अवोत्मात कालाश्निकोव (Avotmat Kalashnikova), AK-47 या आम बोलचाल में सिर्फ कालाश्निकोव के नाम से प्रसिद्ध ऑटोमेटिक राइफल विश्व की सबसे ज्यादा पॉपुलर एसॉल्ट राइफल है. पिछले 70 वर्षों से यह उपयोग में लाई जा रही है और इससे ज्यादा टिकाऊ, भरोसेमंद, और सस्ती राइफल कोई और नहीं है.
यह गैस-सिस्टम से चलनेवाली 7.62x39mm की रायफल है जिसे सोवियत संघ के मिखाइल कालाश्निकोव ने डेलवप किया था. यह कालाश्निकोव परिवार की अन्य राइफलों में से सबसे प्रसिद्ध है. इसके डिज़ाइन का काम 1945 में शुरु हुआ और 1946 में इसका मिलिटरी ट्रायल किया गया. 1948 में इसका लिमिटेड स्टॉक सोवियत आर्मी को इस्तेमाल के लिए दिया गया.
सात दशकों के बाद भी इसके कई मॉडल दुनिया भर में असॉल्ट राइफल के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं क्योंकि इसे किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है और इसका निर्माण खर्चीला नहीं है. कई देशों की हथियार कंपनियां इस रायफल को बनाती हैं. हर तरह के मिलिटरी और पैरामिलिटरी रक्षा बल, चरमपंथी और आतंकवादियों की यह पहली पसंद है. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में लगभग 50 करोड़ फ़ायरआर्म हैं जिनमें से लगभग 10 करोड़ कालाश्निकोव परिवार की बंदूकें हैं. इन दस करोड़ में से लगभग एक तिहाई AK-47 हैं.
AK-47 के आसानी से उपलब्ध होने ने इसके इस्तेमाल को बहुत बढ़ावा दिया. इसकी बिक्री के लिए कभी भी प्रचार-प्रसार नहीं करना पड़ा. इसका ऑपरेशन मैकेनिज्म जटिल नहीं है. इसे आसानी से साफ़ किया जा सकता है. इसके कारतूस बहुतायत से और बहुत सस्ते मिलते हैं. इस राइफल से फायर करना बहुत सुरक्षित माना जाता है. मार्केट में इसके कई वर्जन मिलते हैं लेकिन मूलभूत प्रणाली सब में एक समान है. नीचे दिए गए वीडियो में 3-D मॉडल के ज़रिए बताया गया है कि यह रायफल कैसे चलती है.
इसके सभी मॉडल एक मिनट में 20 राउंड 400 मीटर की इफ़ेक्टिव रेंज तक फ़ायर कर सकते हैं. वैसे इसकी गोली एक किलोमीटर दूर तक जा सकती है लेकिन दूरी बढ़ने के साथ-साथ यह नीचे आती जाती है और इसकी इंपैक्ट एनर्जी कम होती जाती है.
अपनी बनाई राइफल के इतना प्रसिद्ध होने मिखाइल कालाश्निकोव को गर्व था लेकिन उन्हें इस बात का भी अफसोस था कि इस राइफल से दुनिया भर में अनगिनत निरपराध लोगों को भी मारा गया. (featured image)
अत्यंत उपयोगी जानकारी…
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