सबसे पहले तो आप यह जान लें कि कोई भी जीवित प्राणी निर्वात या निर्वात जैसी स्थिति में आने पर गुब्बारे की तरह फूट नहीं जाएगी. हॉलीवुड की बहुत सी फिल्मों ने अंतरिक्ष में बहुत सी ऊलजलूल की बातें दिखाई हैं जिनका सच से दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है. मंगल ग्रह की सतह पर जानेवाला कोई अंतरिक्ष यात्री अपना हेल्मेट उतारेगा तो वह तरबूज की तरह नहीं फटेगा लेकिन ऐसा बहुत कुछ होगा जो रोचक भी होगा और दर्दनाक भी होगा. यह पढ़ने में अजीब लग सकता है लेकिन हमारा अभागा अंतरिक्ष यात्री एक ही समय में बर्फ की तरह जम भी जाएगा और पानी की तरह उबलने भी लगेगा. इसी के साथ-साथ उसका दम भी घुट रहा होगा, लेकिन हम फिलहाल अपना ध्यान अनूठी थर्मोडायनैमिक प्रतिक्रिया पर ही केंद्रित रखेंगे.
मंगल ग्रह पर हवा का दबाव इतना कम है कि वहां पानी सामान्य तापमान पर ही उबल सकता है. असल में पानी के उबलने का सीधा संबंध वायुदाब से है. बहुत कम वायुदाब पर पानी -40 डिग्री पर भी उबल सकता है (सेल्सियस हो या फारनहाइट, -40 डिग्री पर दोनों का मान समान होता है). लेकिन किसी भी चीज को उबलने के लिए यह ज़रूरी है कि उसे कहीं और से ऊष्मा मिले. यह ऊष्मा हमारे अंतरिक्ष यात्री के शरीर से मिलेगी. जब उसके शरीर की ऊष्मा खींच ली जाएगी तो वह बर्फ की तरह जम जाएगा (कम-से-कम उसकी त्वचा तो जम ही जाएगी). टेकनीकली हम जिस उबलने की बात कर रहे हैं उसका तात्पर्य पानी के भाप में बदलने से है. लेकिन ऐसा अंतरिक्ष यात्री की त्वचा के बहुत निकट होगा, शरीर की गहराइयों में नहीं. यह घटना शुरू तो तत्काल होगी लेकिन पूरे शरीर को बर्फीला ठंडा होने और सूखने में लगभग 15 मिनट या उससे भी अधिक समय लग जाएगा.
इसी के साथ ही एक दूसरी बात यह होगी कि हमारे बेचारे अंतरिक्ष यात्री के जोड़-जोड़ मुड़ने-तुड़ने लगेंगे. उसके शरीर से सभी बड़े जोड़ एकाएक ही बेकार हो जाएंगे. हेल्मेट उतारते ही होनेवाले डिकंप्रेशन के कारण अस्थियों के जोड़ अलग-अलग हो जाएंगे. इसके फौरन बाद शरीर का तंत्रिका तंत्र और श्वसन तंत्र ध्वस्त हो जाएगा. इन सबका संबंध डिकंप्रेशन से है. डिकंप्रेशन से जुड़े कुछ और लक्षण ये होंगे:
- असहनीय थकान
- त्वचा में खून का उतर जाना (हैमरेज)
- शरीर की सभी मासपेशियों और जोड़ों में दर्द
- चक्कर आना, कानों में सीटियां बजना
- सुन्नपन, लकवा
- सांस फूलना
हेलमेट उतारते ही प्राणवायु नहीं मिल जाने के कारण जब एक मिनट के भीतर दम घुट जाएगा तो यह सब झेलने में कठिनाई नहीं होनी चाहिए. (image credit)