1991 में सोवियत संघ का पतन हो गया. इस घटना में क्या हुआ और इसके कारण क्या थे इसकी जानकारी यहां सरल रूप में दी जा रही है.
1991 में मैं 11वीं कक्षा में था. सोवियत संघ का पतन आज मेरे लिए खुशी की बात है क्योंकि यह साम्यवाद की पराजय थी लेकिन उन दिनों इससे मुझे व्यक्तिगत रूप से नुकसान पहुंचा. इस घटना के बाद सोवियत संघ से आने वाली बेहद सस्ती बेहतरीन किताबों की आमद रुक गई. साम्यवादी साहित्य को खपाने के लिए रूसी साहित्य की अतिउत्तम पुस्तकों को भी भारत भेजा जाता था. वह सब 1991 के बाद बंद हो गया.
सोवियत संघ के पतन का एकमात्र कारण यह था कि वह दीवालिया हो गया.
1991 तक सोवियत संघ के लिए अपनी नागरिक अर्थव्यवस्था (लोगों के रहने और खाने का प्रबंध) और अपने अतिविशाल सैन्य-औद्योगिक मॉडल को एक साथ चलाए रखना असंभव हो गया. वह या तो अपना पैसा सैन्य-औद्योगिक शक्ति को बनाए रखने में लगाता या नागरिकों को भोजन उपलब्ध करा पाता. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद क्रेमलिन (सोवियत सत्ता का केंद्र) के लिए इन दोनों विकल्पों में से किसी एक का चुनाव करना ज़रूरी हो गया था.
साम्यवाद आधारित राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सोवियत संघ को बहुत अधिक धन खर्च करना पड़ रहा था. कुछ पड़ोसी देशों में भी साम्यवादी शासन को बनाए रखने के लिए उसे सहायता के रूप में बहुत पैसे खर्चने पड़ रहे थे.
यदि सोवियत संघ के पुराने शासक लेनिन और स्टालिन जीवित होते तो वे नागरिकों की बजाए सैनिकों के जीवन को प्राथमिकता देते. नागरिकों के बगावत करने पर वे बड़ी संख्या में उनका सफाया करने से नहीं हिचकते. 1990 के दशक में उत्तरी कोरिया के किम-जोंग इल ने यही किया और सत्ता में बना रहा.
सोवियत संघ के तत्कालीन शासक गोर्बाचेव और उसके सहयोगियों में इतना साहस नहीं था. गोर्बाचेव ने अपनी सैन्य योजनाओं पर विराम लगा दिया. अमेरिका के साथ दशकों से चले आ रहे शीतयुद्ध की समाप्ति हो गई. अपने इस भले काम के लिए गोर्बाचेव को शांति का नोबल पुरस्कार दिया गया लेकिन सोवियत संघ के बहुसंख्यक नागरिकों ने इसे पसंद नहीं किया.
सोवियत संघ की सैन्य योजनाएं थम गईं और उद्योग चौपट हो गए. शहर के शहर वीरान और उजाड़ होने लगे. कारखाने बंद होने लगे. लोगों के पास भोजन की बहुत कमी होने लगी. यह सब पहले छोटे शहरों में शुरु हुआ और समस्याएं धीरे-धीरे मॉस्को तक जा पहुंची.
फिर एक बड़ी घटना हुई. सोवियत संघ बहुत सारे जातीय समूह के नागरिकों का संघ था. जब केंद्र से पैसा आना बंद हो गया और कठोर सोवियत पुलिस और रक्षा मशीनरी द्वारा किसी प्रकार का दमन किए जाने की संभावना नहीं रही तो संघ के कब्जे वाले अनेक प्रदेशों ने स्वयं को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया. वे सोवियत संघ से बाहर निकल गए. ऐसे 15 नए देश अस्तित्व में आए.
सोवियत संघ समाप्त हो गया. साम्यवादी शासन के खात्मे के साथ एक नए लोकतांत्रिक देश ने जन्म लिया जिसे हम रूस या रशिया कहते हैं. (featured image)
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