणुओं की उत्पत्ति बहुत बाद में विशाल तारों में, सुपरनोवा विस्फोटों में, न्यूट्रॉन तारों की टक्करों में और अन्य प्रक्रियाओं में हुई. (featured image)