कोबाल्ट (Cobalt) हमारे द्वारा रोजाना प्रयोग में लाए जाने वाले पदार्थों और वस्तुओं में छुपा रहता है. बैटरियां, नीला पेंट और चिकित्सा की अनेक पद्धतियों में इसका प्रयोग प्रमुखता से होता है. हम हजारों वर्षों से इसका उपयोग कर रहे हैं लेकिन 18वीं शताब्दी तक इसे वह सम्मान नहीं मिला जिसका यह अधिकारी था. 27 प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन युक्त इस तत्व को आवर्ती सारणी में लोहे और निकल के बीच अन्य संक्रमण (transition) तत्वों के साथ स्थापित किया गया है. संक्रमण तत्व वे हैं जिनमें आगे और पीछे के समूह के तत्वों के गुण हैं और ये दोनों समूहों के बीच पुल का काम करते हैं. कोबाल्ट तत्व के बारे में 10 रोचक तथ्य आपके लिए प्रस्तुत हैंः
1. शुद्ध कोबाल्ट पृथ्वी पर प्राकृतिक रूप में नहीं मिलता – हमें कोबाल्ट कहीं भी मिल सकता है – मिट्टी में, खनिजों में, यहां तक कि सागरों की तलहटियों की पपड़ी में भी, लेकिन यह हमेशा ही अन्य तत्वों जैसे निकल, कॉपर, आयरन या आर्सेनिक के साथ चमकीले सिंदूरी रंग के खनिज लवण एरीथ्राइट (erythrite) के रूप में मिलता है. यह अन्य धातुओं को निकालते समय माइनिंग के सह-उत्पाद (byproduct) के रूप में प्राप्त होता है. अपने शुद्ध रूप में यह चमकती हुई धूसर धातु जैसा दिखता है
2. कोबाल्ट दुर्लभ धातु नहीं है लेकिन मूल्यवान है – कोबाल्ट बहुत कॉमन धातु है लेकिन इसे यूरोपीय यूनियन ने दुर्लभ सामग्री की सूची में शामिल किया है क्योंकि पृथ्वी पर ऐसे बहुत कम स्थान हैं जहां से यह बड़ी मात्रा में माइनिंग करके निकाला जा सकता है. विश्व में इसकी केवल एक मुख्य खदान मोरक्को में है जहां से केवल कोबाल्ट ही निकाला जाता है.
3. कोबाल्ट का नामकरण एक राक्षसी चरित्र के आधार पर किया गया है – कई सदियों पहले जर्मनी के पहाड़ों में खनिक चांदी और तांबा प्राप्त करने के लिए कुछ अयस्कों को बहुत कठिनाई से गलाते थे. इस कार्य के दौरान चट्टानों से जहरीली गैसें निकलती थी जिससे वे बीमार हो जाते थे और कभी-कभी मर भी जाते थे. इसका दोष वे एक मिथकीय चरित्र कोबोल्ड (kobold) पर मढ़ते थे जो किंवदंतियों में पाताल में रहने वाली राक्षसी शक्ति के रूप में प्रसिद्ध थी. हालांकि अयस्कों से निकलनेवाली गैस और धुंए के पीछे उनमें मौजूद आर्सेनिक का हाथ था लेकिन जब उन अयस्कों से कोबाल्ट भी मिलने लगा तो इस धातु के साथ पुराना नाम ही जुड़ गया.
4. कोबाल्ट को शुद्ध रूप में 18वीं शताब्दी में प्राप्त किया गया – सन् 1730 के दौरान स्वीडन के रसायनशास्त्री जॉर्ज ब्रैंड्ट (George Brandt) ने कोबाल्ट को आर्सेनिक के एक अयस्क में पहचाना और इसका शोधन किया. इसके लगभग 50 वर्ष बाद एक अन्य सवीडिश रसायनशास्त्री टॉर्बर्न बर्गमेन (Torbern Bergman) ने यह प्रमाणित किया कि ब्रैंड्ट ने जिस धातु को प्राप्त किया था वह एक तत्व है. यहां यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि उन दिनों तत्वों के बारे में हमारी समझ बहुत सीमित थी और उन्हें किसी सार्थक सारणी में प्रस्तुत नहीं किया गया था.
5. कोबाल्ट बहुत सुंदर गहरा नीला रंग उत्पन्न करता है – लोग ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से कोबाल्ट युक्त रंजकों (pigments) का उपयोग सजावट में गहरा नीला रंग लाने के लिए कर रहे हैं. ईरानियों ने इसका उपयोग करके सुंदर नेकलेस बनाए. हजारों वर्षों तक इजिप्ट से लेकर चीन तक के कारीगरों ने कांच को नीला रंग देने के लिए इसके खनिजों का उपयोग किया. बहुत लंबे समय तक लोग यह मानते रहे कि यह नीला रंग बिस्मथ (bismuth) तत्व के कारण आता था क्योंकि कोबाल्ट के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं थी.
6. लेकिन कोबाल्ट केवल नीला रंग ही नहीं उत्पन्न करता – कोबाल्ट का प्रसिद्ध नीला रंग उसके यौगिक कोबाल्ट एल्युमिनेट (cobalt aluminate) के कारण मिलता है. अन्य तत्वों के साथ संयुक्त होकर कोबाल्ट के यौगिक तरह-तरह के रंग उत्पन्न करते हैं. कोबाल्ट फॉस्फेट से बैंगनी रंग मिलता है. कोबाल्ट ऑक्साइड को ज़िंक ऑक्साइड से संयुक्त करने पर सुंदर हरा रंग मिलता है.
7. कोबाल्ट से हम शक्तिशाली चुंबक और सुपर-एलॉय बनाते हैं – कोबाल्ट उन कुछ तत्वों में शामिल है जिन्हें फैरोमेग्नेटिक (ferromagnetic) कहा जाता है. इसका अर्थ यह है कि यह बाहरी चुंबकीय क्षेत्र की उपस्थिति में चुंबकीय गुण प्रदर्शित करता है. कोबाल्ट बहुत ऊंचे तापमान पर भी चुंबकत्व धारण कर सकता है जिससे यह जेनरेटरों और हार्ड-ड्राइवों में इस्तेमाल किया जा सकता है. कुछ विशेष धातुओं के साथ मिलाने पर कोबाल्ट ऐसी मिश्रधातुएं बनाता है जिन्हें सुपरएलॉय कहते हैं. ये सुपर-एलॉय बहुत ऊंचे ताप और दबाव पर भी अपनी शक्ति बनाए रखती हैं. इस गुण के कारण इन्हें जेट इंजनों के निर्माण में प्रयुक्त किया जाता है. हमारे घर में ये सुपर-एलॉय किसी रीचार्जेबल बैटरी में भी मिल सकती है.
8. कोबाल्ट उद्योगों में मूल्यवान धातुओं की जगह ले सकता है – येल यूनिवर्सिटी के रसायनशास्त्री पैट्रिक हॉलैंड (Patrick Holland) उद्योग-धंधों में दुर्लभ और मूल्यवान धातुओं के स्थान पर कोबाल्ट को उपयोग में लाने की संभावना पर रिसर्च कर रहे हैं. ये धातुएं उद्योगों में उत्प्रेरक (catalysts) के रूप में प्रयोग में लाई जाती हैं क्योंकि वे प्रतिक्रियाओं की तीव्रता को बढ़ा देती हैं. इनका उपयोग एड्हेसिव, लुब्रिकेंट, दवाइयां आदि बनाने में किया जाता है. प्लेटिनम और इरीडियम जैसी ये धातुएं अच्छी उत्प्रेरक हैं लेकिन बहुत महंगी और दुर्लभ हैं. इनके मानव शरीर पर कुछ दुष्परिणाम भी होते हैं. यही कारण है कि वैज्ञानिक इनके स्थान पर आयरन, निकल और कोबाल्ट जैसी धातुओं को प्रयोग में लाने का प्रयास कर रहे हैं. ये तीनों धातुएं भविष्य में उद्योगों का काम आसान कर सकती हैं.
9. कोबाल्ट के बिना आधुनिक चिकित्सा विज्ञान अधूरा है – विटामिन B12 की रासायनिक संरचना के केंद्र में कोबाल्ट धातु का महत्वपूर्ण स्थान है. इसीलिए इसे कोबालामिन (cobalamin) कहते हैं. यह विटामिन लाल रक्त कोशिकाओं और DNA के निर्माण में सहायता करता है और हमारे तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ रखता है. विटामिन B12 इस मामले में विशेष है कि यह एकमात्र विटामिन है जिसमें धातु तत्व (कोबाल्ट) का परमाणु है. मरीजों में विटामिन B12 के स्तर को मापने के लिए डॉक्टर विटामिन B12 के ऐसे वर्जन का उपयोग करते हैं जिसमें कोबाल्ट के परमाणु को रेडियोएक्टिव कोबाल्ट के आइसोटोप से बदल दिया जाता है. कैंसर विशेषज्ञ और टैक्नीशियन कोबाल्ट के आइसोटोप से निकलनेवाले रेडिएशन को कुछ कैंसर चिकित्साओं में उपयोग में लाते हैं. इस रेडिएशन का प्रयोग मेडिकल और सर्जिकल टूल्स को स्टरलाइज़ करने में भी किया जाता है. इन दिनों कोबाल्ट की मिश्रधातुओं का उपयोग कूल्हे और घुटनों की नकली हड्डियों को बनाने में भी किया जा रहा है.
कोबाल्ट-60 से निकलने वाला रेडिएशन बहुत खतरनाक हो सकता है. वर्ष 2010 में दिल्ली के मायापुरी कबाड़ बाजार में गलत तरीके से बेच दी गईं कोबाल्ट रेडिएशन मशीनों के संपर्क में आने पर एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी और आठ लोग घायल हुए थे.
10. कोबाल्ट का बीयर उद्योग में प्रयोग करने के बड़े दुष्परिणाम हुए – 1960 के दशक में कुछ शराब निर्माता बीयर में कोबाल्ट क्लोराइड मिलाने लगे क्योंकि इससे बीयर ग्लास में ढालते समय सुंदर झाग निकलता था. इसके परिणामस्वरूप 1967 तक कुछ देशों में बड़ी मात्रा में बीयर पीनेवाले सैंकड़ों व्यक्तियों को हृदय संबंधित बीमारियां हुईं और कई मर भी गए. उन दिनों डॉक्टर मरीजों के इलाज में भी कोबाल्ट का इस्तेमाल करते थे इसलिए यह पता नहीं चला कि इन घटनाओं के पीछे क्या कारण था. कुछ बीमार लोगों की गहन जांच करने के बाद डॉक्टर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हृदय की यह बीमारी (cobalt-beer cardiomyopathy) कुपोषण, एल्कोहल का अधिक प्रयोग और कोबाल्ट के कारण संयुक्त रूप से हो रही थी. इसके परिणामस्वरूप सरकार ने खाद्य और पोय पदार्थों में कोबाल्ट के प्रयोग को प्रतिबंधित कर दिया. (featured image)