किसी व्यक्ति के चरित्र की जो बात उसे बहुत परिपक्व बनाती है वह है उसका sense of proportion. ऐसे व्यक्ति की प्रतिक्रियाएं सधी हुई होती हैं. वह भावावेश से संचालित नहीं होता. वह किसी भी निर्णय तक पहुचने में जल्दबाजी नहीं करता. वह किसी भी चीज के हर पक्ष पर मनन करता है और ऐसा निर्णय लेता है जो नीतिसंगत होता है
वैसे तो परिपक्व व्यक्तियों में ऐसे बहुत से गुण होते हैं जिनकी सभी सराहना करते हैं. परिपक्व व्यक्ति साहसी, निष्ठावान और ईमानदार होते हैं.
लेकिन मेरी नज़र में किसी राग-द्वेष के बिना और भावनाओं में बहे बिना सर्वोचित निर्णय लेने की किसी व्यक्ति की क्षमता उसे बहुत परिपक्व दर्शाती है.
और यहां मैं यह ज़ोर देकर कहना चाहता हूं कि यह क्षमता किसी अच्छे मनुष्य में भी हो सकती है और किसी बुरे मनुष्य में भी. यह किसी ऐसे व्यक्ति में भी हो सकती है जिसे समाज और संस्थाएं नीतिभ्रष्ट मानते हों.
क्योंकि चरित्र की यह परिपक्वता नैतिकता से परे की विषयवस्तु है. यह नैतिक्ता से उत्पन्न नहीं होती.
हमारे चारों ओर ऐसे अनेक नैतिक व्यक्ति हैं जो मूढ़ और जड़ हैं. वहीं ऐसे व्यक्ति भी हैं जो बुरे हैं लेकिन बुद्धिसंपन्न हैं.
जैसा कि एक पुरानी ईसाई प्रार्थना में कहा गया है, “हे ईश्वर, मुझे शैतान जैसा धैर्य और सर्प जैसी बुद्धिमता दो.”
मैं अपनी बात को सप्रमाण बताने करने के लिए आपके सामने कुछ उदाहरण प्रस्तुत करूंगा. मैं आपको मेरी पसंदीदा फिल्म ‘The Godfather‘ के मुख्य किरदार माफ़िया फैमली के मुखिया डॉन वितो कोर्लियोनी के बारे में बताऊंगा. मैं इस महान फ़िल्म के तीन दृश्यों की चर्चा करूंगा जहां इस किरदार में वह गुण स्पष्टता से दिखता है जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं. हम जानते हैं कि डॉन कोर्लियोनी हमारी नैतिकता के खांचे में फिट बैठनेवाला व्यक्ति नहीं है लेकिन बुरा होने पर भी उसके चरित्र की कुछ विशेषताएं हैं जो उसे बहुत परिपक्व बनाती हैं.
इस फ़िल्म के पहले दृश्य में ही बोनासेरा नाम का एक दुखी व्यक्ति डॉन के सामने अपनी फ़रियाद लेकर आता है. बोनासेरा की बेटी के साथ कुछ युवकों ने बलात्कार किया और उसे बहुत चोट पहुंचाई. बोनासेरा चाहता है कि डॉन उसका पुराना परिचित होने के नाते उसे इंसाफ़ दिलाए क्योंकि पुलिस से भी उसे कोई मदद नहीं मिली.
बोनासेरा बहुत आहत है और यह चाहता है कि उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म करने वाले युवकों को मार दिया जाए. वितो उन्हें जान से मारने से इंकार करता है तो बोनासेरा विरोधस्वरूप कहता है कि उसे किसी भी कीमत पर इंसाफ़ चाहिए. वितो कहता हैः
“यह इंसाफ नहीं है क्योंकि तुम्हारी बेटी अभी भी जीवित है.”
वितो कोर्लियोनी जैसे शक्तिशाली डॉन के लिए उस लड़कों को जान से मारने का आदेश देना न केवल बहुत आसान होता बल्कि दुनिया को अपनी ताकत दिखाने का ऐसा मौका होता जिसे कोई और डॉन अपने हाथों से जाने नहीं देता. उसे अपने आदमियों को बस उंगलियों से एक इशारा करने भर की देर होती, “उन्हें खत्म कर दो”, और शाम होने तक उन युवकों के कटे हुए सिर उसकी टेबल पर होते. वितो के एक छोटे से आदेश पर अमल होने से बहुतों के कलेजे को ठंडक पहुंचती लेकिन उसने परिपक्व निर्णय लिया. उन युवकों को उनके किए का दंड मिला लेकिन उनकी जान बख्श दी गई क्योंकि बोनासेरा की बेटी भी जीवित थी.
दूसरा मामला तब का है जब एक दूसरा गैंगस्टर वर्जिल सोलाज़ो डॉन के पास ड्रग्स के कारोबार से जुड़ा बहुत फ़ायदेमंद प्रस्ताव लेकर आता है.
ड्रग्स के कारोबार को बुरा मानने वाला कोई दूसरा डॉन शायद यह प्रतिक्रिया देता, “यह बहुत बुरा काम होगा, इससे लाखों ज़िंदगियां तबाह हो जाएंगी. अगर तुमने इस धंधे में हाथ डाला तो मैं तुम्हें छोड़ूंगा नहीं!”
लेकिन वितो कोर्लियोनी कोई मामूली डॉन नहीं है. वह किसी कुशल बिजनेसमैन की तरह अपनी शांत प्रतिक्रिया देता हैः
“मैं इस काम के लिए ‘ना’ कहूंगा लेकिन मैं इसका कारण तुम्हें बताता हूं. सभी जानते हैं कि पॉलिटिक्स में मेरी पहुंच कितनी ऊपर तक है और कितने सारे बड़े नेता मेरे करीबी हैं. वे जानते हैं कि मैं जुए का धंधा करता हूं. लेकिन जब उन्हें मेरे ड्रग्स के कारोबार से जुड़े होने की खबर मिलेगी तो वे मुझसे दूरी बना लेंगे. जुआ उनकी नज़र में पैसेवालों का शौक है लेकिन ड्रग्स का धंधा गंदा धंधा है. तुम इस बात को समझो कि मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई व्यक्ति पैसा कैसे कमाता है. लेकिन तुम जिस धंधे की बात कर रहे हो वह खतरनाक है.”
तीसरा और आखरी मामला उस वक्त का है जब डॉन अपने जीवन के बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा है. उसके बेटे सांटिनो को विरोधियों ने गोलियों से छलनी-छलनी कर दिया है. फ़िल्म के इस दृश्य में वितो की आंखों में इस दर्द को बखूबी दिखाया गया है.
उसकी आंखें आंसुओं से नम हैं लेकिन वह शांतचित्त कहता हैः
“इस वाकये से जुड़ी सारी बातों का पता लगाओ. मैं नहीं चाहता कि कोई भी बदले की कार्रवाई करे. (माफ़िया के) पांचों परिवारों के मुखियाओं के साथ मेरी मीटिंग अरेंज करो. यह लड़ाई खत्म होनी चाहिए.”
डॉन के बेटे खून का बदला खून से चाहते हैं लेकिन बुजुर्ग डॉन आननफानन में बेटे के कातिलों को खोजकर उन्हें तड़पा-तड़पा कर मारने के बारे में नहीं सोच रहा है. हो सकता है वह यह काम बाद में इत्मीनान से और ठंडे दिमाग से करे लेकिन निजी दुख की इस घड़ी में उसने स्वयं पर नियंत्रण रखा है. यह उसका दयाभाव नहीं है बल्कि कठोर संयम है.
इन तीन घटनाओं के ज़रिए हम ऐसे व्यक्ति के मन में झांककर देखते हैं जिसके भीतर सटीक संतुलन स्थापित है और जो हर तरह की सम-विषम परिस्तिथि में खुद को भावनाओं में बहने नहीं देता और विलक्षण निर्णय लेता है.
वह दूसरों के जीवन-मरण का फैसला चुटकियों में कर सकता है.
वह किसी बिजनेस के बारे में अपनी पसंद-नापसंद को ज़ाहिर करता है लेकिन उसकी प्रतिक्रिया बहुत सधी हुई है.
उसके बेटे की मौत हो चुकी है लेकिन वह अपने विरोधियों के साथ टैबल पर बैठकर शांति से मामले सुलटाना चाहता है.
निर्णय लेने की यह क्षमता हर किसी में नहीं होती.
किसी बात से जुड़ी अच्छाई हो या बुराई हो, समय हमारे अनुकूल हो या प्रतिकूल हो, हम निर्णय लेने में जल्दबाजी करते हैं. हमारी भावनाएं, हमारे पूर्वग्रह, हमारी निजी पसंद-नापसंद हमारे आड़े आ जाती है.
आपकी नज़र में डॉन वितो कोर्लियोनी अच्छा व्यक्ति भी हो सकता है और बुरा व्यक्ति भी. आप उसे पसंद भी कर सकते हैं या उससे नफ़रत भी कर सकते है. लेकिन आप इस व्यक्ति के धैर्य, बुद्धिमानी, दूरदर्शिता, निर्णयक्षमता और चरित्र की दृढ़ता को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते.
जैसा एलेन लोबो ने क्वोरा पर लिखा.
अति-प्रेरक लेख का इतना सुंदर अनुवाद करने का आपका यह निर्णय प्रसंशनीय है। धन्यवाद।
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