यदि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमते समय 1 सेकंड के लिए भी रुक जाएगी तो पृथ्वी पर महाविनाश हो जाएगा. ऐसी स्थिति में शायद ही कोई पृथ्वी पर जीवित बच पाएगा. आपने जैसे दृश्य 2012 जैसी हॉलीवुड की फिल्में में देखे हैं उनसे भी भयानक घटनाएं पृथ्वी पर घटेंगीं.
दरअसल हमें भ्रम है कि हम अपने घर में सोफे पर बैठकर टीवी देखते समय स्थिर हैं. वास्तव में हम पृथ्वी की धुरी के सापेक्ष गति कर रहे हैं. पृथ्वी अपनी धुरी पर लगातार घूम रही है और उसके साथ-साथ हम भी हर समय घूम रहे हैं. हमें अपने घूमते होने का अहसास इसलिए नहीं होता क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल और हमारे आसपास की हर वस्तु भी हमारे साथ उतनी ही गति से घूम रही है जिस गति से हम घूम रहे हैं.
इसे समझने के लिए एक स्थिति की कल्पना करें. मान लें कि आप किसी कार या हवाई जहाज में आंखें बंद करके बैठे हैं. यदि आपके चलने या उड़ने की गति स्थिर रहे (अर्थात न तो यह घटे-बढ़े और न ही कोई झटका लगे) तो आपको गतिशील होने का कोई अहसास नहीं होगा.
पृथ्वी के उसकी धुरी पर घूमने की सर्वाधिक गति भूमध्य रेखा (equator) पर लगभग 1670 किलोमीटर प्रति घंटा है. जैसे-जैसे हम भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाते हैं, इसकी गति कम होती जाती है. उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव पर पृथ्वी का बहुत छोटा क्षेत्र 24 घंटे में लगभग न-के-बराबर घूमता है.
यदि पृथ्वी अचानक घूमना बंद कर दे और हम पृथ्वी से कठोरता से जुड़े न हों तो एक सेकंड में हम आधा मील दूर फिका जाएंगे.
पृथ्वी पर महाकाय सुनामी और प्रचंड हवा बहेगी. हर स्थान पर खड़े लोग हवा में उछल जाएंगे. महासागरों का पानी भी पृथ्वी के साथ ही गति कर रहा है. पृथ्वी के थमते ही वह उस गति से बह चलेगा जिस गति से उस स्थान पर पृथ्वी घूम रही थी. ये सुनामियां पृथ्वी के कोने-कोने पर पहुंच जाएंगी. किसी के भी जीवित बचने की संभावना क्षीण होगी.
पानी के अतिरिक्त पृथ्वी पर एक और द्रव है जो पृथ्वी के साथ-साथ बल्कि उससे भी अधिक गति से घूम रहा है. यह पृथ्वी के भीतर स्थित मैग्मा या लावा है. पृथ्वी के रुकते ही यह अपकेंद्रीय बल के कारण जमीन की पपड़ियां तोड़कर हर तरफ बह निकलेगा. यह बहुत सारे पर्वतों से भी ज्वालामुखी की तरह बहेगा. इस घटना के परिणामस्वरूप बड़े भूकंप भी आएंगे. इस अपकेंद्रीय बल के कारण पृथ्वी भूमध्य रेखा पर फूल जाएगी और इसका आकार बहुत अधिक अंडाकार हो जाएगा.
उस समय यदि हम भूमध्य रेखा पर स्थित किसी घर के कमरे में बैठे होंगे तो पृथ्वी के थमते ही कमरे की दीवार से किसी गगनचुंबी इमारत से गिरने की गति की पांच गुनी अधिक गति से टकरा जाएंगे. इस टक्कर के परिणामस्वरूप हम इतनी बुरी तरह से मारे जाएंगे कि हमें पता ही नहीं चलेगा.
पृथ्वी यदि हमेशा के लिए अपनी धुरी पर घूमना बंद कर देगी तो दिन और रात हमेशा के लिए लंबे हो जाएंगे. पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने होगा वहां हमेशा दिन होगा और उसके पीछे वाले भाग में हमेशा रात. दिन वाले भाग में तापमान शुक्र ग्रह से भी अधिक होगा और रात वाले भाग में सौरमंडल में सबसे ज्यादा ठंड होगी. पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बिखर जाएगा और इसपर खतरनाक सौर किरणों और अंतरिक्षीय विकिरण का खतरा बढ़ जाएगा. (featured image)
बेमिसाल जानकारी दी गई है……
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