पृथ्वी की पेट्रोलियम संपदा कब समाप्त हो जाएगी?

हम हमेशा सुनते रहते हैं कि पृथ्वी के पेट्रोलियम पदार्थों का भंडार समाप्त होनेवाला है. लेकिन यह कब समाप्त होगा?

इसका उत्तर यह है कि यह भंडार कभी समाप्त नहीं होगा.

क्योंकि हम यह जानते ही नहीं हैं कि पृथ्वी के भीतर कितना तेल है. हम केवल इतना जानते हैं कि हमने अब तक कितना तेल निकाल लिया है. हम यह भी जानते हैं कि एक सीमा के बाद तेल निकालना महंगा साबित होने लगता है इसलिए हम बहुत से कुंओं को बंद कर देते हैं, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उस भूभाग में बुल्कुल भी तेल नहीं बचा है. पृथ्वी के अनेक भूभाग ऐसे हैं जहां तेल का विशाल भंडार हो सकता है लेकिन वहां से तेल निकाल पाना हमारे लिए फिलहास संभव नहीं है.

वास्तव में इसका संबंध भूगोल या रसायनशास्त्र ने नहीं बल्कि अर्थशास्त्र से है.

एक बैरल तेल निकालने में आने वाली लागत पृथ्वी के हर क्षेत्र में अलग-अलग होती है. कुछ क्षेत्रों में कुछ डॉलरों की लागत में ही एक बैरल तेल मिल जाता है, जबकि कहीं-कहीं इसपर सैंकड़ों या हजारों डॉलर का खर्च आता है. पृथ्वी पर ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहां तेल के भंडार होने की हमें जानकारी है लेकिन हमने उन्हें हाथ भी नहीं लगाया है क्योंकि इसपर होने वाला खर्च प्राप्त होनेवाले तेल की तुलना में बहुत अधिक होगा. जब सस्ते स्रोतों से तेल मिलना कम हो जाता है तब मांग बढ़ने के कारण तेल की कीमत भी बढ़ने लगती है. कुछ हद तक हम अपने उपभोग में कटौती लाते हैं लेकिन एक समय ऐसा आता है जब हमें अधिक खर्च करके तेल निकालने पर विवश होना पड़ता है.

लेकिन इसकी भी एक सीमा है. आज हमारे पास पेट्रोलियम पदार्थों के हर संभव विकल्प उपलब्ध हैं. हम कोयले को संसाधित करके कई प्रकार के द्रव ईंधन बना सकते हैं. वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में कई प्रकार के सिंथेटिक हाइड्रोकार्बन सफलतापूर्वक बना चुके हैं. हम ऊष्मा और ऊर्जा के कई अपारंपरिक स्रोतों की खोज कर चुके हैं. हमने यह सब इसलिए नहीं किया कि पेट्रो पदार्थ सस्ते हैं. यदि पेट्रो पदार्थों की कीमत हद से अधिक बढ़ने लगेगी तो हमें ऊर्जा के वैकल्पिक उपायों की ओर बढ़ना होगा.

उदाहरण के लिए, हम कोयले से मेथेनॉल आसानी से बना सकते हैं, लेकिन हमारी कारें मेथेनॉल पर चलने के लिए नहीं बनी हैं इसलिए हमें पहले उस तरह की गाड़ियां बनानी होंगीं जो पेट्रोल या डीज़ल के स्थान पर दूसरे ईंधन पर चल सकें. यह बहुत ही बड़ी और कठिन परियोजना होगी. पहले तो सड़कों पर करोड़ों की संख्या में जो कारें दौड़ रही हैं उन्हें अपग्रेड करने की अति महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम करना पड़ेगा जिसपर खरबों-खरब की लागत आएगी.

यह अनुमान लगाया गया है कि जब पेट्रोलियम की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जाएगी तो मेथेनॉल से गाड़ियां चलाना सस्ता हो जाएगा. जब पेट्रोलियम उससे भी महंगा होता जाएगा तो हमारे पास मेथेनॉल का उपयोग करने के सिवाय कोई और उपाय न होगा. तकनीक उन्नत होने के साथ-साथ और अधिक मात्रा में निर्माण होने पर मेथेनॉल की कीमत कम होती जाएगी. जब पेट्रोलियम पदार्थों के निकालने पर होनेवाला खर्च अत्यधिक हो जाएगा तो कंपनियां अपने संयंत्र बंद करने लगेंगी.

पृथ्वी के भीतर बहुत बड़ी मात्रा में तेल हमेशा बना रहेगा लेकिन हमें वह इतनी अधिक कीमत पर मिलेगा कि हम इसे निकालना नहीं चाहेंगे. (featured image)

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.