इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए हमें गुरुत्व (gravity) को समझना होगा. गुरुत्व क्या है? क्या यह कोई बल है? नहीं.
आइंस्टीन के अनुसार गुरुत्व दिक् और काल अर्थात स्पेसटाइम (spacetime) की वक्रता है. स्पेसटाइम की फ़ैब्रिक या शीट किसी भारी पिंड या ऊर्जा की उपस्तिथि में वक्र या विकृत हो जाती है.
इसे सरलता से इस प्रकार से समझा जा सकता है. मान लें कि आपके डबलबेड में एक चादर बिछी हुई है. हम इस चादर को स्पेसटाइम मान लेते हैं. इस चादर पर हम कहीं एक लाल रंग की भारी गेंद रख दें तो यह थोड़ी सी दब जाती है. इससे थोड़ी दूरी पर हम इससे बड़ी एक भूरी गेंद रख देते हैं तो चादर थोड़ी अधिक दब जाती है. चादर पर इन सबसे बड़ी और भारी पीली गेंद रखने पर चादर सबसे अधिक दब जाती है. आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत का यही मूल बिंदु है. गुरुत्व स्पेसटाइम में इसी प्रकार से वक्रता उत्पन्न करता है और कोई पिंड जितना भारी होगा वह स्पेसटाइम में उतनी ही अधिक वक्रता उत्पन्न करेगा. स्पेसटाइम में जितनी अधिक वक्रता होगी, गुरुत्वाकर्षण भी उतना ही अधिक होगा. नीचे दिए गए चित्र में देखिए कि कोई ब्लैक होल किस प्रकार स्पेसटाइम को वक्र कर देता है.
अंतरिक्ष में ब्लैक होल ऐसे पिंड हैं जो बहुत अधिक भारी होने के कारण बाहरी पदार्थ को प्रचंड गुरुत्व से अपनी ओर खींचते हैं. अत्यधिक भार के कारण ब्लैक होल स्पेसटाइम की वक्रता को सर्वाधिक प्रभावित कर सकते हैं. वक्रता बहुत अधिक होने के कारण गुरुत्व भी बहुत अधिक होता है.
अभी तक हम आइंस्टीन के सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत को समझने का प्रयास कर रहे थे. अब हम विशिष्ट सापेक्षता के सिद्धांत को समझने का प्रयास करेंगे जिसमें आइंस्टीन ने समय के विचार का भी समावेश किया है. ब्लैक होल समय को जिस प्रक्रिया से धीरे कर देते हैं उसे हम गुरुत्वीय समय प्रसार या Gravitational Time dilation कहते हैं.
इसे समझने के लिए हमें यह ज्ञान होना चाहिए कि समय परम या absolute नहीं है. एक प्रेक्षक से दूसरे प्रेक्षक तक किन्हीं दो घटनाओं के मध्य समय निश्चर नहीं है, बल्कि प्रेक्षकों की गति पर भी निर्भर करता है. भिन्न-भिन्न प्रेक्षण स्थलों पर उपस्थित भिन्न-भिन्न प्रेक्षक समय को भिन्न-भिन्न गति पर व्यतीत होता हुआ अनुभव कर सकते हैं.
इसी से जुड़ी दूसरी बात जो हमें ध्यान में ऱखनी है वह यह है कि प्रकाश की गति (c) हर समय एक समान ही रहती है. c= 299,792,458 मीटर प्रति सेकंड.
गति (speed) = दूरी (distance)/समय (time) ==> c = d/t (वह दूरी जिसमें प्रकाश यात्रा करता है)
मान लें कि प्रकाश को बिंदु c से बिंदु d तक की दूरी किसी ब्लैक होल के निकट और बिंदु a से बिंदु b तक की उतनी ही दूरी कहीं और तय करनी है जहां गुरुत्व का प्रभाव नगण्य है. अब हमें यह ध्यान में रखना है कि प्रकाश की गति तो नियत है लेकिन गुरुत्व स्पेसटाइम में वक्रता उत्पन्न करता है. ऐसे में वह होगा जो नीचे दिए गए चित्र में दर्शाया गया हैः
आपने देखा? बिंदु a से बिंदु b की दूरी तथा बिंदु c से बिंदु d की दूरी समान हैं लेकिन प्रकाश को बिंदु c से बिंदु d तक जाने में अधिक समय इसलिए लगा क्योंकि ब्लैक होल के निकट होने के कारण बिंदु c से बिंदु d का स्पेसटाइम वक्र हो गया है. इसीलिए प्रकाश को उस दूरी को तय करने में अधिक समय लगेगा. इस प्रकार किसी ब्लैक होल के निकट यात्रा करनेवाले व्यक्ति को समय के धीमे होने का आभास होगा. यह इसलिए हुआ क्योंकि अधिक गुरुत्व ने स्पेसटाइम में वक्रता उत्पन्न कर दी. (image credit)
जॉन आर्चीबाल्ड व्हीलर ने अपने एक ही कथन से दिक्-काल की वक्रता की व्याख्या बड़ी सुंदरता के साथ की है।
“पदार्थ आकाश को बताता है कि कैसे मुड़ना है जबकि आकाश पदार्थ को बताता है कि कैसे चलना है।”
यह 1917 के प्रयोग द्वारा सामान्य सापेक्षता के सिद्धांत की पुष्टि हो जाने पर व्हीलर सर का निष्कर्ष था।
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