चंद्रमा पर मनुष्य (नील आर्मस्ट्रॉंग) के उतरने का कोई लंबा या पूरा वीडियो मौजूद नहीं है क्योंकि ऐसा कोई वीडियो नहीं बनाया गया था.
चंद्रमा पर 20 जुलाई, 1969 को लैंड करते समय बनाई गई छोटी सी क्लिप ही लैंडिंग की पूरी वीडियो है. इसे 16 मिलीमीटर की फिल्म वाले मौर डेटा एक्वीजीशन कैमरा (Mauer Data Acquisition camera) पर शूट किया गया था. इस कैमरे का फोटो आप ऊपर देख सकते हैं. नीचे दिए गए वीडियो में वह छोटी सी क्लिप भी शामिल है.
सन् 1969 में डिजिटल कैमरे उपलब्ध नहीं थे. बहुत बेसिक क्षमता के डिजिटल कैमरे इसके डेढ़-दो दशक बाद बनाए गए. उन दिनों एक मेगाबाइट का स्टोरेज भी बहुत अधिक माना जाता था और यह बहुत महंगा भी था. डेटा एक्वीजीशन कैमरा या DAC में फिल्म की एक रील रिमूवेबल मैगजीन में स्टोर होती थी. यह कैमरा अलग-अलग फ्रेम रेट पर शूट कर सकता था लेकिन फुल स्पीड पर शूटिंग करते वक्त इसकी रील कुछ मिनटों में ही खत्म हो जाती थी. चंद्रमा पर पहली लैंडिंग के ऐतिहासिक मौके को शूट करते वक्त वे बीच में शूटिंग को रोककर इसमें दूसरी रील लोड नहीं कर सकते थे. यही कारण है कि हमारे पास लैंडिंग की केवल कुछ देर की ही वीडियो क्लिप है.
उन्होंने लैंडिंग इसलिए शूट नहीं की कि हम लोग इसे 50 साल बाद यूट्यूब पर देख सकें. लैंडिंग का वीडियो शूट करने का असली उद्देश्य अगले मिशनों के लिए इंजीनियरिंग का डेटा जुटाना था. यह पूरी तरह से वैज्ञानिक अनुसंधान की गतिविधि थी.
इस घटना का पृथ्वी पर लाइव टेलीकास्ट करना भी बहुत महत्वपूर्ण घटना थी. जिन TV कैमरों को अंतरिक्ष और चंद्रमा की सतह से लाइव टेलीकास्ट करने के लिए इस्तेमाल किया गया उन्हें लैंडिंग के दौरान चला सकना संभव नहीं था क्योंकि अंतरिक्ष यान के संचालन पर पूरा ध्यान देना उनकी प्राथमिकता थी. मॉड्यूल यान के लैंड करने का बाद उन्हें प्रसारण के लिए चालू कर दिया गया. ये कैमरे भी बहुत बेसिक लो-रिज़ोल्यूशन एनालॉग कैमरे थे जो VHF हाई गेन एंटीना के माध्यम से अधिकतम उपलब्ध बैंडविथ पर पृथ्वी की दिशा में प्रसारण कर रहे थे.