एलियंस दिखने में किस तरह के प्राणी होंगे?

एलियंस का रूप-रंग और आकार-प्रकार उन भौतिक व जैविक दशाओं और परिस्तिथियों पर निर्भर करेगा जहां वे निवास करते हैं. हम उनके बारे में ये अनुमान लगा सकते है:

कम गुरुत्व के ग्रह पर रहनेवाले एलियंस का शरीर लंबा और पतला होगा. उनकी अस्थियां भी कम घनी होंगी. यह भी संभव है कि उनके शरीर में अस्थियां न हों बल्कि किसी तरह का बाह्य कंकाल (exoskeleton) हो. अधिक गुरुत्व वाले ग्रहों पर रहनेवाले एलियंस का कद छोटा होगा और शरीर भरा-भरा सा होगा. उनका कंकाल और मांसपेशी तंत्र भी उन्नत होगा.

बुद्धिमान एलियंस के शरीर का डिज़ाइन भी मनुष्यों की ही भांति मिनिमलिस्टिक (minimalistic) होना चाहिए. फिल्मों में दिखाए जाने वाले एलियंस की तरह उनके हाथों में दस-दस स्पर्शक (tentacles) या चार पैर नहीं होंगे. गति करने के लिए पैरों का होना भी अनिवार्य नहीं है. सांप या सील जैसे अनेक प्राणी पैरों के बिना भी बहुत अच्छे से गति कर सकते हैं.

उनकी 8 आंखें, 2 नाक या 4 कान होने की संभावना भी कम ही होगी क्योंकि इतनी अधिक संख्या में इंद्रियों के होने से मस्तिष्क पर ऊर्जा का दबाव बढ़ जाएगा और उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होगी. मस्तिष्क को बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है अतः बहुत बड़े मस्तिष्क के विकसित होने पर ज्ञानेंद्रियों और कर्मेंद्रियों की संख्या में उस सीमा तक कटौती करनी पड़ेगी जब तक उनके बिना जीवित रहना कठिन हो जाए.

किसी भी प्रकार की तकनीक को विकसित करने और उसका उपयोग करने के लिए यह ज़रूरी है कि एलियंस के पास भी हमारी जैसी उंगलियां हों. डॉलफ़िन बुद्धिमान होती है लेकिन वह अपने नन्हे पंखों से कुछ बना नहीं सकती. एलियंस के विकसित बुद्धिमान प्राणी होने के लिए यह ज़रूरी होगा कि वे डॉलफिन की तरह नहीं बल्कि चिंपांजी की तरह हों जो ज़रूरत पड़ने पर औज़ार बनाकर उनका उपयोग करने की क्षमता रखता है.

अपने वातावरण को प्रभावित करने, वस्तुओं का निर्माण करने और शिकार करने के लिए दृष्टि का होना बहुत ज़रूरी नहीं है लेकिन यदि एलियंस को अपने ग्रह पर प्रभुत्वशाली प्रजाति बनना हो तो उनकी कम-से-कम एक आंख होना बहुत ज़रूरी होगा, हालांकि दो आंखों से किसी भी क्षेत्र की गहराई का आकलन करने में सहायता मिलती है, जिसे बाइनोकुलर विज़न कहते हैं. यदि एलियंस का विकास किसी शिकारी प्रजाति से हुआ होगा तो उनकी आंखों की संरचना भी हमारी आखों जैसी होगी, भले ही वे दिखने में बिल्कुल अलग सी हों.

एलियंस की सामाजिक संरचना का निर्धारण उनके सोचने-विचारने की क्षमता से होगा और इससे भी होगा कि उनकी संचार तकनीकें कितनी विकसित हैं. आज के मनुष्य एक-दूसरे से उस प्रकार से संचार नहीं करते जैसे कुछ दशक पहले के मनुष्य करते थे. यदि एलियंस अत्यधिक उन्नत हुए तो हो सकता है कि वे किसी प्रकार की टैलीपैथी से संचार कर सकते हों या उन्होंने अपने मस्तिष्क में कंप्यूटर और मोबाइल जैसी वस्तुएं फिट करना सीख लिया हो.

बोलना और सुनना हमारे संचार के प्राथमिक उपाय हैं और इनके अलावा हम विज़ुअल पद्धतियों जैसे बॉडी लैंग्वेज, लिखित भाषा और प्रतीक चित्रों के द्वारा भी संवाद करते हैं. हम स्पर्श, गंध और फ़ेरोमोन्स के द्वारा भी संवाद कर सकते हैं (यह मनुष्यों में कम लेकिन पशुओं में अधिक प्रचलित है). यदि एलियंस के वातावरण में वर्बल कम्युनिकेशन गौण हो तो विज़ुअल कम्युनिकेशन अधिक महत्वपूर्ण हो जाएगा. हम सेफ़ैलोपोड्स (cephalopods) नामक ऐसी प्रजाति के बारे में जानते हैं जो अपनी त्वचा का रंग बदलकर संवाद कर सकती है. संवाद की हर पद्धति हमारे सोचने-समझने को प्रभावित करती है. इसी के साथ ही एलियंस के मस्तिष्क की रासायनिकी, स्मृतियों के विष्लेषण की क्षमता और उनकी जन्मजात सहज प्रवृत्तियां (instincts) भी उनके मनोविज्ञान को हमसे भिन्न कर सकती हैं. यदि वे अन्य प्राणियों का शिकार करते होंगे तो उनका मनोविज्ञान उन एलियंस से भिन्न होगा जिनका अन्य प्राणी शिकार करते हैं. किसी भी बुद्धिमान प्रजाति के विकास के लिए उनका सामाजिक होना और एक-दूसरे पर निर्भर होना बहुत ज़रूरी है. असामाजिक प्रजातियां आगे जाकर बुद्धिमान प्रजातियों में विकसित नहीं होतीं. यदि एलियंस ने वर्चुअल मस्तिष्क (virtual brains) का निर्माण कर लिया होगा तो उनके सोचविचार की क्षमता हमसे बहुत अधिक और उन्नत हो जाएगी. वे उन स्तरों पर चीजों और घटनाओं का विश्लेषण कर सकेंगे जहां हम नहीं पहुंच सकते.

अतंरिक्ष में स्वच्छंदता से भ्रमण करने योग्य होने के लिए यह आवश्यक है कि एलियंस के पास वे तकनीकें हों जिन्हें हम विकसित करने के बारे में आज सोचते हैं. यदि हम कभी किन्हीं एलियंस को पृथ्वी पर आया देखेंगे तो वे संभवतः साइबॉर्ग (cyborgs) या रोबोट्स या नैनाइट्स (nanites) होंगे. अंतरिक्ष में अनेक प्रकाशवर्ष की यात्रा करना उनके लिए भी सरल नहीं होगा. किसी भी प्रकार का जीवन बाह्य अंतरिक्ष के घातक वातावरण में देर तक टिके नहीं रह सकता. (image credit)

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