जिस लड़के ने यह प्रश्न पूछा है वह 25 साल का है और कहता है कि उसके जीवन में कभी कुछ सही नहीं हुआ. वह उन लोगों के बारे में बात करते हुए रंज करता है जिनपर ज़िंदगी तमाम खुशियां बिखेरती है, और अपने बारे में बताते वक्त वह दुखी, अभागा, दयनीय जैसे शब्दों का उपयोग करता है. मैं उससे कुछ कहना चाहता हूं और अलग तरह से कहना चाहता हूं.
क्या तुम जानते हो कि विंबलडन में लॉन टेनिस खेलनेवाला हर खिलाड़ी ऊपर से लेकर नीचे तक केवल सफेद रंग के कपड़े और वस्तुएं ही क्यों पहनता है?
इस स्पर्धा में सिर्फ सफेद रंग के कपड़े पहनने की यह परंपरा बहुत पुरानी है. लगभग 200 साल पुरानी. जैसे-जैसे समय बीत रहा है ये नियम और अधिक कठोर होते जा रहे हैं.
- सफेद का मतलब है शुद्ध सफेद रंग. ऑफ़-व्हाइट या क्रीम कलर नहीं चलेगा.
- सफेद रंग के अलावा किसी और रंग की केवल एक पट्टी ही हो सकती है जो एक सेंटीमीटर से अधिक चौड़ी नहीं हो.
- अंडरवियर का किसी भी स्थिति में कपड़ों से बाहर झलकना (पसीने से भीगने पर भी) सख्त मना है.
अंडरगार्मेंट्स और जूतों के रंग पर भी सख्त निगरानी रखी जाती है. नियम तोड़ने की इजाज़त किसी को भी नहीं है, महान खिलाड़ी रोजर फ़ेडरर को भी नहीं जिसे 2013 में ऑल-इंग्लैंड क्लब में जूते के सोल में नियॉन-ऑरेंज रंग दिखने पर चेंज करने के लिए कहा गया.
तुम्हें पता होगा कि विंबलडन हमेशा से ही दुनिया के सबसे प्रसिद्ध टूर्नामेंट के रूप में जाना जाता है. विंबलडन में ऐसा क्या है जो इसे टेनिस के बाकी टूर्नामेंट्स से अलग बनाता है?
विंबलडन इस विचारधारा में यकीन रखता और उसे आगे बढ़ाता है कि कोई भी खिलाड़ी खेल से बड़ा नहीं होता. यदि तुम सब लोगों से अलग दिखना चाहते हो तो तुम्हें यह अपने खेल के माध्यम से करके दिखाना पड़ेगा. तुम्हारे लुक्स और तुम्हारे बोल्ड स्टेटमेंट्स की यहां कोई वैल्यू नहीं है. विंबलडन सिर्फ यह देखता है कि तुम उसके पवित्र लॉन पर उस पीली गेंद को कैसे हिट करते हो.
जिंदगी में उन चीजों के साथ सबसे अलग दिखना आसान है जिनके साथ तुम पैदा हुए. कुछ लोगों की जेनेटिक लॉटरी लग जाती है और वे सुपरस्टार जैसे दिखते हैं. कुछ का जन्म सोने-चांदी के बिस्तर पर होता है. लेकिन उनमें से किसी ने भी इन विशेषताओं को अचीव नहीं किया. उन्हें ये खासियतें उपहार में मिली थीं.
ये जैक मा है. चीन का अरबपति बिजनेसमैन, चीन का सबसे अमीर व्यक्ति. शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो यह कहेगा कि जैक मा दिखने में बहुत आकर्षक है. उसका जन्म चीन के बहुत पिछड़े प्रांत में बहुत गरीब परिवार में हुआ था. बड़ी मुश्किल से उसे कॉलेज में दाखिला मिल सका – चार बार एंट्रेंस एक्ज़ाम में फेल होने के बाद. कॉलेज से निकलने के बाद उसने लगभग 30 नौकरियों के लिए एप्लाइ किया और सबमें रिजेक्ट हो गया. उसे देखकर मुझे लगता है कि स्कूल में भी वह पॉपुलर नहीं रहा होगा. लेकिन इन दिनों वह अलीबाबा ग्रुप की कंपनियों के फ़ॉउंडर चैयरमैन की नायाब कुर्सी पर बैठता है.
जैक मा को ज़िंदगी से उपहार में कुछ नहीं मिला लेकिन उसने सब कुछ अचीव कर लिया.
तुम अभी 25 साल के हो और खुद को अभागा कहते हो? बढ़िया है. 50 साल का होने तक यदि तुम खुद के बारे में इसी तरह सोचना बंद कर दोगे तो भी चलेगा. तुम्हारे पास भी जीतने के लिए और अचीव करने के लिए पर्याप्त समय है. तुम्हारे 50 साल का होने तक किसी को यह परवाह नहीं होगी कि तुम कितने गुड-लुकिंग हो या कॉलेज में तुम कितने पॉपुलर थे.
तुमने विंबलडन की ट्रॉफ़ी देखी? इसे तुम विरासत में नहीं पा सकते. इसे पाने के लिए तुम्हें जी-जान से खेलना होगा और जीतना होगा. इसे अपने हाथों में थामने का मौका केवल सच्चे चैंपियंस को ही मिलता है, उन “खुशनसीब” दावेदारों को नहीं जिनके बारे में तुम बता रहे थे.
जैसा क्वोरा पर शैंक्स वांग ने कहा. (featured image)