सुधा मूर्ति का एक संस्मरण

“आप वहां जाकर ईकोनॉमी क्लास की लाइन में खड़े होइए. यह लाइन बिजनेस क्लास ट्रेवलर्स की है,” हाई-हील की सैंडल पहनी एक युवती ने सुधा मूर्ति से लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट पर कहा.

सुधा मूर्ति के बारे में आपको पता ही होगा. वे इन्फोसिस फाउंडेशन की चेयरमेन और प्रसिद्ध लेखिका हैं.

इस घटना का वृत्तांत उन्होंने अपनी पुस्तक “Three Thousand Stitches” में किया है.

प्रस्तुत है उनकी पुस्तक से यह अंशः

पिछले साल मैं लंदन के हीथ्रो इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर अपनी फ्लाइट में चढ़ने का इंतजार कर रही थी. आमतौर से मैं विदेश यात्रा में साड़ी पहनती हूं लेकिन सफर के दौरान मैं सलवार-कुर्ता पहनना पसंद करती हूं. तो उस दिन भी एक सीनियर सिटीज़न सी दिखती मैं टिपिकल भारतीय परिधान सलवार-कुर्ता में टर्मिनल के गेट पर खड़ी थी.

बोर्डिंग शुरु नहीं हुई थी इसलिए मैं कहीं बैठकर आसपास का परिदृश्य देख रही थी. यह फ्लाइट बैंगलोर जा रही थी इसलिए आसपास बहुत से लोग कन्नड़ में बात कर रहे थे. मेरी उम्र के बहुत से बुजुर्ग लोग वहां थे जो शायद अमेरिका या ब्रिटेन में अपने बच्चों के नया घर खरीदने या बच्चों का जन्म होने से जुड़ी सहायता करने के बाद भारत लौट रहे थे. कुछ बिजनेस एक्ज़ीक्यूटिव भी थे जो भारत में हो रही प्रगति के बारे में बात कर रहे थे. टीनेजर्स अपने फैंसी गेजेट्स के साथ व्यस्त थे और छोटे बच्चे या तो यहां-वहां भाग-दौड़ कर रहे थे या रो रहे थे.

कुछ मिनटों के बाद बोर्डिंग की घोषणा हुई और मैं अपनी लाइन में खड़ी हो गई. मेरे सामने एक बहुत स्टाइलिश महिला खड़ी थी जिसने सिल्क का इंडो-वेस्टर्न आउटफ़िट पहना था, हाथ में गुच्ची का बैग था और हाई हील्स. उसके बालों का एक-एक रेशा बिल्कुल सधा हुआ था और उसके साथ एक मित्र भी खड़ी थी जिसने सिल्क की महंगी साड़ी पहनी थी, मोतियों का नेकलेस, मैचिंग इयररिंग और हीरे जड़े कंगन हाथों में थे.

मैंने पास लगी वेंडिंग मशीन को देखा और सोचा कि मुझे लाइन से निकलकर पानी ले लेना चाहिए.

अचानक से ही मेरे सामने वाली महिला ने कुछ किनारे होकर मुझे इस तरह से देखा जैसे उसे मुझपर तरस आ रहा हो. अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए उसने मुझसे पूछा, ‘क्या मैं आपका बोर्डिंग पास देख सकती हूं?’ मैं अपना बोर्डिंग पास दिखाने ही वाली थी लेकिन मुझे लगा कि वह एयरलाइन की इंप्लॉई नहीं है, इसलिए मैंने पूछा, ‘क्यों?’

‘वेल… यह लाइन सिर्फ बिजनेस क्लास ट्रैवलर्स के लिए है,’ उसने बहुत रौब से कहा और उंगली के इशारे से इकोनॉमी क्लास की लाइन दिखाते हुए बोली, ‘आप वहां उस लाइन में जाकर खड़े होइए’.

मैं उसे बताने वाली ही थी कि मेरे पास भी बिजनेस क्लास का टिकट है लेकिन कुछ सोचकर मैं रूक गई. मैं यह जानना चाहती थी कि उसे यह क्यों लगा कि मैं बिजनेस क्लास में सफर करने के लायक नहीं थी. मैंने उससे पूछा, ‘मुझे इस लाइन में क्यों नहीं लगना चाहिए?’

उसने गहरी सांस भरते हुए कहा, ‘देखिए… ईकोनॉमी क्लास और बिजनेस क्लास की टिकटों की कीमत में बहुत अंतर होता है. बिजनेस क्लास की टिकटें लगभग दो-तीन गुना महंगी होती हैं… ’

‘सही कहा,’ दूसरी महिला ने कहा, ‘बिजनेस क्लास की टिकटों के साथ ट्रेवलर को कुछ खास सहूलियतें या प्रिविलेज मिलती हैं.’

‘अच्छा?’ मैंने मन-ही-मन शरारती इरादे से कहा जैसे मैं कुछ जानती ही नहीं. ‘आप किस तरह की प्रिविलेज की बात कर रही हैं?’

उसे कुछ चिढ़ सी आने लगी. ‘हम अपने साथ दो बैग लेकर चल सकते हैं जबकि आपको एक बैग की ही परमीशन है. हम फ्लाइट में कम भीड़ वाली लाइन और आगे के दरवाजे से एंट्री कर सकते हैं. हमारी सीट्स आगे और बड़ी होती हैं और हमें शानदार फ़ूड सर्व किया जाता है. हम अपनी सीटों को बहुत पीछे झुकाकर लेट भी सकते हैं. हमारे सामने एक टीवी स्क्रीन होती है और थोड़े से बिजनेस क्लास वालों के लिए चार वॉशरूम्स होते हैं.’

उसकी मित्र ने जोड़ते हुए कहा, ‘हमारे लगेज के लिए प्रॉयोरिटी चैक-इन फैसिलिटी मिलती है और वे फ्लाइट लैंट होने पर सबसे पहले बाहन निकाले जाते हैं. हमें सेम फ्लाइट से ट्रेवल करते रहने पर ज्यादा पॉइंट भी मिलते हैं.’

‘अब जबकि आपको ईकोनॉमी क्लास और बिजनेस क्लास का अंतर पता चल गया है तो आप वहां जाकर अपनी लाइन में लगिए’ उसने बहुत आग्रहपूर्वक कहा.

‘लेकिन मुझे वहां नहीं जाना.’ मैं वहां से हिलने को तैयार नहीं थी.

वह महिला अपनी मित्र की ओर मुड़ी. ‘इन कैटल-क्लास (cattle class) लोगों के साथ बात करना बहुत मुश्किल है. अब कोई स्टाफ़ वाला ही आकर इन्हें इनकी जगह बताएगा. इन्हें हमारी बातें समझ में नहीं आ रहीं.’

मैं नाराज़ नहीं थी. कैटल-क्लास शब्द से जुड़ी अतीत की एक घटना मुझे याद आ गई.

एक दिन मैं बैंगलोर में एक हाइ-सोसायटी डिनर पार्टी में गई थी. बहुत से लोकल सेलेब्रिटी और सोशलाइट्स भी वहां मौजूद थे. मैं किसी गेस्ट से कन्नड़ में बातें कर रही थी तभी एक आदमी हमारे पास आया और बहुत धीरे से अंग्रेजी में बोला, ‘May I introduce myself ? I am… ’

यह साफ दिख रहा था कि उसे यह लग रहा था कि मुझे धाराप्रवाह अंग्रेजी समझने में दिक्कत होगी.

मैंने मुस्कुराते हुए अंग्रेजी में कहा, ‘आप मुझसे अंग्रेजी में बात कर सकते हैं.’

‘ओह,’ उसने थोड़ी हैरत से कहा, ‘माफ़ कीजिए. मुझे लगा कि आपको अंग्रेजी में बात करने में असुविधा होगी क्योंकि मैंने आपको कन्नड़ में बातें करते सुना.’

‘अपनी मातृभाषा में बात करने में शर्म कैसी? यह तो मेरा अधिकार और प्रिविलेज है. मैं अंग्रेजी में तभी बात करती हूं जब किसी को कन्नड़ समझ नहीं आती हो.’

एयरपोर्ट पर मेरी लाइन आगे बढ़ने लगी और मैं अपने स्मृतिलोक से बाहर आ गई. मेरे सामनेवाली वे दोनों महिलाएं आपस में मंद स्वर में बातें कर रही थीं, ‘अब वे इसे दूसरी लाइन में भेज देंगे. कुछ लोग समझने को तैयार ही नहीं होते. हमने तो अपनी तरफ से पूरी कोशिश करके देख ली.’

जब अटेंडेंट को मेरा बोर्डिंग पास दिखाने का वक्त तो मैंने देखा कि वे दोनों महिलाएं रुककर यह देख रही थीं कि मेरे साथ क्या होगा. अटेंडेंट ने मेरा बोर्डिंग पास लिया और प्रफुल्लित होते हुए कहा, ‘आपका स्वागत है, मैडम! हम पिछले हफ्ते भी मिले थे न?’

‘हां,’ मैंने कहा.

अटेंडेंट मुस्कुराई और दूसरे यात्री को अटेंड करने लगी.

मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं करने का विचार करके उन दोनों महिलाओं के करीब से गुजरते हुए आगे बढ़ गई थी लेकिन मेरा मन बदल गया और मैं पीछे पलटी.

‘प्लीज़ मुझे बताइए –  आपको यह क्यों लगा कि मैं बिजनेस क्लास का टिकट अफ़ोर्ड नहीं कर सकती? यदि वाकई ऐसा ही होता तो भी आपका यह अधिकार नहीं बनता कि आप मुझे यह बताएं कि मेरा स्थान कहां होना चाहिए? क्या मैंने आपसे कुछ पूछा था?’

वे दोनों स्तब्ध होकर मुझे देखती रहीं.

‘आपने मुझे कैटल-क्लास का व्यक्ति कहा. क्लास इससे नहीं बनती कि आपके पास कितनी संपत्ति है,’ मैंने कहा. मेरे भीतर इतना कुछ चल रहा था कि मैं खुद को कुछ कहने से रोक नहीं पा रही थी.

‘इस दुनिया में पैसा बहुत से गलत तरीकों से कमाया जा सकता है. हो सकता है कि आपके पास बहुत सी सुख-सुविधाएं जुटाने के लिए पर्याप्त पैसा हो लेकिन आपका पैसा आपको यह हक नहीं देता कि आप दूसरों की हैसियत या उनकी क्रयशक्ति का निर्णय करती फिरें. मदर टेरेसा बहुत क्लासी महिला थीं. भारतीय मूल की गणितज्ञ मंजुल भार्गव भी बहुत क्लासी महिला हैं. यह विचार बहुत ही बेबुनियाद है कि बहुत सा पैसा आपको किसी क्लास तक पहुंच दे सकता है.’

मैं किसी उत्तर का इंतज़ार किए बिना आगे बढ़ गई.

“बहुत सारे धन का होना आपकी क्लास का परिचायक नहीं है.”

‘अपनी मातृभाषा का उपयोग करना शर्मिंदगी का सबब नहीं है. यह मेरा अधिकार है. मैं अंग्रेजी में तभी बात करती हूं जब किसी को मेरी भाषा नहीं आती.’

Featured Photo by Jonathan Percy on Unsplash

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