क्या आपने कभी सोचा है कि बिजली के 3 पिन वाले प्लगों में अर्थिंग की पिन बाकी दोनों पिनों से लंबी और मोटी क्यों होती है?
इसका कारण यह है किः
अर्थिंग पिन बिजली के यंत्र से लीक हो रहे किसी भी करेंट को अर्थ (पृथ्वी) तक पहुंचाकर डिस्चार्ज करती है ताकि उपयोग करनेवाले व्यक्ति को करेंट नहीं लागे और बिजली का यंत्र भी सुरक्षित रहे.
इस पिन को सबसे बड़ी और लंबी इसलिए रखा जाता है ताकि यह सॉकेट के छेद में सबसे पहले जाए और सबसे बाद में बाहर निकले.
कनेक्ट करते समयः जब हम प्लग को कनेक्ट करते हैं तब यह लंबी पिन मेन्स से कनेक्शन स्थापित होने से पहले यंत्र की धातु की बॉडी में बचे रह गए करेंट को अर्थ तक पहुंचाती है. इस तरह कनेक्ट करते वक्त हमारा यंत्र सबसे पहले अर्थ से कनेक्ट होता है और बाद में बिजली के मेन्स (फेज़ और न्यूट्रल) से कनेक्ट होता है. यदि इस पिन को लंबा और बड़ा नहीं रखा जाएगा तो अर्थिंग मिलने के पहले ही यंत्र मेन्स से कनेक्ट होकर नुकसान पहुंचा सकता है.
डिस्कनेक्ट करने समयः मान लें कि हमारे यंत्र में किसी कारण से कुछ करेंट बचा रह गया हो या कहीं से करेंट लीक हो रहा हो. ऐसे में यंत्र के प्लग को डिस्कनेक्ट करते वक्त (प्लग बाहर निकालते वक्त) मेन्स की पिनें पहले बाहर निकलेंगी लेकिन लंबी और बड़ी होने के कारण अर्थिंग पिन सॉकेट के भीतर ही रहेगी और किसी बचे रह गए या लीक हो रहे करेंट को यंत्र से होकर अर्थ में भेज देगी.
अर्थिंग पिन को मोटा बनाने का एक कारण यह भी है कि मोटी चीज अधिक क्षेत्र घेरती है. धातु की मोटी पिन पतली पिन की तुलना में अधिक बड़े क्षेत्र में बिजली का संवाहन करती है. बिजली हमेशा सबसे कम प्रतिरोध का पथ चुनती है और मोटी पिन का अनुप्रस्थ क्षेत्रफल अधिक होने के कारण लीक होनेवाले करेंट को कम प्रतिरोध का मार्ग मिल जाता है और यह कुशलतापूर्वक डिस्चार्ज हो जाता है.
जैसा क्वोरा पर मयूर बलवानी ने बताया. (featured image)
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achhaa hai
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